देश भर में स्कूल जाने वाली बच्चियों को दिए जाएं मुफ्त सेनेटरी पैड, सुप्रीम कोर्ट ने दिया आदेश

सुप्रीम कोर्ट ने देश में बालिकाओं की स्वास्थ्य सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए एक बड़ा फैसला सुनाया है. कोर्ट ने देशभर के सभी स्कूलों और शिक्षण संस्थानों में पढ़ने वाली छात्राओं को मुफ्त सेनेटरी पैड यानी नैपकिन मुहैया कराने का आदेश जारी किया है. कोर्ट ने आदेश जारी करते हुए कहा है कि देश के सभी राज्य सरकारों को छात्राओं की सुरक्षा और स्वच्छता का पुख्ता इंतजाम करना होगा. 

Written by - Pramit Singh | Last Updated : Apr 11, 2023, 10:31 AM IST
  • राज्य का विषय है सार्वजनिक स्वास्थ्य
  • कोर्ट ने मांगा खर्च का ब्योरा
देश भर में स्कूल जाने वाली बच्चियों को दिए जाएं मुफ्त सेनेटरी पैड, सुप्रीम कोर्ट ने दिया आदेश

नई दिल्लीः सुप्रीम कोर्ट ने देश में बालिकाओं की स्वास्थ्य सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए एक बड़ा फैसला सुनाया है. कोर्ट ने देशभर के सभी स्कूलों और शिक्षण संस्थानों में पढ़ने वाली छात्राओं को मुफ्त सेनेटरी पैड यानी नैपकिन मुहैया कराने का आदेश जारी किया है. कोर्ट ने आदेश जारी करते हुए कहा है कि देश के सभी राज्य सरकारों को छात्राओं की सुरक्षा और स्वच्छता का पुख्ता इंतजाम करना होगा. 

चार हफ्ते में यूनिफार्म पॉलिसी बनाने का दिया निर्देश
इस मुद्दे पर चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जस्टिस जेबी पारदी वाला की पीठ ने फैसला सुनाया है. इस पीठ ने देश भर के सभी स्कूलों में कक्षा 6 से 12वीं तक पढ़ने वाली छात्राओं को फ्री सेनेटरी पैड देने के निर्देश पर केंद्र सरकार को चार हफ्ते में यूनिफार्म पॉलिसी बनाने का निर्देश दिया है. 

इस दौरान पीठ ने कहा कि यह बहुत ही गंभीर और जरूरी मामला है. इसपर केंद्र सरकार राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों को भी हर हाल में शामलि करे. 

राज्य का विषय है सार्वजनिक स्वास्थ्य
कोर्ट में सुनवाई के दौरान केंद्र की ओर से ASG ऐश्वर्या भाटी  ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि वह युवा और किशोर लड़कियों के लिए मासिक धर्म स्वच्छता तक पहुंच में सुधार करने के लिए समर्पित है. लेकिन स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करने की जिम्मेदारी राज्य सरकारों की है, क्योंकि सार्वजनिक स्वास्थ्य राज्य का विषय है. 

कोर्ट ने मांगा खर्च का ब्योरा
कोर्ट ने सभी सरकारों से पीरियड्स के दौरान छात्राओं पर खर्च होने वाली राशि का ब्योरा भी मांगा है. यानी अब राज्य सरकारों को अपने योजनाओं के बारे में जानकारी देनी होगी. साथ ही यह बताना होगी कि वे इस योजना पर केंद्र की राष्ट्रीय स्वास्थ्य योजना का कोष खर्च कर रहे हैं या अपने राजस्व से.

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