नई दिल्ली. भारत ने अमेरिकी मुस्लिम सांसद इल्हान उमर के पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर दौरे की भारत सरकार ने कड़ी निंदा की है. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने एक ब्रीफिंग में इल्हान उमर को एजेंडावादी बताया है.
मीडिया को बयान देते हुए बागची ने कहा कि अपने यहां की संकीर्ण सोच वाली राजनीति करना ही उनका मकसद है. लेकिन इस तरह की सोच रखने वाली नेता अगर हमारी क्षेत्रीयत अखंडता और संप्रभुता की उल्लंघन करेंगी तो यह कतई बर्दाश्त नहीं किया जाएगा.
क्या है पूरा मामला
दरअसल अमेरिका के एक मुस्लिम संगठन ‘इंडियन अमेरिकन मुस्लिम काउंसिल’ ने डेमोक्रेटिक पार्टी की सांसद इल्हान उमर की प्रतिनिधि सभा में एक ऐसा प्रस्ताव पेश करने के लिए सराहना की है, जिसमें कथित तौर पर अल्पसंख्यकों खासतौर पर मुसलमानों के मानवाधिकारों के हनन के लिए भारत की आलोचना की गई है.
अमेरिकी सांसद रशीदा तालिब और जुआन वर्गास द्वारा सह-प्रायोजित, प्रस्ताव में विदेश मंत्रालय से अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता पर अमेरिकी आयोग की सिफारिशों को लागू करने का आग्रह किया गया है, और अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम के तहत भारत को विशेष चिंता वाला देश घोषित करने की मांग की गई है.
बता दें कि, अमेरिकी मुस्लिम सांसद इल्हान उमर ने कई मौकों पर भारत के मुद्दे पर पाकिस्तानी अधिकारियों का खुलकर साथ दिया है. भारत से जुड़ी कांग्रेस की कई सुनवाइयों में भी उमर ने लगातार भारत विरोधी रुख दिखाया है.
कौन हैं इल्हान उमर
अमेरिकी प्रतिनिधि सभा की वेबसाइट पर इल्हान के उमर के बारे में बताया गया है कि वो पहली अफ्रीकी शरणार्थी हैं जो चुनाव जीतकर अमेरिकी संसद पहुंची हैं. उमर 2019 में मिनिसोटा से सांसद चुनी गई थीं. इस संसदीय सीट से चुनाव जीतने वाली वह पहली अश्वेत महिला भी हैं. सोमालिया में जन्मीं उमर के परिवार ने गृह युद्ध के कारण तब देश छोड़ दिया था जब उनकी उम्र महज आठ वर्ष थी. बता दें कि इल्हान उमर का नाम कई मौकों पर भारत विरोधी एजेंडे और बयानों में भी शामिल हो चुका है.
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