15 साल बाद सौरव गांगुली ने खोला मुंह, कहा- 'जमकर ठोक रहा था रन फिर क्यों दिखाया बाहर का रास्ता'

अपने 50वें जन्मदिन पर बीसीसीआई प्रेसिडेंट सौरव गांगुली ने एक इंटरव्यू दिया और की सनसनीखेज खुलासे किए. 

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Jul 8, 2022, 08:33 PM IST
  • करियर के शिखर पर था, तब मुझे बाहर किया गया- गांगुली
  • ड्रेसिंग रूम मिस करने पर भी बोले दादा
15 साल बाद सौरव गांगुली ने खोला मुंह, कहा- 'जमकर ठोक रहा था रन फिर क्यों दिखाया बाहर का रास्ता'

नई दिल्ली: भारतीय क्रिकेट में कई खिलाड़ी ऐसे हैं जिनको अच्छा प्रदर्शन के बावजूद टीम से बाहर होना पड़ा और उनका करियर वहीं से खत्म हो गया. संदीप पाटिल से लेकर करुण नायर और सौरव गांगुली तक अनेक खिलाड़ी गुटबाजी के शिकार हो गए. 

अपने 50वें जन्मदिन पर बीसीसीआई प्रेसिडेंट सौरव गांगुली ने एक इंटरव्यू दिया और की सनसनीखेज खुलासे किए. उन्हें आज भी इस बात का मलाल है कि उन्हें बिना कारण के टीम इंडिया से निकाल दिया गया था. 

करियर के शिखर पर था, तब मुझे बाहर किया गया- गांगुली

इंटरव्यू में पूछा गया सवाल: क्या आपको 2008 सत्र में संन्यास लेने का पछतावा है क्योंकि तब आप शायद टेस्ट क्रिकेट में अपनी सर्वश्रेष्ठ बल्लेबाजी कर रहे थे जिसमें आपने इंग्लैंड में इंग्लैंड के खिलाफ और घरेलू सरजमीं पर पाकिस्तान (मैन ऑफ द सीरीज) के खिलाफ रन जुटाये और आस्ट्रेलिया के खिलाफ शानदार अंतिम पारी खेली थी? 

सौरव गांगुली का जवाब : मैं खुद के बारे में एक चीज आपको बता सकता हूं. मुझे अपनी जिंदगी में किसी भी चीज का पछतावा नहीं हुआ है. अगर मैंने आस्ट्रेलिया के खिलाफ श्रृंखला के बाद संन्यास लिया तो तब मैं अपने शिखर पर था. आप टेस्ट मैचों के बारे में बात कर रहे हो, आपको बताना चाहूंगा कि मैंने 2007 सत्र में करीब 1250 रन बनाये थे, जब मुझे वनडे टीम से बाहर कर दिया गया था. मैंने 50 ओवर के क्रिकेट में उस साल 12 अर्धशतक बनाये थे. उसे मैं मेरे करियर का शिखर कह सकता हूं.

ड्रेसिंग रूम मिस करने पर भी बोले दादा

इंटरव्यू में पूछा गया सवाल:  क्या आप ड्रेसिंग रूम ‘मिस’ करते हो? 

सौरव गांगुली का जवाब : मैं ड्रेसिंग रूम ‘मिस’ नहीं करता. मैंने कभी किसी चीज को ‘मिस’ नहीं किया. कुछ भी हमेशा नहीं रहता. हर चीज का अंत होता है. मेरा करियर शानदार रहा और समय आगे बढ़ने का था और मैं खुश हूं कि मैंने शिखर पर अपना करियर खत्म किया. 

इंटरव्यू में पूछा गया सवाल:  1992 और 1996 के चरण के दौरान और फिर ग्रेग चैपल युग के दौरान करीब एक साल के लिये जब आप भारतीय टीम से बाहर थे, क्या आपको कभी महसूस हुआ कि बाहरी ताकतें आपका करियर खत्म करने की कोशिश कर रही थीं. क्या आप गुस्सा महसूस करते हो या आपको उस चरण के लिये कोई शिकायत है? 

जवाब : मैंने जिंदगी में एक बात सीखी है. कोई भी आपका करियर बर्बाद नहीं कर सकता. अगर आप में हुनर, आत्मविश्वास है तो भाग्य आपके हाथों में है. 

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