जल्दी बूढ़ा न होना हो तो चाणक्य का कहा मानिये

कौटिल्य के नाम से विख्यात आचार्य चाणक्य की नीतियां जीवन के युद्ध में भी विजय दिलाने वाली होती हैं. बस शर्त यही है कि उनको सही तरह से समझा भी जाए और सही तरह से अमल में भी लाया जाए.   

Written by - Parijat Tripathi | Last Updated : May 22, 2020, 07:36 PM IST
    • संस्कृत में हैं आचार्य के नीति सन्देश
    • नीति शास्त्र के चौथे अध्याय का 17वां श्लोक है यह
    • मूल रूप से क्या है वह नीति श्लोक
    • ये तीनों बच सकते हैं समयपूर्व वृद्धावस्था से
    • स्त्री और अश्व को कैसे बचाये असमय बुढ़ापे से
 जल्दी बूढ़ा न होना हो तो चाणक्य का कहा मानिये

नई दिल्ली.  आचार्य चाणक्य के नीति वाक्य सारी दुनिया के लिए अत्यंत बहुमूल्य हैं क्योंकि यह मानव जीवन के रणक्षेत्र में चौमुखी विजय प्राप्त कराते हैं. आचार्य चाणक्य की बताई इस बात में कितना गहरा अर्थ अंतर्निहित है, इसको पढ़ कर और समझ कर अनुभव किया जा सकता है. उन्होंने बताया है कि हम ऐसा क्या करें जिससे शीघ्र जरावस्था अर्थात बुढ़ापे को न्योता देने से बचा जा सके.

 

संस्कृत में हैं आचार्य के नीति सन्देश

मूल रूप से आचार्य चाणक्य द्वारा ये बहुमूल्य नीति वाक्य संस्कृत में श्लोक रूप में लिखे गए हैं. इनको समझने के लिए संस्कृत का ज्ञान होने के साथ तर्क की बुद्धि भी आवश्यक है ताकि आचार्य के संदेशों को आप सही तरह से समझ सकें.

नीति शास्त्र के चौथे अध्याय का 17वां श्लोक है यह

चंद्रगुप्त मौर्य को अखंड भारत का सम्राट बनाने वाले उनके गुरु और मार्गदर्श आचार्य चाणक्य को कौन नहीं जानता. वे नीति शास्त्र के महान ज्ञाता भी माने जाते हैं. आचार्य चाणक्य के नीति शास्त्र  के चौथे अध्याय के 17वें श्लोक में इस श्लोक का उल्लेख मिलता है.

 

 

मूल रूप से क्या है वह नीति श्लोक

आचार्य चाणक्य ने जीवन संबंधी  अपने कई महत्वपूर्ण नीति वाक्यों के माध्यम से उचित रूप में जीवन यापन करने का निर्देश दिया है.  यहां दिया जा रहा उनका नीति श्लोक वृद्धावस्था से यथासम्भव बचाव की दिशा में किये जाने वाले प्रयत्नों का मार्गदर्शन करते हैं. 

अध्वा जरा मनुष्याणां वाजिनां बंधनं जरा ।

अमैथुनं जरा स्त्रीणां वस्त्राणामातपं जरा ।।

ये तीनों बच सकते हैं समयपूर्व वृद्धावस्था से

 इस नीति श्लोक के माध्यम से आचार्य ने स्त्री, पुरुष, घोड़े के बुढ़ापे के कारण को समझाया है. पुरुष को वृद्धावस्था से बचाने के लिए आचार्य ने कहा है कि पुरुष को निरंतर भ्रमण करना ठीक नहीं है क्योंकि लगातार पैदल चलने वाला व्यक्ति का शरीर तक कर जल्दी ही बूढ़ा हो जाता है.

स्त्री और अश्व को कैसे बचाये असमय बुढ़ापे से

स्त्री के विषय में आचार्य निर्देश करते हैं कि पति के साथ प्रणय नहीं करने वाली स्त्री असमय ही वृद्धावस्था को प्राप्त हो जाती है. इसलिए स्त्री को पति के साथ रतिक्रिया करते रहना चाहिए. घोड़े को मनुष्य का उलटा बताते हुए आचार्य ने कहा कि घोड़े को बाँध कर रखने से उसकी शक्ति कम होने लगती है और वह जल्दी बूढ़ा हो जाता है. इसलिए घोड़े को खोल कर रखना चाहिए ताकि वह चहलकदमी करता रहे.

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