नई दिल्ली: मान्यताओं के मुताबिक काशी ही ऐसी नगरी है जहां मां भगवती बाबा विश्वनाथ के दाहिनी ओर विराजमान है. पौराणिक कथाओं में इसे ही सृष्टि का आदि माना गया है. और माना जाता है कि यहां भगवान शिव से ब्रह्मा और विष्णु उत्पन्न हुए.
अब सिर्फ पारंपरिक परिधान में होंगे दर्शन
काशी जैसी मान्यता किसी तीर्थ स्थल को नहीं मिली. क्योंकि कहा जाता है यहां स्वयं भगवान शिव विराजते हैं. कहते हैं जो भी भक्त काशी विश्वनाथ के दर्शन करता है भगवान शंकर उसकी सारी मनोकामनाएं पूरी करते हैं और उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है. लेकिन अब बाबा के दर्शन के लिए आपको भारतीय परिधान में आना होगा.
भगवान के दर पर 'ड्रेस कोड'
काशी विश्वनाथ मंदिर में दर्शन के लिए अब ड्रेस कोड निर्धारित कर दिया गया है. अब धोती कुर्ता पहन कर पुरुष और साड़ी में महिलाएं ही बाबा के स्पर्श दर्शन कर सकेंगी. काशी विश्वनाथ मंदिर को लेकर तय की गई नई व्यवस्था के तहत अब जींस, पैंट, शर्ट और सूट पहने लोग दर्शन तो कर सकेंगे लेकिन उन्हें स्पर्श दर्शन करने की अनुमति नहीं होगी. काशी विश्वनाथ मंदिर में स्पर्श दर्शन के लिए ड्रेस कोड लागू होने के साथ-साथ स्पर्श दर्शन की अवधि भी बढ़ाई जा रही है. ये निर्णय रविवार को मंदिर प्रशासन और काशी विद्वत परिषत के विद्वानों की हुई बैठक में लिया गया.
भगवान के दर पर एक 'रंग' दिखेगा हर भक्त
ये नई व्यवस्था मकर संक्रांति के बाद लागू होगी और मंगला आरती से लेकर दोपहर की आरती तक हर दिन Dress Code वाला नियम लागू रहेगा. मंदिर के प्रवेश द्वार पर महिलाओं के लिए साड़ियां भी रखी जाएगी. इसके अलावा महिला पुलिसकर्मी के साथ दोनों प्रवेश द्वार पर चेंजिंग रूम भी बनाए गए है.
श्री काशी विश्वनाथ मंदिर में अभी तक श्रद्धालु दूर से ही बाबा का दर्शन कर पाते थे. जिसको ध्यान में रखते हुए इस तरह का फैसला लिया गया है ताकी अधिक से अधिक श्रद्धालु बाबा का स्पर्श दर्शन कर पाए. काशी विश्वनाथ मंदिर में हर दिन करीब हजारों श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं. इनमें से करीब तीन हजार विदेशी होते हैं.
अब आपको देश के बड़े मंदिरों में ड्रेस कोड के बारे में बताते हैं
महाकाल मंदिर, उज्जैन- पुरुषों को धोती और महिलाओं को साड़ी में ही प्रवेश
मां धूमावती मंदिर, दतिया- उचित ड्रेस नहीं तो दूर से होते हैं दर्शन
जैन मंदिर, भोपाल- जैन मंदिरों में जींस-टॉप में प्रवेश नहीं
घृष्णेश्र्वर मंदिर, एलोरा- पुरुषों को शर्ट, बनियान, बेल्ट उतरना पड़ता है
गोल्डन टेंपल, अमृतसर- भक्त सिर ढंक कर ही अंदर जा सकते हैं
मनसा देवी मंदिर, पंचकूला- मंदिर में बेल्ट और हथियार नहीं ले जाते
तिरुपति और गुरुवयूर मंदिर- पैंट और ट्रॉउजर्स पहनने पर पाबंदी
इंद्र कीलाद्री मंदिर, विजयवाड़ा- महिलाओं को पहनने होते हैं पंरपरागत कपड़े
मनकामेश्वर मंदिर, लखनऊ- धोती या हाफ पैंट में पुरुषों की एंट्री नहीं
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भारत विभिन्न संस्कृति, नस्ल, भाषा और धर्म का देश है. ये “विविधता में एकता” की भूमि है जहां अलग-अलग जीवन-शैली और तरीकों के लोग एकसाथ रहते हैं. लेकिन धार्मिक स्थलों पर अलग भाषा, अलग जाति और समुदाय के लोग एक साथ एक ही परिधान में लोग नजर आते हैं. भारत के कुछ धार्मिक स्थल ऐसे हैं जहां आपको इन परंपरा का पालन करना जरूरी हो जाता है. जैसे राजस्थान के अजमेर शरीफ में महिलाओं के स्कर्ट पहनने पर पाबंदी है वहां महिलाओं को सिर ढकना जरूरी होता है. वहीं उज्जैन के महाकाल मंदिर में लड़कियों के जीन्स, कैप्री, गाउन पहन कर जाना वर्जित है. जबकि स्वर्ण मंदिर, अमृतसर में चाहे स्त्री हो या पुरुण सबका सिर ढक कर रखना जरूरी है. वहीं तिरुपति मंदिर में पुरुषों के लिए धोती, महिलाओं के लिए साड़ी जरूरी है.
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