CWG 2022: आखिर क्यों कॉमनवेल्थ गेम्स में भारत नहीं दोहरा पाया 2010 का प्रदर्शन, वजह जान नहीं पूछेंगे फिर ये सवाल

 बर्मिंघम में खेले गये कॉमनवेल्थ गेम्स 2022 में भारत ने एक यादगार सफर का समापन 61 पदकों के साथ किया.

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Aug 9, 2022, 11:34 AM IST
  • 2010 में भारत ने जीते थे कुल 101 पदक
  • भारत ने पूरे किये कॉमनवेल्थ गेम्स के 200 गोल्ड मेडल
CWG 2022: आखिर क्यों कॉमनवेल्थ गेम्स में भारत नहीं दोहरा पाया 2010 का प्रदर्शन, वजह जान नहीं पूछेंगे फिर ये सवाल

Commonwealth Games 2022: बर्मिंघम में खेले गये कॉमनवेल्थ गेम्स 2022 में भारत ने एक यादगार सफर का समापन 61 पदकों के साथ किया. पदकों के मामले में कॉमनवेल्थ गेम्स के इतिहास में यह भारत की ओर से किया गया उसका चौथा सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन है जिसमें उसने 22 गोल्ड, 16 सिल्वर और 23 ब्रॉन्ज मेडल अपने नाम किये. भारत की ओर से पदकों के मामले में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन 2010 में आया था जब उसने कॉमनवेल्थ गेम्स में 38 गोल्ड मेडल समेत कुल 101 पदक जीते थे.

2010 में भारत ने जीते थे कुल 101 पदक

इन कॉमनवेल्थ खेलों की मेजबानी भारत की राजधानी दिल्ली में हुई थी, जिसे याद करते हुए अक्सर लोग यह सवाल करते हैं कि आखिरकार भारत 2010 की मिली कामयाबी को उसके बाद दोहरा पाने में नाकाम क्यों रहा है.

इसका जवाब है कि जब भी आप किसी खेल की मेजबानी करते हैं तो उसमें शामिल होने वाले सभी इवेंट्स के लिये अपने आप ही क्वालिफाई हो जाते हैं, जबकि दूसरे देश की मेजबानी होने पर आपको पहले क्वालिफिकेशन के जरिये उस कैटेगरी में जगह बनानी पड़ती है और फिर उस खेल में हिस्सा लेकर पदक जीतने की दावेदारी पेश करनी होती है.

इस वजह से भारत नहीं दोहरा पा रहा है वो प्रदर्शन

2010 के कॉमनवेल्थ खेलों में भारतीय खिलाड़ियों ने 21 खेलों के 272 इवेंट्स में भाग लिया था और शानदार प्रदर्शन करते हुए 38 गोल्ड, 27 सिल्वर और 36 ब्रॉन्ज मेडल अपने नाम किये थे. भारत ने इस दौरान 8 पदक (3 गोल्ड) आर्चरी और 30 पदक (14 गोल्ड) शूटिंग के इवेंटस में हासिल किये थे, जो कि अब कॉ़मनवेल्थ खेलों का हिस्सा नहीं रह गये हैं. भारत ने कुल 38 गोल्ड जीते थे जिसमें से 17 मेडल सिर्फ इन दो खेलों से आये थे.

ऐसे में वो दो खेल जिसमें भारत ने सबसे अच्छा प्रदर्शन किया था उसके हट जाने के बाद उसका कॉमनवेल्थ गेम्स में 2010 के प्रदर्शन को दोहरा पाना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन है. हालांकि इसके बावजूद भारत ने बर्मिंघम में जिस तरह से अन्य खेलों में अपना दबदबा बनाया और पदक हासिल किये उसे देखकर यही कहा जा सकता है कि खेलों में भारत का भविष्य उज्जवल है.

भारत ने पूरे किये कॉमनवेल्थ गेम्स के 200 गोल्ड मेडल

गौरतलब है कि बर्मिंघम खेलों में भारत ने 22 स्वर्ण जीते जिससे उसके कुल स्वर्ण पदकों की संख्या 203 हो गई है. कॉमनवेल्थ गेम्स के आखिरी दिन सिंधू के बाद बैडमिंटन के पुरुष सिंगल्स में लक्ष्य सेन जबकि पुरुष डबल्स में सात्विकसाईराज रंकीरेड्डी और चिराग शेट्टी की जोड़ी ने स्वर्ण जीता.

अचंता शरत कमल ने इसके बाद टेबल टेनिस में स्वर्ण पदक जीतकर इतिहास रच दिया. राष्ट्रमंडल खेलों में स्वर्ण पदकों की कुल संख्या के मामले में ऑस्ट्रेलिया (1003 स्वर्ण पदक) शीर्ष पर है जबकि इंग्लैंड (773) दूसरे और कनाडा (510) तीसरे स्थान पर है. राष्ट्रमंडल खेलों में भारत ने पहला स्वर्ण 1958 में जीता था. यह स्वर्ण महान फर्राटा धावक मिल्खा सिंह ने जीता था. भारत ने इसके बाद हर राष्ट्रमंडल खेलों (1962 और 1986 में भाग नहीं लिया) में स्वर्ण पदक जीता है.

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