पेंशन को लेकर हाई कोर्ट ने दिया बड़ा फैसला, सरकारी कर्मचारियों को मिली ये खुशखबरी

सरकारी कर्मचारियों को पेंशन के संबंध में कोर्ट से राहत मिली. हाई कोर्ट ने कर्मचारियों के पक्ष में फैसला सुनाया है. पेंशन, जो कि बुढ़ापे का बड़ा सहारा होती है, सम्मानपूर्वक बाकी का जीवन जीने के लिए पेंशन का बड़ा महत्व है. ऐसे में कोर्ट के फैसले से कर्मचारियों को खुशखबरी मिली है.

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Feb 18, 2023, 06:32 AM IST
  • गैर नियमित सेवाकाल भी कुल कार्यकाल में जुड़ेगा
  • कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले का दिया हवाला
पेंशन को लेकर हाई कोर्ट ने दिया बड़ा फैसला, सरकारी कर्मचारियों को मिली ये खुशखबरी

नई दिल्लीः सरकारी कर्मचारियों को पेंशन के संबंध में कोर्ट से राहत मिली. हाई कोर्ट ने कर्मचारियों के पक्ष में फैसला सुनाया है. पेंशन, जो कि बुढ़ापे का बड़ा सहारा होती है, सम्मानपूर्वक बाकी का जीवन जीने के लिए पेंशन का बड़ा महत्व है. ऐसे में कोर्ट के फैसले से कर्मचारियों को खुशखबरी मिली है.

गैर नियमित सेवाकाल भी कुल कार्यकाल में जुड़ेगा
न्यूज एजेंसी पीटीआई की रिपोर्ट के मुताबिक, इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ खंडपीठ ने शुक्रवार को कहा कि सरकारी कर्मचारियों का गैर नियमित सेवाकाल भी पेंशन प्रदान करते समय उनके कुल कार्यकाल में जोड़ा जायेगा. हालांकि पीठ ने याचिकर्ताओं को पिछले तीन साल की पेंशन के ही फायदे का हकदार करार दिया है. 

यह आदेश न्यायमूर्ति विवेक चौधरी की एकल पीठ ने उत्तर प्रदेश पेंशन हेतु अर्हकारी सेवा तथा विधिमान्यकरण अधिनियम 2021 की धारा दो की सुप्रीम कोर्ट द्वारा 2019 में प्रेम सिंह के मामले में दिये गये निर्णय की व्याख्या करते हुए पारित किया.

कर्मचारी ने अपनी सेवाएं दी हैं, चाहे स्थायी दी हो या अस्थायी
न्यायमूर्ति चौधरी ने कहा कि उत्तर प्रदेश पेंशन हेतु अर्हकारी सेवा तथा विधिमान्यकरण अधिनियम 2021 की धारा 2 में पेंशन की योग्यता का तात्पर्य है कि कर्मचारी ने अपनी सेवाएं दी हैं, फिर चाहे सेवाएं स्थायी हैं या अस्थायी.

कोर्ट ने 51 रिट याचिकाओं को एक साथ मंजूर कर सुनाया फैसला
अदालत ने कार्य प्रभारी कर्मचारी, दैनिक मजदूर, तदर्थ कर्मचारी अथवा सीजनल संग्रह अमीनों की ओर से अलग-अलग दाखिल करीब 51 रिट याचिकाओं को एक साथ मंजूर करते हुए यह फैसला सुनाया है. याचिकाओं में सरकार के उन आदेशों को चुनौती दी गयी थी, जिनमें उसने पेंशन प्रदान करने के बाबत निर्णय लेते समय याचिकर्ताओं की गैरनियमित सेवाओं को उनकी कुल सेवा में न जोड़ते हुए उनको पेंशन के येग्य मानने से इनकार कर दिया था. 

कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले का दिया हवाला
अपने फैसले में पीठ ने उच्‍चतम न्‍यायालय के प्रेम सिंह के मामले में दिए गए फैसले का हवाला देते हुए कहा कि नियमित कर्मचारियों की भांति ही सालों तक बराबर कार्य करते हुए भी गैरनियमित सेवाकाल के सरकारी कर्मचारियों के कुल सेवाकाल में न जोड़ना विभेदकारी है.

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