नई दिल्ली. कनाडा के पश्चिमी प्रांत ब्रिटिश कोलंबिया की सरकार ने लोगों को ड्रग्स ओवरडोज से बचाने के लिए तीन साल का एक पायलट प्रोजेक्ट शुरू किया है. इस प्रोजेक्ट के तहत एक निश्चित मात्रा में कोकीन और हेरोइन ड्रग्स जैसे गंभीर ड्रग्स रखने पर भी व्यक्ति पुलिस की गिरफ्त से बाहर रह सकता है. ड्रग्स मुक्ति के खिलाफ काम करने वाले NGO इस फैसले पर सवाल भी खड़े कर रहे हैं.
कनाडा के एक राज्य की सरकार का यह निर्णय ऐसे वक्त में आया है जब दुनिया के करीब 32 देश डग्स की विभिन्न मात्राओं पर मौत तक की सजा सुनाते हैं. ड्रग्स की रोकथाम के लिए काम करने वाले एनजीओ हार्म रिडक्शन इंटरनेशनल (HRI) के मुताबिक- दुनिया के करीब 33 देश और क्षेत्रों में ड्रग्स से जुड़े अपराधों में मौत की सजा तक का वैधानिक प्रावधान है. जनवरी 2015 से दिसंबर 2017 के बीच ड्रग्स से जुड़े अपराधों में कम से कम 1320 लोगों को मौत की सजा सुनाई गई.
HRI ने अपने इस डेटा में चीन को शामिल नहीं किया था. इस क्षेत्र में काम करने वाले भारत के एनजीओ लॉयर्स कलेक्टिव के एक आर्टिकल के मुताबिक भी दुनिया के 32 देश में ड्रग्स से जुड़े अपराधों में मौत की सजा सुनाते हैं.
ब्रिटिश कोलंबिया क्यों लीगलाइज करने पर कर रहा है काम
दरअसल कनाडा में ड्रग्स ओवरडोज के कारण होने वाली कुल मौतों का एक तिहाई हिस्सा ब्रिटिश कोलंबिया से होता है. साल 2016 से अब तक कनाडा में करीब 32 हजार लोगों ने ड्रग्स ओवरडोज के कारण जान गंवाई है. इसका एक तिहाई हिस्सा ब्रिटिश कोलंबिया से रहा है. इसकी गंभीरता को देखते हुए राज्य सरकार ने ड्रग्स ओवरडोज को पब्लिक हेल्थ इमरजेंसी घोषित कर रखा है.
कोरोना काल ने बढ़ाई सरकार की मुश्किलें
हेल्थ इमरजेंसी घोषित करने के बावजूद साल 2020 में दुनिया में आई कोरोना महामारी के बाद ब्रिटिश कोलंबिया में ड्रग्स ओवरडोज की समस्या बढ़ गई.कोविड के वक्त लॉकडाउन में लोग घरों में अकेले थे और खतरनाक ड्रग्स के ओवरडोज ज्यादा शिकार होने लगे.
2022 में 2272 मौतें
सरकार के हालिया डेटा के मुताबिक साल 2022 में ड्रग्स ओवरडोज से 2272 मौतों का मामला सामने आया है. अब सरकार ने एक पायलट प्रोजेक्ट के तहत लोगों के पास थोड़ी मात्रा में ड्रग्स को लीगलाइज करने का फैसला किया है. सरकार ने प्रोजेक्ट इस इरादे के साथ शुरू किया है कि अगर लोगों को थोड़ी मात्रा में डग्स रखने दी जाए तो वो इसके ओवरडोज से बचेंगे. हालांकि ब्रिटिश कोलंबिया के इस फैसले पर काफी विवाद भी है.
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