नई दिल्लीः बीसीसीआई (भारतीय क्रिकेट बोर्ड) के नैतिकता अधिकारी न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) विनीत सरन ने बोर्ड अध्यक्ष रोजर बिन्नी के खिलाफ हितों के टकराव का मामला खारिज कर दिया और कहा कि शिकायतकर्ता संजीव गुप्ता के दावों का कोई आधार नहीं है.
एंकर बहू के चलते की थी शिकायत
गुप्ता ने अपनी शिकायत में तर्क दिया था कि बिन्नी की पुत्रवधू मयंती लैंगर बिन्नी बतौर ‘एंकर’ स्टार स्पोर्ट्स के साथ काम कर रही हैं, जिसका बीसीसीआई से करार है. इससे यह हितों के टकराव का मामला बनता है. स्टार स्पोर्ट्स इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) और भारतीय राष्ट्रीय टीम के घरेलू टूर्नामेंटों के साथ आईसीसी (अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद) के सभी टूर्नामेंट का आधिकारिक प्रसारक है.
शिकायत को किया गया खारिज
मध्य प्रदेश क्रिकेट संघ (MPCA) की शीर्ष परिषद के पूर्व सदस्य गुप्ता भारतीय क्रिकेट के मशहूर खिलाड़ियों के खिलाफ शिकायत दर्ज कराते रहे हैं जिनमें सचिन तेंदुलकर, राहुल द्रविड़, सौरव गांगुली, वीवीएस लक्ष्मण और विराट कोहली भी शामिल हैं. न्यायमूर्ति सरन ने अपने 11 पन्ने 20 बिंदुओं की रिपोर्ट में गुप्ता की शिकायत को खारिज कर दिया और कड़ी चेतावनी भी जारी की कि वह शिकायत संबंधित दस्तावेज ‘गैर संबंधित पक्षों’ के साथ साझा नहीं करें.
बीसीसीआई डॉट टीवी पर अपलोड किये गये इस फैसले में सरन ने कहा, ‘शिकायतकर्ता (गुप्ता) का मामला यह नहीं है कि मयंती लैंगर स्टार स्पोर्ट्स के बिक्री, विपणन, व्यवसाय या प्रबंधन में शामिल है.’
'इसमें कोई भी विवाद नहीं है'
उन्होंने कहा, ‘वह स्टार स्पोर्ट्स के लिये लाइव प्रसारण और पैनल की मेजबानी कर रही हैं. तथ्य यह है कि बीसीसीआई और आईपीएल के लिये मीडिया अधिकार 5.04.2018 और 27.06.2022 को स्टार स्पोर्ट्स को दिये गये थे और इसमें भी कोई विवाद नहीं है.’ उन्होंने कहा, ‘इसलिये यह नहीं कहा जा सकता है कि बतौर अध्यक्ष प्रतिवादी (बिन्नी) ने अपनी पुत्रवधू को स्टार स्पोर्ट्स में शामिल करने के लिए मदद की. मयंती लैंगर स्टार स्पोर्ट्स की कर्मचारी भी नहीं है और वह सिर्फ बतौर ‘एंकर’ अनुबंध पर काम कर रही हैं.’
'इसमें हितों का कोई टकराव नहीं'
सरन ने कहा, ‘इसलिये उनके स्टार स्पोर्ट्स के साथ काम करने में कहीं भी हितों का टकराव नहीं है तो यह नहीं माना जा सकता कि इसमें कोई हितों का टकराव होगा.’ बल्कि सरन ने स्पष्ट रूप से जिक्र भी किया कि बिन्नी और मयंती लैंगर के बीच महज ससुर और पुत्रवधू का रिश्ता होना ही हितों के टकराव का मामला बनने के लिये काफी नहीं है.
न्यायमूर्ति सरन ने गुप्ता को कड़ी चेतावनी भी जारी की कि उन्हें इन शिकायतों और दस्तावेजों को केवल संबंधित पक्षों को ही भेजना चाहिए और ये सार्वजनिक डोमेन में नहीं जानी चाहिए.
(इनपुटः भाषा)
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