नई दिल्ली: नये कृषि कानूनों के खिलाफ किसान पिछले 50 दिनों से दिल्ली की अलग-अलग सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहे हैं, कांग्रेस सांसद राहुल गांधी किसानों पर सियासत करने में जुटे हुए हैं. तमिलनाडु के मदुरै में जल्लीकट्टू कार्यक्रम में राहुल शामिल हुए. इसपर भारतीय जनता पार्टी ने कहा है कि 'उत्तर भारत में कांग्रेस साफ हुई, दक्षिण में भी कुछ नहीं मिलेगा.'
जल्लीकट्टू कार्यक्रम में राहुल गांधी
केरल के वायनाड से कांग्रेस के सांसद राहुल गांधी (Rahul Gandhi) किसानों को नैतिक समर्थन देने के लिए आज तमिलनाडु में हैं, जहां वो मदुरै में जल्लीकट्टू कार्यक्रम में शरीक हुए. कृषि क़ानूनों के खिलाफ आंदोलन कर रहे किसानों का वह नैतिक समर्थन कर रहे हैं.
Shri @RahulGandhi arrives at the Jallikattu arena where the excitement was at peak before the event began. #VanakkamRahulGandhi pic.twitter.com/34lpqDp8M0
— Congress (@INCIndia) January 14, 2021
अब आपको दिल्ली से मदुरै तक की दूरी को समझाते हैं. तमिलनाडु (Tamil Nadu) के मदुरै शहर की दूरी देश की राजधानी दिल्ली से करीब 2500 किलोमीटर है और सड़क के रास्ते अगर वहां पहुंचना हो तो 44 घंटे यानी करीब 2 दिन का वक्त लगता है, जबकि इसी दिल्ली (Delhi) की सिंघु बॉर्डर एक सीमा है. जो राहुल गांधी (Rahul Gandhi) के आवास से महज 40 किलोमीटर दूर है और वहां पहुंचने में लगने वाला वक्त भी एक घंटे से कम है. यहां ये समझने वाली बात है कि किसानों के समर्थन के लिए राहुल ने 40 किलोमीटर की जगह 2500 किलोमीटर दूर की जगह को चुना है. इसी वजह से सवाल उठता है कि क्या राहुल के लिए राजनीति 'एंटरटेनमेंट' है?
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क्या है जल्लीकट्टू?
- पोंगल पर खेला जाने वाला खेल
- 'जल्ली' मतलब सिक्का, 'कट्टू' मतलब बांधा हुआ
- खेल में सांड के सींग पर कपड़ा बांधते हैं
- सांड के सींग पर बंधे कपड़े को निकालने का खेल
- सांड के कूबड़ को पकड़ने का खेल
- सबसे ज्यादा वक्त तक कूबड़ पकड़ने वाले को इनाम
- तमिलनाडु के अलावा कर्नाटक में भी प्रचलित
- जल्लीकट्टू के दौरान लोगों की मौत भी हो जाती है
राहुल गांधी के इस दौरे पर सवाल क्यों उठता है ये भी आपको समझाते हैं. दरअसल, किसानों को इस समर्थन में भी कांग्रेस की सियासत छिपी है. तमिलनाडु में इसी साल अप्रैल-मई में चुनाव होने हैं और जल्लीकट्टू से यहां के लोगों की आस्था जुड़ी है. इसी में शामिल होने पर राहुल गांधी पर सवाल खड़े किये जा रहे हैं.
कांग्रेस की राजनीति को समझिए
आपको याद दिला देते हैं कि वर्ष 2016 में पिछले चुनाव में जिस जल्लीकट्टू को बंद करने का वादा कांग्रेस (Congress) ने अपने घोषणापत्र में किया था. आज उसी कार्यक्रम में राहुल गांधी किसानों को नैतिक समर्थन के लिए शामिल हुए. ऐसे में सवाल तो उठेगा ही. जल्लीकट्टू (Jallikattu) पर कांग्रेस के इस यू-टर्न को आप सिलसिलेवार तरीके समझिए.
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11 जुलाई 2011 को तत्कालीन यूपीए सरकार (UPA Government) ने तमिलनाडु के परम्परागत खेल जल्लीकट्टू पर रोक लगा दी और इस रोक को 7 मई 2014 को सुप्रीम कोर्ट ने पूर्णत: प्रतिबंधित कर दिया. जनवरी 2016 में मोदी सरकार ने अधिसूचना में संशोधन करते हुए जल्लीकट्टू को कुछ विशेष शर्तों के साथ अनुमति दे दी, लेकिन जुलाई 2016 में पेटा ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की. जिसकी अगुवाई कांग्रेस नेता जयराम रमेश (Jairam Ramesh) ने की, जिस पर फैसला सुनाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने सरकार के फैसले को पलट दिया और एक बार फिर जल्लीकट्टू पर प्रतिबंध लगा दिया. खुद मई 2016 में तमिलनाडु विधानसभा के वक्त कांग्रेस ने अपने घोषणापत्र में वादा किया कि सरकार बनने पर जल्लीकट्टू को प्रतिबंधित किया जाएगा.
अब उसी जल्लीकट्टू की कांग्रेस को फिर याद आई है और यही वजह है कि राहुल बाबा जल्लीकट्टू में लड़ने वाले बैलों के खेल के जरिए आंदोलन कर रहे अन्नदाताओं को नैतिक समर्थन देने पहुंचे. सवाल उठना जरूरी है कि कांग्रेस पार्टी की सोच जलीकट्टू को लेकर कैसे बदल गई? 2016 में जयराम रमेश जलीकट्टू को एक बर्बर प्रथा बता रहे थे, लेकिन अब राहुल गांधी को जलीकट्टू देखने जाने में कोई दिक्कत नहीं है.
LIVE: Shri @RahulGandhi attends Jallikattu event in Madurai, Tamil Nadu. #VanakkamRahulGandhi https://t.co/puXhfeRQ5n
— Congress (@INCIndia) January 14, 2021
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