Explainer: पहले PAK के पक्ष में होता था अमेरिका, कारगिल युद्ध के बाद भारत से कैसे हुई दोस्ती?

America and India Relations After Kargil War: भारत और अमेरिका के संबंध कारगिल युद्ध के बाद सुधरे. भारत ने अमेरिका के सामने साबित किया कि पाकिस्तान ने LOC नियमों का उल्लंघन किया है. इसके बाद अमेरिकी राष्ट्रपति बिल क्लिंटन भारत के दौर पर भी आए.

Written by - Ronak Bhaira | Last Updated : Jul 26, 2024, 01:31 PM IST
  • राष्ट्रपति क्लिंटन भारत आए
  • दोनों देशों के संबंध मजबूत हुए
Explainer: पहले PAK के पक्ष में होता था अमेरिका, कारगिल युद्ध के बाद भारत से कैसे हुई दोस्ती?

नई दिल्ली: America and India Relations After Kargil War: एक समय था जब अमेरिका पाकिस्तान का मददगार हुआ करता था, भारत से तब इनकी खास पटरी नहीं बैठती थी. लेकिन फिर कारगिल का युद्ध हुआ तो अमेरिका ने अपने 'जज्बात बदल दिए'. धीरे-धीरे अमेरिका भारत का दोस्त बनता चला गया और पाकिस्तान से दूरियां बढ़ने लगीं. आइए, जानते हैं कि कारगिल युद्ध के दौरान ऐसा क्या हुआ कि पाकिस्तान के प्रति अमेरिका ने अपना स्टैंड बदल दिया?

तब तीनों देशों के नेता कौन थे?
सबसे पहले तो ये जान लें कि कारगिल युद्ध के दौरान भारत, पाकिस्तान और अमेरिका के नेता कौन थे? बता दें कि भारत के प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी हुआ करते थे, पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ थे और अमेरिका के राष्ट्रपति बिल क्लिंटन थे. तब बिल क्लिंटन और नवाज शरीफ के बीच अच्छे संबंध हुआ करते थे. जबकि अटल बिहारी वाजपेयी अमेरिका से संबंध स्पाथित करने की दिशा में बढ़ रहे थे.

जब भारत से नाराज हुआ अमेरिका
अमेरिका ने भारत और पाकिस्तान के बंटवारे के बाद से ही पाक का साथ देना शुरू कर दिया था. 1947-48, 1965 और 1971 के युद्ध अमेरिका ने पाकिस्तान की तरफ अपना झुकाव दिखाया. तब अमेरिका को लगता था कि भारत उनके साथ नहीं, बल्कि सोवियत खेमे में है. इसलिए अमेरिका ने पाक को साथी के तौर पर चुना. हालांकि, भारत हमेशा निष्पक्ष भूमिका में रहा. अटल बिहारी बाजपेयी ने प्रधानमंत्री रहते हुए मई, 1998 में परमाणु परीक्षण करवाया. अमेरिका को ये बात पसंद नहीं आई, उन्होंने भारत पर कई तरह के प्रतिबंध लगा दिए, दोनों देशों के बीच दूरियां बढ़ गईं.

पाक से अमेरिका को थी ये उम्मीद
दरअसल, अमेरिका को ऐसी उम्मीद थी कि पाकिस्तान रूस विरोधी अभियानों में उनका साथ दे सकता है. तालिबान, अल-कायदा और ओसामा बिन लादेन पर नजर रखने के लिए पाकिस्तान उनकी मदद कर सकता है. लेकिन ऐसा हुआ नहीं. उल्टा पाकिस्तान ही आतंकवाद को बढ़ाने में लगा हुआ था. 

भारत ने पेश किए थे सबूत
कारगिल युद्ध के दौरान अमेरिका ने विश्व में शांति का संदेश देना चाहा. इसके लिए उन्होंने भारत और पाक के बीच मध्यस्थता करने की भी कोशिश की. भारत के पास पाक आर्मी के जनरल परवेज मुशर्रफ की कॉल रिकॉर्डिंग थी, जिसमें ये स्पष्ट हुआ कि पाक की सेना मुजाहिदीन के भेष में खुद हमला कर रही है. भारत ने ये साबित किया कि पाकिस्तान ने लाइन ऑफ कंट्रोल (LOC) का उल्लंघन किया. 

पाकिस्तान को अमेरिका ने दी चेतावनी
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने अमेरिका का दौरा किया. यहां पर एक 4 जुलाई, 1999 को शिखर वार्ता में राष्ट्रपति बिल क्लिंटन ने नवाज के सामने कहा कि पाकिस्तान की सेना को LOC के पीछे पुरानी जगह पर लौट जाना चाहिए. अमेरिका ने माना कि इस युद्ध के लिए पाकिस्तान जिम्मेदार है. मीडिया रिपोर्ट्स में ऐसा दावा है कि इस दौरान क्लिंटन ने नवाज को ये चेतावनी भी दी थी कि वे उनके द्वारा अलकायदा और लादेन को दिए जा रहे श्रेय की बात सार्वजनिक कर देंगे.

बिल क्लिंटन भारत दौरे पर आए
इसके बाद अमेरिका के किसी राष्ट्रपति ने करीब 20 साल बाद भारत की यात्रा की. मार्च, 2000 में राष्ट्रपति बिल क्लिंटन अपनी बेटी चेल्सी क्लिंतीं के साथ भारत आए. प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में भारत ने उनकी अच्छी मेजबानी की. इस दौरान भारत ने अपनी अर्थव्यवस्था के दरवाजे भी खोल दिए थे, इससे अमेरिका की कई कंपनियों को फायदा हुआ. प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने अपनी बात 'हम अपने दोस्त बदल सकते हैं, पड़ोसी नहीं' को साबित करके दिखा दिया. अमेरिका के संबंध आज भी भारत के साथ मजबूत हैं. 

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