Explainer: नौसेना के 8 अफसरों को फांसी से बचाने के 5 Options! जानें भारत कैसे पलट सकता है कतर का फैसला

Death Penalty In Qatar: भारतीय नौसेना के 8 पूर्व नौसेनिकों को कतर कोर्ट ने फांसी की सजा सुनाई है. ऐसे में भारत सरकार के पास उन्हें बचाने के लिए केवल 5 विकल्प हैं. इनमें कानूनी लड़ाई से लेकर अंतर्राष्ट्रीय दबाव तक के विकल्प शामिल हैं.

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Oct 27, 2023, 02:19 PM IST
  • विदेश मंत्रालय ने कहा हम इससे स्तब्ध
  • कतर के अधिकारियों के सामने रखेंगे मुद्दा
Explainer: नौसेना के 8 अफसरों को फांसी से बचाने के 5 Options! जानें भारत कैसे पलट सकता है कतर का फैसला

नई दिल्ली: Death Penalty In Qatar: कतर की एक अदालत ने इंडियन नेवी के 8 पूर्व नौसेनिकों को फांसी की सजा सुनाई है. हैरानी की बात ये है कि अभी तक इसका खुलासा नहीं हो पाया है कि पूर्व नौसैनिकों पर क्या आरोप हैं. इनके परिवार को भी नहीं पता है कि उनके अपनों को किस जुर्म में फांसी दी जा रही है. ऐसे में ये जानना जरूरी है कि भारत सरकार इन्हें बचा पाएगी या नहीं. इस पर भारत सरकार की तरफ से विदेश मंत्रालय ने कहा है कि वो फांसी की सजा के फैसले से हैरान हैं. इस मामले को कतर के अधिकारियों के सामने उठाएंगे.

क्या है पूरा मसला
कतर के कोर्ट ने ऐसे 8 लोगों को फांसी की सजा सुनाई है, जो भारतीय नौसेना में काम कर चुके हैं. इनमें कैप्टन बीरेंद्र कुमार वर्मा, कैप्टन नवतेज सिंह गिल, कैप्टन सौरभ वशिष्ठ, कमांडर अमित नागपाल, कमांडर सुगुनाकर पकाला, कमांडर संजीव गुप्ता, कमांडर पूर्णेंदु तिवारी और नाविक रागेश हैं. ये सब डहरा ग्लोबल टेक्नोलॉजीज एंड कंसल्टेंसी सर्विसेज नामक प्राइवेट कंपनी के लिए काम करते थे. यह कंपनी कतर की सेना को ट्रेनिंग और टेक्निकल कंसल्टेंसी सर्विसेज देती है. मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया है कि इन 8  भारतीयों आरोप है कि इन्होंने कतर के सबमरीन प्रोग्राम की गोपनीय जानकारी इजरायल को दी है. इस मामले में कंपनी के मालिक को भी गिरफ्तार किया गया था. 

विदेश मंत्रालय ने क्या कहा
भारत के विदेश मंत्रालय ने अपने आधिकारिक बयान में कहा कि वे इस मामले को गंभीरता से ले रहे हैं. और सभी कानूनी विकल्पों को तलाशा हां रहा है. फैसले के विस्तृत ब्योरे का इंतजार कर रहे हैं. हम परिवार के सदस्यों और कानूनी टीम से भी संपर्क में हैं. हम स्तब्ध हैं कि ये फैसला कैसे दे दिया, हम इस मुद्दे को कतर के अधिकारियों के सामने उठाएंगे.

भारत के पास ये 5 विकल्प
1. भारत के पास सबसे पहला विकल्प यही है कि वे कतर की सरकार से बात करके इस फैसले पर पुनर्विचार करने की अपील करे. साथ ही केस को कमजोर करने के लिए कोई ठोस तर्क दिया जाए. 
2. भारत इस मामले में कतर के पड़ोसी देशों से मदद मांग सकता है. मिडिल ईस्ट के कई देशों से भारत के संबंध अच्छे रहे हैं. यदि ये देश कतर पर दबाव बनाएं तो बात बन सकती है.
3. 2021-22 में कतर के साथ भारत का द्विपक्षीय व्यापार 15.03 बिलियन अमेरिकी डॉलर था. कतर को भारत का निर्यात 1.83 बिलियन डॉलर था और कतर से भारत का आयात 13.19 बिलियन डॉलर था. इन कारोबारी संबंधों के आधार पर भारत कतर से पुनर्विचार के लिए कह सकता है.
4. भारत कतर की आदाल के इस फैसले को इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस में (ICJ) चैलेंज कर सकता है. कुलभूषण जाधव के मामले में भी भारत ने यही रुख अपनाया था. इस कोर्ट से भारत को राहत भी मिली थी.
5. कतर में 25 फीसदी आबादी भारतीय है, इनमें से अधिकतर लोग वहां बड़े पदों पर हैं. कतर की अर्थव्यवस्था में इनका बड़ा हिस्सा है. इनके जरिए भी वहां के अधिकारियों पर दबाव बनाया जा सकता है.

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