किसे मिला था देश का पहला राशन कार्ड, कितने किलो मिला था अनाज?

क्या आपने कभी सोचा है कि देश में पहला राशन कार्ड धारक कौन था? या फिर सबसे पहले राशन की दुकान से अनाज हासिल करने वाले को कितनी मात्रा में चीन, चावल या गेंहू मिला था?

Written by - Arun Tiwari | Edited by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Mar 20, 2023, 01:11 PM IST
  • खाद्य सुरक्षा के लिए हुई थी PDS की शुरुआत.
    बंगाल के अकाल तक जाता है इसका इतिहास.
किसे मिला था देश का पहला राशन कार्ड, कितने किलो मिला था अनाज?

नई दिल्ली. सार्वजिक वितरण प्रणाली या राशनिंग के सिस्टम ने भारत में गरीबों के जीवन में अहम मदद की है. विशेष तौर पर कोरोना महामारी के दौरान देशभर में केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने लोगों को जरूरी राशन पहुंचाने के प्रयास किए. सरकार ने इसके लिए कई मंचों पर अपनी पीठ भी थपथपाई है. लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि देश में पहला राशन कार्ड धारक कौन था? या फिर सबसे पहले राशन की दुकान से अनाज हासिल करने वाले को कितनी मात्रा में चीन, चावल या गेंहू मिला था? आइए जानने की कोशिश करते हैं. 

क्या है पब्लिक डिस्ट्रिब्यूशन सिस्टम यानी PDS
सार्वजनिक वितरण प्रणाली की शुरुआत देश में खाद्य सुरक्षा सिस्टम के तहत शुरू की गई थी. केंद्र सरकार ने इसे उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय के अंतर्गत शुरू किया था. इस स्कीम में लोगों को सब्सिडी वाले रेट पर राशन मुहैया कराया जाता था. इस स्कीम में मुख्य रूप से गेंहू, चावल, चीनी और केरोसिन तेल मिलता है. इन दुकानों को फेयर प्राइस शॉप यानी राशन शॉप भी कहते हैं. 

कब हुई थी इस स्कीम की शुरुआत
इस स्कीम की शुरुआत वैसे तो द्वितीय विश्व युद्ध के तौरान 14 जनवरी 1945 को हुई थी. लेकिन वर्तमान अवस्था में चल रही स्कीम जून 1947 में लॉन्च हुई थी. भारत में राशनिंग सिस्टम का इतिहास 1940 के दशक में बंगाल में आए अकाल तक जाता है. वहीं 1960 के दशक में पैदा हुई खाद्य सुरक्षा की बड़ी समस्या के बीच इसे दोबारा मजबूत किया गया था. यह देश में हरित क्रांति के ठीक पहले की बात है. 

केंद्र और राज्य की जिम्मेदारियां
इस व्यवस्था के तहत केंद्र और राज्य दोनों ही सरकारें अपनी जिम्मेदारियां निभाती हैं. जहां एक तरफ केंद्र की जिम्मेदारी अनाज खरीद, भंडारण और अनाज के थोक बंटवारे जुड़ी है तो वहीं राज्य सरकारों का काम इन्हें सही लोगों तक पहुंचाना है. यह काम विभिन्न राशन शॉप के जरिए किया जाता है. राज्य सरकार की जिम्मेदारी गरीबी रेखा से नीचे रह रहे लोगों को चिन्हित करना, राशन कार्ड इशू करना और राशन शॉप की फंक्शनिंग देखना भी है. 

देश में कितने राशन कार्ड, कितनी दुकानें, कितने लाभार्थी
राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा पोर्टल के मुताबिक इस वक्त देश में राशन कार्ड की धारकों की संख्या 19.71 करोड़ है. राशन शॉप की संख्या 5,38,265 है. वहीं कुल लाभार्थियों कि संख्या 80 करोड़ के आस-पास है. 
देश में साल 2013 में नेशनल फूड सिक्योरिटी एक्ट लागू होने के पहले तक तीन तरह के कार्ड की व्यवस्था थी. इसमें एक गरीबी रेखा से ऊपर, दूसरा गरीब रेखा से नीचे और तीसरा अंत्योदय अन्न योजना कार्ड था. साल 2018 में देश की नरेंद्र मोदी सरकार ने 'वन नेशन, वन राशन कार्ड' की योजना लॉन्च की थी.

किसे मिला था पहला राशन कार्ड, कितना मिला था अनाज
देश में सार्वजनिक वितरण प्रणाली की व्यवस्था को लेकर सर्च करने पर जानकारी तो मिलती है लेकिन उस खास व्यक्ति की जानकारी नहीं मिलती जिसे पहला राशन कार्ड मिला था. ना ही यह जानकारी मिलती है कि कौन सा अनाज वितरित किया गया था. हालांकि इस योजना के तहत मिलने वाले शुरूआती अनाजों के बारे में स्टोरी में ऊपर जिक्र किया जा चुका है. 1940 के दशक में शुरू हुई यह व्यवस्था अब देश के हर कोने में गरीब लोगों तक जरूरी अनाज पहुंचाने के क्रम में 'रीढ़ की हड्डी' के तौर पर काम रही है. 

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