घुटनों और कूल्हे की तरह अब AIIMS में होगा सस्ते में कोहनी का रिप्लेसमेंट

AIIMS के हड्डी रोग विभाग के हेड डॉ रवि मित्तल के मुताबिक एल्बो रिप्लेसमेंट उन मरीजों में किया जाता है जिनकी कोहनी में किसी एक्सीडेंट में चोट लगी हो या फिर अर्थराइटिस की बीमारी की वजह उनके जोड़ काम ना कर रहे हों. 

Written by - Pooja Makkar | Last Updated : Feb 21, 2024, 06:04 PM IST
  • सस्ते में होगा कोहनी का रिप्लेसमेंट
  • AIIMS दिल्ली ने शुरू की नई पहल
घुटनों और कूल्हे की तरह अब AIIMS में होगा सस्ते में कोहनी का रिप्लेसमेंट

नई दिल्ली: आपने घुटने और कूल्हे के ज्वाइंट्स यानी जोड़ो के रिप्लेसमेंट के बारे में तो सुना होगा लेकिन क्या आप जानते हैं कि इसी तरह कोहनी का भी रिप्लेसमेंट किया जा सकता है? दिल्ली AIIMS ने IIT दिल्ली के साथ मिलकर कोहनी के रिप्लेसमेंट का सस्ता विकल्प तैयार कर लिया है.

सस्ते में होगा कोहनी का रिप्लेसमेंट 
AIIMS के हड्डी रोग विभाग के हेड डॉ रवि मित्तल के मुताबिक एल्बो रिप्लेसमेंट उन मरीजों में किया जाता है जिनकी कोहनी में किसी एक्सीडेंट में चोट लगी हो या फिर आर्थराइटिस की बीमारी की वजह उनके जोड़ काम ना कर रहे हों. अभी तक भारत में होने वाले एल्बो रिप्लेसमेंट के लिए विदेश से इंम्प्लांट आते हैं. केवल इंम्पलांट की कीमत 2 लाख रुपए है. इसके अलावा विदेशी इंप्लांट भारतीयों की कद काठी के हिसाब से फिट नहीं बैठ पाते हैं, लेकिन अब AIIMS दिल्ली ने आईआईटी दिल्ली के साथ मिलकर एक सस्ता इंम्प्लांट तैयार किया है जिसकी कीमत 30 हजार रुपए तक हो सकती है.  इस रिसर्च को ICMR से फंडिंग मिली है.  

इतना वजन उठा सकती है आर्टिफिशियल एल्बो  
AIIMS के ऑरथोपेडिक सर्जन डॉ भावुक गर्ग के मुताबिक इस इंप्लांट को डिजाईन करने के बाद इसकी मेटिरियल टेस्टिंग और फटीग (FATIGUE) टेस्टिंग हो चुकी है यानी ये आर्टिफिशियल कोहनी कितनी तरह से मुड़ सकेगी. IIT की Fatigue testing मशीन में सामने आया है कि आर्टिफिशियल एल्बो से 2.5 किलो तक वजन उठाया जा सकता है. 

किन लोगों में हो सकती है ये सर्जरी 
बच्चों में ये सर्जरी आमतौर पर नहीं की जाती  है. इसके अलावा हड्डियां बहुत कमजोर हों या उम्र बहुत ज्यादा हो चुकी हो तो भी इस सर्जरी को करने में फायदा नहीं है. टाइटेनियम से बने इस इंप्लांट को Cadevar यानी मृत लोगों पर टेस्ट किया जा चुका है, जिससे इसकी फिटिंग की जांच हो चुकी है. रिप्लेसमेंट यानी आपके शरीर के किसी जोड़ को या हड्डी को आर्टिफिशियल तरीके से बनाए गए जोड़ से बदल देना. हड्डी अकड़ जाए, बेजान हो जाए तो कोहनी को नए इंम्प्लांट से बदला जा सकता है. AIIMS में बन रहे इंप्लांट को पूरी तरह बाजार में आने में 2 साल लग सकते हैं. 

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