Skin Cancer: इन लोगों को सबसे ज्यादा खतरा, जानें क्या हैं इस बीमारी के कारण और बचाव

Skin Care Causes: अधिकतर त्वचा कैंसर के मामले अत्यधिक धूप खासतौर पर सौर अल्ट्रावायलेट (यूवी) विकिरण या तरंगों के संपर्क में आने से होते हैं. ये तरंगें त्वचा की कोशिकाओं को क्षतिग्रस्त कर देती हैं और उनमें बदलाव करती हैं जिससें कैंसर होता है. 

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Feb 5, 2023, 06:33 PM IST
  • ये है स्किन कैंसर होने का सबसे बड़ा कारण
  • इन लोगों को स्किन कैंसर का सबसे ज्यादा खतरा
Skin Cancer: इन लोगों को सबसे ज्यादा खतरा, जानें क्या हैं इस बीमारी के कारण और बचाव

नई दिल्ली: अधिकतर त्वचा कैंसर के मामले अत्यधिक धूप खासतौर पर सौर अल्ट्रावायलेट (यूवी) विकिरण या तरंगों के संपर्क में आने से होते हैं. ये तरंगें त्वचा की कोशिकाओं को क्षतिग्रस्त कर देती हैं और उनमें बदलाव करती हैं जिससें कैंसर होता है. 

ये है स्किन कैंसर होने का सबसे बड़ा कारण

मेलानोमा त्वचा कैंसर का सबसे अधिक प्राणघातक प्रकार है. त्वचा कैंसर का खतरा पारिवारिक इतिहास, जीवनशैली (अधिकतर समय बाहर सूर्य की रोशनी के संपर्क में बिताने पर), त्वचा कैंसर और त्वचा के रंग जैसे व्यक्तिगत सहित कुछ चीजों पर निर्भर करता है. 

अन्य कारकों में त्वचा का आसानी से सूर्य की रोशनी में झुलस जाना, बड़े आकार के तिल या मस्सा होना या वृद्धावस्था शामिल है. त्वचा कैंसर के बड़े कारकों में त्चचा का रंग है. इसे मेलानिन कहते हैं. मेलानिन प्राकृतिक सनस्क्रीन है जो हमें सूर्य की घातक यूवी किरणों से बचाता है. सूर्य से प्रत्यक्ष संपर्क त्वचा कैंसर का सबसे अहम कारक है. 

इन लोगों को स्किन कैंसर का सबसे ज्यादा खतरा

जिन लोगों की त्वचा गहरे रंग की होती है उनकी त्वचा में श्वेत लोगों के मुकाबले मेलानिन अधिक होता है और उनमें सूर्य के संपर्क में होने के बावजूद कैंसर का खतरा कम होता है. गहरे रंग वाले लोगों को भी त्वचा कैंसर हो सकता है लेकिन ऐसे सबूत नहीं मिले हैं जिससे साबित हो कि यह स्थिति त्वचा के झुलसने या सूर्य के संपर्क में आने से उत्पन्न होती है. जो लोग गहरे रंग के हैं उनमें त्वचा कैंसर हथेलियों , पैरों की तालु या उन स्थानों पर होने की आशंका है जहां पर पहले से चोट या घाव है. वहीं, जिन लोगों की त्वचा का रंग हल्का या श्वेत है उनमें सूर्य की यूवी किरणों से त्वचा कैंसर होने का खतरा सबसे अधिक होता है. ऐसे लोग जो लंबे समय तक या दोपहर को जब सूर्य की किरण तेज होती है, सूर्य के संपर्क में रहते हैं तो उनकी त्वचा झुलसने का खतरा अधिक होता है. 

कई अफ्रीकी देशों में लगभग पूरे साल सूर्य से आने वाली अल्ट्रावॉयलेट किरणों का स्तर अधिक होता है और जिन लोगों को खतरा है उन्हें सूर्य के प्रत्यक्ष संपर्क में आने से बचाना चाहिए ताकि त्वचा कैंसर के खतरे को कम किया जा सके. जो लोग सूर्य की रोशनी से होने वाली क्षति जैसे झुर्रियां आना जो स्वास्थ्य खतरा तो उत्पन्न नहीं करती लेकिन शरीर की बनावट को बिगाड़ सकती है, त्वचा के रंग को गहरा करने और कुछ खास तरह की दवाएं लेने वाले लोगों को सूर्य की किरणों से बचने के उपाय करने चाहिए. 

सूर्य की किरणों से बचाव क्यों है जरूरी?

सूर्य की किरणों से बचाव पूरे साल हर मौसम में अहम है न केवल गर्मी के मौसम में जब हम अधिक गर्मी महसूस करते हैं. सूर्य से निकलने वाली यूवी तरंगें सर्दी और बादल छाए रहने के दौरान भी नुकसानदेह हो सकती हैं. इसलिए पूरे साल सूर्य से निकलने वाली तरंगों से बचाव करना चाहिए. सौर यूवी तरंगें पानी, रेत, बर्फ और सीमेंट से बनी सतह से भी परावर्तित हो सकती हैं. इसलिए सूर्य के अत्यधिक संपर्क में आने से बचने के लिए समुद्र तट और बांध के पास भी सूरज से बचाव के उपाय करना अहम है. 

खुद को सूर्य की यूवी तरंगों से बचाने का सबसे आसान तरीका ऐसे कपड़े पहनना है जिससे शरीर का अधिक से अधिक हिस्सा ढका हो, चश्मा और सिर पर हैट पहनें. इन भौतिक अवरोधकों से अधिकतर सौर यूवी किरणों को त्वचा तक पहुंचने से रोकने में मदद मिलती है. हालांकि, यह कपड़े के प्रकार व रंग पर निर्भर करता है. हल्के रंग के कपड़े गहरे रंग के कपड़ों के मुकाबले सूर्य की किरणों से कम रक्षा करते हैं जो अधिक सौर यूवी विकिरण को अवशोषित करते हैं. अगर संभव है तो आप कोशिश करें कि पूर्वाह्न 10 बजे से अपराह्न चार बजे तक सूर्य के संपर्क में जाने के समय को सीमित करें क्योंकि इस दौरान सौर यूवी किरणें अधिक शक्तिशाली होती हैं. 

जानिए स्किन के लिए सनस्क्रीन कितनी फायदेमंद?

अगर बाहर जाना ही पड़े तो सुरक्षा उपाय अपनाएं. सनस्क्रीन बचाव की अन्य पंक्ति है और इसे शरीर के उन स्थानों पर इस्तेमाल किया जा सकता है जिन्हें कपड़ों से नहीं ढका जा सकता है जैसे चेहरा, कान और पैरों का निचला हिस्सा. कोशिश करें कि ऐसा सनस्क्रीन इस्तेमाल करें जिसमें अधिक सन प्रोटेक्शन फैक्टर (एसपीएफ) हो. एपीएफ 50 को माना जाता है कि सूर्य से उचित रक्षा करता है लेकिन कोई भी सनस्क्रीन वहन करने और लगाने से बेहतर है कि इनका इस्तेमाल नहीं करें. सबसे अहम चीज याद रखनी है कि उत्पाद का इस्तेमाल उसपर दिए गए निर्देशों के तहत करें और बार-बार उनका इस्तेमाल करें खासतौर पर तैराकी करने या पसीना आने के बाद. सूर्य की किरणों के सीधे संपर्क में आने से बचें और जहां तक संभव हो छांव में रहें. उदाहरण के लिए पेड़ों, छत और छाते का सहारा लें. 

ध्यान रखें कि अगर छांव के बीच से आ रही किरणों को देखें तो उनसे बचें और यह नहीं सोचें कि आप सुरक्षित हैं जबकि ऐसा नहीं होता. कुछ समय सूरज की किरणों के संपर्क में आने से आपके शरीर को विटामिन डी बनाने में मदद मिलेगी जिससे हड्डियां, दांत और मांसपेशियां स्वस्थ रहते हैं और आप बेहतर महसूस करते हैं क्योंकि इससे सेरोटोनिन हार्मोन का स्राव होता है. सेरोटोनिन हार्मोन आपकी याददाश्त को सुधारने और रात को बेहतर नींद में मददगार साबित हो सकता है. अत्यधिक धूप के संपर्क में रहने से त्वचा झुलस सकती है और त्वचा कैंसर का खतरा बढ़ सकता है. इससे झुर्रियां आदि हो सकती हैं.

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