AIFF Election: जानिए कौन हैं कल्याण चौबे जिनके कंधों पर होगा भारतीय फुटबॉल का भविष्य

Who is Kalyan Chaubey AIFF New President: कल्याण चौबे ने अध्यक्ष पद के चुनाव में पूर्व दिग्गज फुटबॉलर बाइचुंग भूटिया को हराया. मोहन बागान और ईस्ट बंगाल के पूर्व गोलकीपर 45 वर्षीय चौबे ने 33-1 से जीत दर्ज की. 

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Sep 2, 2022, 04:34 PM IST
  • जानिए कौन हैं कल्याण चौबे
  • AIFF के पहले खिलाड़ी अध्यक्ष बने
AIFF Election: जानिए कौन हैं कल्याण चौबे जिनके कंधों पर होगा भारतीय फुटबॉल का भविष्य

नई दिल्ली: Who is Kalyan Chaubey AIFF New President: अखिल भारतीय फुटबॉल महासंघ (AIFF) को अपने 85 साल के इतिहास में शुक्रवार को पहली बार कल्याण चौबे के रूप में पहला ऐसा अध्यक्ष मिला जो पूर्व में खिलाड़ी रह चुके हैं. उन्होंने पूर्व दिग्गज फुटबॉलर बाइचुंग भूटिया को करारी शिकस्त दी. 

कल्याण चौबे ने भूटिया को दी मात

कल्याण चौबे ने अध्यक्ष पद के चुनाव में पूर्व दिग्गज फुटबॉलर बाइचुंग भूटिया को हराया. मोहन बागान और ईस्ट बंगाल के पूर्व गोलकीपर 45 वर्षीय चौबे ने 33-1 से जीत दर्ज की. उनकी जीत पहले ही तय लग रही थी क्योंकि पूर्व कप्तान भूटिया को राज्य संघों के प्रतिनिधियों के 34 सदस्यीय निर्वाचक मंडल में बहुत अधिक समर्थन हासिल नहीं था. सिक्किम के रहने वाले 45 वर्षीय भूटिया का नामांकन पत्र भरते समय उनके राज्य संघ का प्रतिनिधि भी प्रस्तावक या अनुमोदक नहीं बना था. 

जानिए कौन हैं कल्याण चौबे

पिछले लोकसभा चुनाव में पश्चिम बंगाल के कृष्णनगर सीट से हारने वाले भाजपा के राजनीता कल्याण चौबे कभी भारतीय सीनियर टीम से नहीं खेले हालांकि वह कुछ अवसरों पर टीम का हिस्सा रहे थे. उन्होंने हालांकि आयु वर्ग के टूर्नामेंट में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत का प्रतिनिधित्व किया था. 

वह मोहन बागान और ईस्ट बंगाल के लिए गोलकीपर के रूप में खेले हैं. भूटिया और चौबे एक समय ईस्ट बंगाल में साथी खिलाड़ी थे. 

कांग्रेस विधायक ने जीता उपाध्यक्ष का पद

कर्नाटक फुटबॉल संघ के अध्यक्ष और कांग्रेस के विधायक एनए हारिस ने उपाध्यक्ष के एकमात्र पद पर जीत दर्ज की. उन्होंने राजस्थान फुटबॉल संघ के मानवेंद्र सिंह को हराया. अरुणाचल प्रदेश के किपा अजय ने आंध्र प्रदेश के गोपालकृष्णा कोसाराजू को हराकर कोषाध्यक्ष पद हासिल किया. कोसाराजू ने अध्यक्ष पद के लिए भूटिया के नाम का प्रस्ताव रखा था जबकि मानवेंद्र ने उसका समर्थन किया था. कार्यकारिणी के 14 सदस्यों के लिए इतने ही उम्मीदवारों ने नामांकन भरा था और उन्हें निर्विरोध चुना गया.

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