बच्चों को पिला रहे हैं पाउडर वाला दूध, तो हो जाइए सावधान! WHO ने किया ये खुलासा

नवजात बच्चे मल्टी नेशनल कंपनियों की मार्केटिंग का शिकार होकर पाउडर वाला दूध पी रहे हैं. इसके लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने सावधान किया है. आरतो डब्ल्यूएचओ और लैंसेट के खुलासे से रूबरू करवाते हैं.

Written by - Pooja Makkar | Last Updated : Feb 11, 2023, 06:46 PM IST
  • विश्व स्वास्थ्य संगठन ने लोगों को दी चेतावनी
  • नवजात बच्चों को पिला रहे हैं पाउडर वाला दूध?
बच्चों को पिला रहे हैं पाउडर वाला दूध, तो हो जाइए सावधान! WHO ने किया ये खुलासा

नई दिल्ली: विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने लैंसेट में छपी एक रिसर्च के जरिए सावधान किया है कि बेबी फूड यानी फॉर्मूला मिल्क बनाने वाली कंपनियां मार्केटिंग का सहारा लेकर स्तनपान कराने से महिलाओं को रोक रही हैं और फॉर्मूला मिल्क यानी बच्चों के पाउडर वाले दूध के फायदे गिनाकर भ्रम फैला रही हैं. इस प्रैक्टिस को रोके जाने की जरूरत है.

विश्व स्वास्थ्य संगठन की चेतावनी
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने ये चेतावनी भी दी है कि नियमों के मुताबिक 6 महीने की उम्र तक बच्चों को केवल मां का दूध ही दिया जाना चाहिए, कुछ और नहीं. लेकिन आधे बच्चों के मामले में ऐसा नहीं होता. इसके अलावा जन्म लेने के पहले घंटे में ही मां का दूध बच्चे को पिलाया जाना चाहिए, लेकिन केवल 50% मामलों में ही ऐसा हो पाता है.

फॉर्मूला मिल्क के विज्ञापन भटका रहे
नवजात बच्चे के लिए मां का दूध ही सर्वोत्तम आहार है, ये लाइन सरकार ने कितनी बार और कई तरीकों से बेचने की कोशिश की है. लेकिन इस पर डिब्बाबंद दूध बेचने वालों की मार्केटिंग भारी पड़ रही है. WHO और Lancet ने अपनी रिपोर्ट में ये खुलासा किया है.

फॉर्मूला मिल्क को ब्रेस्ट मिल्क का विकल्प माना जाता है, लेकिन अगर बच्चे की सेहत की बात करें तो विश्व स्वास्थ्य संगठन स्तनपान को ही बच्चों के लिए आदर्श आहार मानता है.

फॉर्मूला मिल्क थोपने की साजिश
दुनियाभर में फॉर्मूला मिल्क का बाजार 55 बिलियन डॉलर से बड़ा है, यानी करीब 41 खरब रुपये का कारोबार है. फॉर्मूला मिल्क गाय के दूध को प्रोसेस करके बनाया जाता है, जिससे बच्चे की किडनी उसे पचा सकें. डिब्बा बंद पाउडर वाला ये दूध ब्रेस्ट मिल्क का विकल्प माना जाता है, लेकिन एक्सपर्ट्स की राय में ऐसा केवल एमरजेंसी में करना चाहिए.

शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. विवेक गोस्वामी के मुताबिक सिर्फ मां के दूध में ही सबसे ज्यादा पोषक तत्व होते हैं. माताओं को ये विश्वास दिलाना चाहिए कि वो बच्चे की जरूरत के मुताबिक पर्याप्त दूध दे भी सकती हैं और बच्चे को पिला भी सकती हैं. कई बार माताएं डर, संकोच और जानकारी की कमी की वजह से ऐसा सोचने लगती हैं कि वो ये काम सही तरीके से नहीं कर पाएंगी.

मिल्क बैंक भी है विकल्प
डॉक्टरों का मानना है कि अगर किसी मेडिकल वजह से मां बच्चे को दूध नहीं पिला पा रही तो मिल्क बैंक के विकल्प को तलाशना चाहिए. जिन माताओं को दूध ज्यादा बनता है वो उसे स्टोर करके मिल्क बैंक में डोनेट कर सकती हैं. हालांकि ये कॉन्सेप्ट नया है और अभी महानगरों मे ऐसे एकाध बैंक ही मौजूद हैं. ऐसे में किसी बीमारी में या कम प्रोडक्शन होने की वजह से अगर मां बच्चे को दूध नहीं पिला पाती तो ही फॉर्मूला मिल्क के विकल्प के बारे में सोचना चाहिए.

पिछले वर्ष सर्वे में भी सामने आया था फॉर्मूला मिल्क परोसने का सच
पिछले वर्ष फरवरी में जारी एक रिसर्च में डब्लूएचओ ने बताया था कि यूनिसेफ के साथ मिलकर एजेंसी ने  8500 माता-पिता के इंटरव्यू और 300 हेल्थ केयर वर्कर्स के इंटरव्यू किए. ये इंटरव्यू बांग्लादेश, मेक्सिको, मोरक्को, नाइजीरिया, दक्षिण अफ्रीका, चीन, यूनाइटेड किंगडम और वियतनाम, में किए गए थे.

यूनाइटेड किंगडम में 84% माताओं को फॉर्मूला मिल्क की जानकारी थी, जबकि चीन में 97 प्रतिशत और वियतमान में 92 प्रतिशत माताओं को फॉर्मूला मिल्क के बारे में बताया गया था. सर्वे में शामिल एक तिहाई महिलाओं ने बताया कि उन्हें किसी ना किसी हेल्थकेयर वर्कर ने ब्रांड का नाम लेकर फॉर्मूला मिल्क खरीदने और इस्तेमाल करने की सलाह दी.

बांग्लादेश में 98% तो मोरक्को में 49% महिलाएं केवल ब्रेस्टफीडिंग को ही बेहतर मान रही हैं. रिपोर्ट के मुताबिक कंपनियों के भ्रामक प्रचार ये बताते हैं कि जन्म के पहले दिन के बाद से ही फॉर्मूला मिल्क फायदेमंद होता है.

ये भी प्रचार किया जाता है कि केवल स्तनपान से बच्चे का पेट नहीं भरता. दावा ये भी किया जाता है कि फॉर्मूला मिल्क के Ingredients बच्चे की इम्युनिटी बढ़ाते हैं. फॉर्मूला मिल्क से बच्चे का पेट भर जाता है और ब्रेस्ट मिल्क की क्वालिटी समय के साथ साथ खराब हो जाती है.

स्तनपान से बच्चे को ये फायदे
लेकिन सच कुछ और है, जन्म के पहले घंटे में स्तनपान बहुत जरूरी होता है. 6 महीने तक स्तनपान के अलावा बच्चे को किसी और चीज की जरूरत नहीं है. इससे जीवन भर के लिए बच्चे की इम्युनिटी की नींव मजबूत होती है और मोटापे से भी बचाव होता है.

स्तनपान को बच्चे की पहली वैक्सीन कहा जाता है. इसमें मौजूद तत्व बच्चे को जन्म के समय की कई बीमारियों से बचाने का काम करते हैं. अगर मां बच्चे को नियमित ब्रेस्टफीडिंग करवाती है तो मां को भविष्य में डायबिटीज, मोटापे और कैंसर का खतरा कम रहता है. लेकिन इन सब फायदों के बावजूद केवल 44% बच्चों को 6 महीने की उम्र तक स्तनपान नसीब हो पाता है. पिछले दो दशक में स्तनपान तो नहीं बढ़ा लेकिन इसी वक्त में फॉर्मूला मिल्क की सेल दोगुने से ज्यादा बढ़ गई है.

इसे भी पढ़ें- मुख्तार अंसारी की बहू निकहत क्यों हुईं गिरफ्तार? जानें पुलिस के एक्शन की वजह

Zee Hindustan News App: देश-दुनिया, बॉलीवुड, बिज़नेस, ज्योतिष, धर्म-कर्म, खेल और गैजेट्स की दुनिया की सभी खबरें अपने मोबाइल पर पढ़ने के लिए डाउनलोड करें ज़ी हिंदुस्तान न्यूज़ ऐप.

ट्रेंडिंग न्यूज़