नई दिल्लीः शिव और सृष्टि एक दूसरे के पूरक माने जाते हैं. लेकिन शिव का प्रारंभ और अंत किसी को नहीं पता. पौराणिक मान्यता है कि ब्रह्मा और विष्णु जी भी शिव के प्रकाश पुंज का प्रारंभ और अंत नहीं खोज पाए थे तो आम इंसान की बिसात ही क्या.
कलियुग में शिव के आधार का सबसे बड़ा प्रतीक कैलाश पर्वत इंसानी खोज का केंद्र बना हुआ है. सदियों से इस पर रिसर्च जारी है लेकिन सबके हाथ खाली हैं. कैलाश पर्वत अपने आप में कई अलौकिक रहस्यों को समेटे हुए है.
स्वर्ग की सीढ़ी या अनोखी दुनिया
हिमाचल में यमराज के मंदिर से आगे बढ़ने पर स्वर्ग जाने का रास्ता है. रावण की भक्ति को माने तो वहां स्वर्ग जाने की सीढ़ी है. कुबेर की तपस्या से देखें तो वो मानस केंद्र है. वैज्ञानिकों के नज़रिए से देखें तो कैलाश एक बहुत ज्यादा रेडियोएक्टिव रेडिएशन वाला पहाड़.
सच समझने के लिए आप किसी भी तर्क को मान सकते हैं लेकिन हर तर्क यही कहता है कैलाश एक चमत्कार का केंद्र और अलौकिक रहस्य है.अभी तक विज्ञान की रिसर्च और आध्यात्मिक आस्था के आधार पर कैलाश के 9 रहस्य सामने आए हैं.
पहला रहस्यः धरती का केंद्र
धरती के दो पोल माने जाते हैं नॉर्थ पोल और साउथ पोल.दोनों के बीचोबीच हिमालचय की स्थिति मानी जाती है.लेकिन शायद आपको ये नहीं पता होगा कि हिमालय का केंद्र कैलाश पर्वत है. दुनिया की धुरी या दुनिया का केंद्र हिमालय का कैलाश पर्वत है.
दुनिया के केंद्र के साथ-साथ ये धर्मों की आस्था का केंद्र है. यहां पर हिंदू, जैन, बुद्ध और सिख धर्मों के लोगों की अटूट आस्था है यानि धर्म और धरती का अलौकिक रहस्यमयी केंद्र .
दूसरा रहस्यः अलौकिक शक्ति का केंद्र
वैज्ञानिक कैलाश को दुनिया के एक्सिस मुंडी भी कहते हैं. इसको आसान भाषा में समझाएं तो जैसे इंसान के शरीर का केंद्र उसकी नाभि होती है वैसे दुनिया की नाभि कैलाश पर्वत है. इसका मतलब ये हुआ कि ये केंद्र धरती के साथ-साथ आकाश और पृथ्वी के बीच संबंध का एक बिंदु है,
जहां दसों दिशाएं मिल जाती हैं. कुछ वैज्ञानिकों का कहना है कि धरती की नाभि का मतलब वो स्थान जहां अलौकिक शक्ति का प्रवाह होता है और आप उन शक्तियों के साथ संपर्क कर सकते हैं.
तीसरा रहस्यः पिरामिडनुमा कैलाश पर्वत
कुछ वैज्ञानिकों का मानना है कि मिस्त्र के पिरामिड की तरह ही कैलाश पर्वत का निर्माण हुआ है. जो 100 छोटे पिरामिडों का केंद्र है. कैलाश पर्वत की संरचना कम्पास के 4 दिशा बिंदुओं के समान है और एकांत स्थान पर स्थित है, जिसके आस-पास कोई भी बड़ा पर्वत नहीं है.
चौथा रहस्यः शिखर पर कोई नहीं चढ़ सकता
कैलाश पर्वत के शिखर पर कोई नहीं चढ़ सकता. चीन ने भी 2004 के बाद से इस पर्वत पर चढ़ाई को बैन कर दिया है हालांकि कहा जाता है कि 11वीं सदी में बौद्ध योगी मिलारेपा ने इस पर्वत की चढ़ाई की थी और लौटकर जिंदा आने वाले इकलौते शख्स थे लेकिन उन्होंने खुद इस बात को कभी नहीं माना और ना ही अपने मुंह से कभी इस बारे में कुछ कहा इसलिए ये भी एक रहस्य ही है.
आस्था की नज़रों से देखें तो लोगों का मानना है कि कैलाश पर्वत पर शिव जी निवास करते हैं और इसीलिए कोई जीवित इंसान वहां ऊपर नहीं पहुंच सकता. मरने के बाद या वो जिसने कभी कोई पाप न किया हो, केवल वही कैलाश फतह कर सकता है. ऐसा माना जाता है कि कैलाश पर थोड़ा सा ऊपर चढ़ते ही लोग रेडियोएक्टिव रेडिएशन की वजह से दिशाहीन हो जाते हैं और पहाड़ पर बिना दिशा के चढ़ाई करना मतलब मौत को दावत देना है, इसीलिए कोई भी इंसान आज तक कैलाश पर्वत पर नहीं चढ़ पाया.
एक पर्वतारोही के मुताबिक उसने कैलाश पर चढ़ने की कोशिश की थी, लेकिन इस पर रहना असंभव था, क्योंकि वहां शरीर के बाल और नाखून तेजी से बढ़ने लगते हैं. आपकी उम्र खत्म होने लगती है. आपकी ऊर्जा खत्म होने लगती है और मानसिक संतुलन बिगड़ने लगता है, मतलब शरीर मौत की ओर तेज़ी से बढ़ने लगता है.
यह है वैज्ञानिक तर्क
अगर वैज्ञानिक भाषा में कहें तो कैलाश का स्लोप 65 डिग्री से ज्यादा है जिससे चढ़ना आसान नहीं है. वहीं माउंट एवरेस्ट में ये 40-60 डिग्री तक है, जिससे वहां चढ़ाई आसान रहती है. कैलाश पर चढ़ने की आखिरी कोशिश लगभग 18 साल पहले यानी साल 2001 में की गई थी.
जब चीन ने स्पेन की एक टीम को कैलाश पर्वत पर चढ़ने की अनुमति दी थी. फिलहाल कैलाश पर्वत की चढ़ाई पर पूरी तरह से रोक लगी हुई है, क्योंकि भारत और तिब्बत समेत दुनियाभर के लोगों का मानना है कि ये पर्वत पवित्र स्थान है, इसलिए इस पर किसी को भी चढ़ाई नहीं करने देना चाहिए . यानि आस्था के आगे सब नतमस्तक
पांचवां रहस्यः दो रहस्यमयी सरोवर
कैलाश पर सूर्य के आकार की मानसरोवर झील और चंद्रमा के आकार की राक्षस झील भी एक रहस्य है. इन झीलों को सकारात्मक और नकारात्मक ऊर्जा का केंद्र माना जाता है.
एक और रहस्य जिसके बारे में कोई नहीं जान पाया वो है दक्षिण से देखने पर बनने वाला स्वस्तिक का निशान. अलौकिक रहस्यों से भरा अद्भुत पर्वत
छठा रहस्यः नदियों का उद्गम स्थल
यहीं से 4 अलग दिशाओं में 4 नदियां क्यों निकलती है. ब्रह्मपुत्र, सिन्धु, सतलज और करनाली नदिया जो धऱती को 4 भागो में बांटती हैं. इतना ही नहीं कैलाश की चारों दिशाओं में अलग-अलग जानवरों के मुंह भी दिखते हैं जिनसे ये नदियां निकलती हैं. पूर्व में अश्वमुख , पश्चिम में हाथी का मुंह , उत्तर में सिंह का मुंह और दक्षिण में मोर का मुख है.
सातवां रहस्यः सिर्फ पुण्यात्माएं कर सकती हैं निवास
कहा जाता है कि कैलाश पर सिर्फ पुण्यात्माएं ही निवास कर सकती हैं. कैलाश और उसके आसपास निकलने वाली रेडियोएक्टिव तरंगों से पर्वत के चारों ओर अलौकिक शक्ति का प्रवाह होता है. जिससे तपस्वी आज भी आध्यात्मिक गुरुओं के साथ टेलीपैथिक संपर्क करते हैं. इन्हीं तरंगों की वजह से यहां कोई पापात्मा निवास नहीं कर सकती
आठवां रहस्यः कैलाश पर हिम मानव
यहां के स्थानीय लोगों के साथ वैज्ञानिकों का भी मानना है कि हिमालय के इस हिस्से पर यति मानव रहते हैं. कोई इसे भूरा भालू कहता है, कोई जंगली मानव . लोगों का मानना है कि यति मानव लोगों को
मारकर खा जाता है.
नौवां रहस्यः डमरू और ओम की आवाज़
कैलाश मानसरोवर और मानसरोव झील के पास आप ध्यान से सुनेंगे तो आपको लगातार एक आवाज सुनाई देगी. जैसे कि कहीं आसपास में एरोप्लेन उड़ रहा हो . लेकिन ध्यान से सुनने पर ये आवाज डमरू या 'ॐ' की ध्वनि जैसी होती है. वैज्ञानिक कहते हैं कि हो सकता है कि ये आवाज बर्फ के पिघलने की हो. ये भी हो सकता है कि प्रकाश और ध्वनि के बीच इस तरह का समागम होता है कि यहां से 'ॐ' की आवाजें सुनाई देती हों यानि कि केवल कयास.
इन नौ रहस्यों को तो दुनिया ने देखा और समझा है लेकिन इसके अलावां और भी कितने रहस्य हैं जो किसी को समझ में नहीं आए जैसे इस इलाके में कस्तूरी मृग, चमकती मणि, पर्वत की चोटी पर बनने वाले अलग-अलग निशान और आसमान ने दिखने वाली सतरंगी रोशनी यानि केवल चमत्कार और रहस्यों से भरा एक अलौकिक पर्वत.
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