नई दिल्लीः एक वैश्विक शोध के अनुसार, कुपोषण दुनिया भर में रोग प्रतिरोधक क्षमता में कमी का प्रमुख कारण है, जो तपेदिक (टीबी) का एक प्रमुख कारण है.
अकेले 2021 में 1.06 करोड़ मामलों और 16 लाख मौतों के साथ टीबी दुनिया में मौत का प्रमुख संक्रामक कारक है. बीएमसी ग्लोबल एंड पब्लिक हेल्थ जर्नल में प्रकाशित ऑनलाइन अध्ययन से पता चला है कि टीबी के पांच में से एक मामले का कारण कुपोषण है, जो कि एचआईवी/एड्स के कारण होने वाली मौतों से दोगुने से भी अधिक है.
जानें कितनी खतरनाक है टीबी
एचआईवी/एड्स की तरह, कुपोषण द्वितीयक इम्युनोडेफिशिएंसी का एक कारण है, जिसे कुपोषण जनित इम्युनोडेफिशिएंसी सिंड्रोम (एन-एड्स) के रूप में जाना जाता है. हालांकि, वैश्विक टीबी उन्मूलन प्रयासों में एन-एड्स एचआईवी/एड्स का उपेक्षित चचेरा भाई बना हुआ है. अध्ययन में, शोधकर्ताओं की एक अंतर्राष्ट्रीय टीम ने दशकों के आंकड़ों की समीक्षा की और यह पाया कि एचआईवी/एड्स की तरह एन-एड्स भी टीबी को खत्म करने के प्रयास में विशेष विचार के योग्य है.
संस्थान में मेडिसिन के सहायक प्रोफेसर और शोध के लेखक प्रणय सिन्हा ने बताया, "हालांकि टीबी का पता लगाने और इलाज करने के लिए महत्वपूर्ण तकनीकी प्रगति हुई है, लेकिन मौजूदा साहित्य की हमारी व्याख्या यह है कि हम कुपोषण पर कार्रवाई किए बिना टीबी की घटनाओं और मृत्यु दर में महत्वपूर्ण बदलाव नहीं कर पाएंगे."
कुपोषण से हो रहा इजाफा
पोषण और टीबी पर 75 से अधिक पेपर पढ़ने के बाद, शोधकर्ताओं ने एचआईवी पर कार्रवाई का वैश्विक टीबी महामारी पर पड़ने वाले प्रभाव का संक्षेप में वर्णन किया है. वे बताते हैं कि कुपोषण दुनिया भर में इम्युनोडेफिशिएंसी का प्रमुख कारण है. बोस्टन मेडिकल सेंटर में संक्रामक रोग चिकित्सक सिन्हा ने कहा, “गंभीर कुपोषण वाले लोगों, जैसे एचआईवी वाले लोगों में टीबी का खतरा बढ़ जाता है. हम कुपोषण के बारे में पहले से ही जो जानते हैं उसका लाभ उठाकर टीबी का पता लगाने, इलाज करने और रोकने में सहायता कर सकते हैं.
शोधकर्ताओं का मानना है कि नए उपकरणों को विकसित करना जारी रखना जरूरी है, लेकिन दृष्टिकोण बायोमेडिकल क्षेत्र तक ही सीमित नहीं होना चाहिए.
उदाहरण के लिए, उनकी समीक्षा में शामिल एक अध्ययन में पाया गया कि तपेदिक से पीड़ित व्यक्तियों के घरेलू संपर्कों में टीबी की घटनाओं को सस्ती भोजन टोकरी प्रदान करने से 40 प्रतिशत तक कम कर दिया गया था.
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