नई दिल्ली: भारतीय परंपरा में नवरात्रि (Navratri) का वक्त बेहद अहम है. इन पवित्र तिथियों में जगदंबा (Devi Durga) स्वयं धरती पर आती हैं. उनके आगमन में भविष्य के कई संकेत छिपे होते हैं. इस बार नवरात्रि की शुरुआत शनिवार से हो रही है. यानी देवी घोड़े पर सवार होकर पधारेंगी. यह युद्ध छिड़ने (World war 3) का संकेत माना जाता है. क्योंकि घोड़ा यानी अश्व युद्ध का वाहन है. इस संकेत का असर पूरी दुनिया पर पड़ना तय है.
प्राचीन भारतीय परंपरा के मुताबिक प्राप्त हुए युद्ध के संकेत की छाया पूरी दुनिया में पहले से ही दिखाई दे रही है. दुनिया में कई जगहों पर सेनाएं सजी हुई हैं. कई जगहों पर जंग शुरु हो चुकी है, वहीं कुछ स्थानों पर सेनाएं एक दूसरे पर हमले के लिए पूरी तरह तैयार बैठी हैं.
1. भारत-चीन का तनाव
भारत और चीन के बीच मई महीने से ही सीमा पर तनाव जारी है. इस दौरान 15-16 जून की रात गलवान घाटी (Galwan valley) में हुए आमने सामने के संघर्ष में 20 भारतीय और 43 चीनी सैनिकों की मौत भी हो चुकी है. हाल ही में पूर्वी लद्दाख में पैंगोंग लेक (Paingong lake) इलाके में घुसपैठ की कोशिश नाकाम करने के लिए भारतीय सेना (Indian Army) ने 29-30 अगस्त की रात वार्निंग के तौर पर गोलियां दागी.
हाल ही में चीन के राष्ट्राध्यक्ष शी जिनपिंग (Xi jinping) ने अपनी सेना को भारत से जंग के लिए तैयार रहने के लिए कहा है.
हिंद महासागर में भी चीन की नौसेना ने कई बार भारतीय जल क्षेत्र का उल्लंघन किया है. जिसके बाद से भारतीय नौसेना भी अलर्ट पर है.
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चीन ने अपनी सीमा पर 60 से 80 हजार सैनिकों की तैनाती कर रखी है. तिब्बत में भारतीय सीमा के नजदीक चीन के युद्धक विमान अपने अड्डे पर तैयार हैं. इसके जवाब में भारत ने भी अपने युद्धक टैंकों की तैनाती कर दी है और ब्रह्मोस जैसी मिसाइलों का मुंह चीन की तरफ मोड़ रखा है है. यह स्थिति बताती है कि भारत और चीन किसी भी समय संघर्ष में उलझ सकते हैं. क्या देवी का घोड़े पर आगमन इसी संघर्ष का पूर्व संकेत है? भारत ने चीन का मनोबल तोड़ दिया है. यहां क्लिक करके पूरी खबर पढ़ें
2. अर्मेनिया-अजरबैजान युद्ध
दुनिया के दो देशों अर्मेनिया और अजरबैजान के बीच जंग चल रही है. इस जंग में दोनों देशों के हताहतों की संख्या बेहद ज्यादा है. अर्मेनिया में नागोर्नो-काराबाख के सैन्य अधिकारियों ने जानकारी दी है कि 27 सितंबर को शुरू हुई लड़ाई में उसके 532 सैनिकों की मौत हो चुकी है.
इसमें हताहत हुए आम नागरिकों की संख्या भी जोड़ दी जाए तो यह संख्या 600 के पार पहुंच जाती है. उधर अजरबैजान में भी काफी लोग मारे गए हैं. लेकिन वहां के आंकड़े सामने नहीं आए हैं. दोनों देशों में चल रहे युद्ध में मारे गए लोगों की संख्या 1200 के पार जाने की आशंका है.
अर्मेनिया अजरबैजान इन दोनों देशों के पीछे दुनिया की महाशक्तियां हैं. जहां अर्मेनिया के पीछे रूस है. वहीं अजरबैजान के पीछे तुर्की और चीन हैं. जिससे लगता है कि इस क्षेत्र में युद्ध लंबा खिंचेगा और ज्यादा मानवीय जानों की हानि होगी.
3. चीन-ताइवान की तनातनी
युद्ध का एक भीषण मोर्चा चीन और ताइवान के बीच तैयार हो रहा है. यहां चीन की सेना अक्सर ताइवान के क्षेत्र का उल्लंघन कर रही है. जिसके खिलाफ ताइवान छोटे मोटे कदम उठा रहा है. चीन ताइवान को अपना हिस्सा समझता है. लेकिन ताइवान ने चीन से अलग अपना अस्तित्व स्थापित करने का मन बना लिया है. ताइवान ने अपना पासपोर्ट जारी किया है. जिसमें उसने चीन से मुक्ति हासिल कर ली है.
इसके अलावा अपनी सीमा का उल्लंघन करने वाले चीन के वायुयानों को भी ताइवान की सेना माकूल जवाब दे रही है. चीन की धमकियों के विरोध में ताइवान ने अमेरिका से गठबंधन किया है. अमेरिका उसे युद्धक सामग्री और तकनीक प्रदान कर रहा है.
लेकिन चीन ताइवान पर कब्जा करने के लिए प्रतिबद्ध है. इसलिए वह किसी भी तरह के दबाव को नकार रहा है. हाल ही में अमेरिका की नौसेना का जहाज चीन के खिलाफ और ताइवान के पक्ष में चीनी सीमा के पास से गुजरा था. जिसपर चीन ने कड़ा विरोध जाहिर किया.
ताइवान और चीन के बीच जो तनाव दिख रहा है. वह कभी भी युद्ध में बदल सकता है. क्या घोड़े पर देवी का आगमन इस युद्ध का भी संकेत है?
4. समुद्र में युद्ध के लिए घेराबंदी
सैन्य तनाव की घटनाओं से समुद्र भी अछूता नहीं है. दक्षिण चीन सागर काफी समय से तनाव का कारण बना हुआ है. इस इलाके में चीन ने मलबा डालकर कई कृत्रिम द्वीप बना दिए हैं. जिसका चीन के पड़ोसी देश विरोध कर रहे हैं. लेकिन चीन अपनी करतूत जारी रखे हुए हैं. उसने अपने इन कृत्रिम द्वीपों पर सैन्य अड्डे बनाने की शुरुआत भी कर दी है. जिसकी वजह से तनाव बढ़ता जा रहा है. जापान, मलेशिया, वियतनाम, फिलीपींस, इंडोनेशिया जैसे कई देश चीन की इस कार्रवाई के विरोध में खड़े हैं.
चीन विरोधी इस खेमे की मदद के लिए अमेरिका के युद्धपोत समुद्र में डटे हुए हैं.
इसके अलावा चीन की तरफ से किसी भी संभावित हमले को देखते हुए भारत ने समुद्र में भी तैयारी शुरु कर दी है. भारत ने मलक्का स्ट्रेट के पास अंडमान निकोबार द्वीप समूह के पास अपना नौसैनिक अड्डा तैयार किया है. जो समुद्र में चीनी सेना की गतिविधियों को देखते हुए तैयार किया गया है.
लेकिन इसकी वजह से हिंद महासागर और प्रशांत महासागर में जंग की छाया मंडराने लगी है. चीन की तरफ से किसी भी आक्रामक कार्रवाई को रोकने के लिए ऑस्ट्रेलिया, अमेरिका, जापान के साथ भारत ने भी हाथ मिला लिया है. लेकिन चीन के लिए समुद्री रास्तों पर कब्जा जीने मरने पर का प्रश्न है. क्योंकि इसी रास्ते से उसके विदेश व्यापार का बड़ा हिस्सा गुजरता है. इसलिए वह भी बेचैन हो रहा है. लेकिन चीन की हरकतें ऐसी है कि भारत सहित दुनिया भर के देश उससे आंख मूंद नहीं सकते.
इसलिए समुद्र में चीन के खिलाफ मोर्चेबंदी गहरा गई है. जो कि कभी भी जंग में तब्दील हो सकती है.
इन चारो क्षेत्रों के अलावा भी लीबिया, लेबनान, इराक में सशस्त्र संघर्ष चल रहा है. इसके अतिरिक्त तुर्की और सऊदी अरब के बीच इस्लामिक देशों के नेतृत्व को लेकर होड़ बढ़ती जा रही है. जो कि तनाव का एक बड़ा कारण है. यहां भी चीन और अमेरिका पीछे से अपनी चालें चल रहे हैं. यह विवाद भी युद्ध में बदल सकता है.
दुनिया पर छाया हुआ कोरोना संकट वैश्विक परिदृश्य में तनाव का एक दूसरा कारण है. पूरी दुनिया इसके लिए चीन को जिम्मेदार मानते हुए दंडित करना चाहती है. लेकिन चीन उल्टा आरोप लगा रहा है. यह भी विश्व के देशों के बीच बढ़ते तनाव का कारण है. संसार में कहीं भी एक छोटी सी चिंगारी विश्वयुद्ध को जन्म दे सकती है.
इन परिस्थितियों को देखते हुए देवी जगदंबा ने इस वर्ष घोड़े पर सवार होकर आने का फैसला किया है. जिसे देखते हुए लगता है कि विश्वयुद्ध अब नजदीक ही है.
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