नई दिल्लीः ईसाई समुदाय ईसा मसीह की याद में आज गुड फ्राइडे पर्व मना रहा है. प्रभु यीशु के क्रूस पर चढ़ाए जाने की याद में शुक्रवार को गमगीन माहौल में गुड फ्राइडे मनाया जाएगा. दरअसल यीशु मसीह के कई चमत्कार देखकर कट्टरपंथी यहूदी उनसे जलन रखने लगे थे. ईसा मसीह को कंधों पर लकड़ी के क्रूस को रखकर पहाड़ी व कटीले रास्ते पर चलाया गया. सिर पर कांटों का ताज पहनाया गया. उनके हाथों व पैरों में कीलें ठोंकी गईं, क्रूस पर 6 घंटे लटकाया गया. इस दौरान ईसा मसीह यीशु ने 7 वचन दिये.
गुलगुता में सूली पर चढ़ाया गया
ईसा मसीह को सूली पर चढ़ाने के लिए उनके विरोधी उन्हें गुलगुता नामक स्थान पर ले गए. वहां उन्हें सलीब पर टांग दिया गया. इसके बाद एक दोष पत्र पढ़ा गया जो पिलातुस ने लिखा था. इस पर लिखा था 'यीशु नासरी यहूदियों का राजा' ईसा को क्रूस पर लगा दिया. इस समय दोपहर के लगभग 12 बजे थे, अपनी मृत्यु के पूर्व के तीन घंटों में यीशु मसीह ने क्रूस पर जो सात वचन कहे थे, वह आज भी अमर हैं.
- पहली वाणी :हे पिता इन्हें क्षमा कर, क्योंकि ये नहीं जानते कि क्या कर रहे हैं.
- दूसरी वाणी :मैं तुझ से सच कहता हूँ कि आज ही तू मेरे साथ स्वर्गलोक में होगा.
- तीसरी वाणी :हे नारी देख, तेरा पुत्र। देख, तेरी माता.
- चौथी वाणीः हे मेरे परमेश्वर, हे मेरे परमेश्वर, तूने मुझे क्यों छोड़ दिया?
- पांचवीं वाणीः मैं प्यासा हूं.
- छठी वाणीः पूरा हुआ.
- सातवीं वाणी- हे पिता मैं अपनी आत्मा तेरे हाथों में सौंपता हूं.
सलीब पर कही गई ईसा मसीह के जरिए निकली इन सात वाणियों को मसीह समाज परमेश्वर के आदेश की तरह मानता है. इन वाणियों में कहीं भी दुख या रोष नहीं है. यह जीवन का उद्देश्य है, जो अलग-अलग बार अलग-अलग तरीके से समाज के सामने रखा गया है.
जीवन जीने के जो दर्शन बताए जाते हैं, ईसा ने अपने सात वचनों में अंतिम समय में भी लोगों तक वही संदेश पहुंचाने की कोशिश की. वस्तुतः यही वह अमृत वचन हैं जो हर आदर्श धर्म अपने अनुयायियों को बताता है.
ईसा मसीह के सात वचन और सनातन धर्म की शिक्षाओं में समानता
सलीब पर मसीह ने जो सात शिक्षाएं दी, सनातन परंपरा में वह सदियों से रची बसी हैं. सभी शिक्षाओं का मूल देखें तो धर्म का जो विस्तृत स्वरूप भारतीय मनीषा में रचा गया है वह उसी का सार रूप है. पहले वचन में ईसा क्षमाशीलता की बात करते हैं. ऋषि व्यास ने पुराणों में क्षमा को श्रेष्ठ बताया है. महाभारत में वह युधिष्ठिर से भी कहलवाते हैं, क्षमा धर्म है, क्षमा दान है.
जहां सत्य वहीं स्वर्ग
इसके बाद सत्य की बात होती है. भारतीय मनीषा सत्यम शिवम सुंदरम की बात करती है. ईसा कहते हैं कि मैं तुझ से सच कहता हूँ कि आज ही तू मेरे साथ स्वर्गलोक में होगा. वह संकेत करते हैं कि सत्य ही परमेश्वर का स्वरूप है और जहां यह है वहीं स्वर्ग है. इसी तरह तीसरी वाणी, हे नारी देख, तेरा पुत्र, देखी तेरी माता. यहां मां को ईश्वरीय दर्जा दिया गया है. परमेश्वर का दया स्वरूप ही मां है. श्रीकृष्ण भी कहते हैं माता ही परब्रह्म है.
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ईश्वर की ओर रिक्त होकर बढ़िए
जब ईसा आगे बढ़ते हैं तो वह खुद को परमेश्वर की शरण में पाते हैं. यहां वह संदेश देते हैं कि कठिन परिस्थितियों में भी परमेश्वर का साथ नहीं छोड़ना चाहिए. वह सलीब पर हैं और स्थिति पीड़ाजनक है, फिर भी वह परमेश्वर से सवाल कर रहे हैं. यही हाल कुरुक्षेत्र के मैदान में अर्जुन का है.
वह ईश्वर की शरण में है और सवाल कर रहा है. ईश्वर इस कठिन परिस्थिति में उसके अज्ञानता का नाश कर रहे हैं. फिर ईसा मसीह कहते हैं कि मैं प्यासा हूं. यह स्वीकार करने वाली बात है. अभिमान न करने की सीख है. यानी कि आप ईश्वर के पास ज्ञान के लिए रिक्त होकर जाइए.
अपना उद्देश्य बनाइए और पूरा कीजिए
छठवें वचन में मसीह कहते हैं कि पूरा हुआ. यानी कि वह संदेश देते हैं कि जीवन में एक उद्देश्य बनाइए औऱ उसे जरूर पूरा कीजिए. यही ज्ञान महाभारत में श्रीकृष्ण देते हैं. कहते हैं उठे हे अर्जुन, अपने लक्ष्य की ओर देखो और इसे साधकर जीवन सफल करो.
सातवें वचन में मसीह कहते हैं हे पिता मैं अपनी आत्मा तेरे हाथों में सौंपता हूं. यह सर्वस्व समर्पण की बात है. वेद मंत्र की ऋचाएं इदं न ममं की व्याख्या करती हैं. युद्ध भूमि में खड़ा अर्जुन खुद को परमात्मा को सौंप देते हैं. यह समानताएं इस बात की पु्ष्टि करती हैं कि धर्म या मत कोई भी हो, उनकी आदर्श स्थिति एक है. परमेश्वर का ज्ञान. गुड फ्राइडे इसी की सीख देता है.
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