नई दिल्ली. रालोसपा के मुखिया उपेंद्र कुशवाहा हाल ही में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से क्या मिले, बिहार में अटकलों का दौर शुरू हो गया. माना जा रहा है कि इस मीटिंग के केंद्र में बिहार विधान परिषद की मनोनयन कोटे की दर्जन भर सीटों को भरे जाने की योजना हो सकती है. इसके समानांतर रूप से हाल ही में प्रांतीय चुनावों में अपनी हार की वजह तलाश रहा जेडीयू पिछड़े और मुस्लिम वोटरों के बीच पकड़ मजबूत करने के लिए उनके कुछ बड़े नेताओं को अपनी पार्टी में लाना चाहता है.
उपेंद्र कुशवाहा ने किया इंकार
जहां एक तरफ नीतीश कुमार से उपेंद्र कुशवाहा की बैठक के कई अर्थ लगाए जा रहे हैं वहीं इस पर उपेंद्र कुशवाहा मीटिंग को लेकर तो हामी भरते हैं किन्तु इसके पीछे का कारण पूछने पर उनका कहना है कि वे फिलहाल किसी भी इस तरह के नये राजनीतिक गठजोड़ की संभावना नहीं देख रहे हैं.
किया था दो पार्टियों से गठजोड़
इसके पहले उपेंद्र कुशवाहा बिहार के विधानसभा चुनावों के दौरान चर्चित हुए थे जब उन्होंने बसपा और आइएमआइएम से गठबंधन कर डाला था और इस गठबंधन के मंच से मुख्यमन्त्री पद के उम्मीदवार स्वयं उपेंद्र कुशवाहा थे. अब सीएम नितीश कुमार से उनकी मुलाकात क्या गुल खिलाती है ये देखने वाली बात होगी.
दोनो को है एक-दूजे की जरूरत
इन विधानसभा चुनावों में 28 सीटों का नुकसान उठा कर सीटों की संख्या में मार खाई जेडीयू अब संख्या बल को लेकर गंभीर हो रही है और इसके लिये पिछड़ी जमात से अपनी राजनीतिक सशक्तता में वृद्धि करना भी उसके लिये एक अच्छा विकल्प है. दूसरी तरफ उपेन्द्र सिंह कुशवाहा देश और प्रदेश के दोनो चुनावों में लोकसभा और विधानसभा चुनावों में नामवर नहीं बन सके, इसलिये वो भी किसी नई रणनीति को जन्म दे सकते हैं.
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