नई दिल्ली: कोरोना महामारी ने देश के कई राज्यों में दोहरी दिक्कतें पैदा की हैं और इन्ही में से एक है झारखंड. जहां एक तरफ उद्योग धंधों की दिक्कत है तो दूसरी तरफ प्रवासी मजदूरों और राज्यों में वापसी करने वाले उन मजदूरों की भी दिक्कत है. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने अपनी सरकार द्वारा किये जा रहे कामों का विस्तार से विवरण ज़ी हिंदुस्तान के मंच पर प्रस्तुत किया.
झारखण्ड में गरीब वर्ग का विशेष ख्याल कर रही सरकार- हेमंत सोरेन
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने ज़ी हिंदुस्तान से कहा कि हमारी सरकार राज्य में गरीब, मजदूर और किसानों की समस्याओं पर विशेष ध्यान दे रही है. आज हम लोगों ने सामाजिक सुरक्षा की पुख्ता तैयारी की है. आज गांव में कोई भी भूखा नहीं है. सभी लोगों को हम भरपेट अनाज दे रहे हैं. भरपेट खाना खिला रहे हैं. आज झारखंड में कहीं किसी को कोई शिकायत नहीं है.
ज़ी हिंदुस्तान: लॉकडाउन में आप किस क्षेत्र में अधिक सख्ती करने का सुझाव देंगे और किसमें अधिक ढील?
हेमंत सोरेन, मुख्यमंत्री,झारखंड: खुशी वाली बात यह है कि झारखंड में मरीजों के ठीक होने की दर 50 प्रतिशत है और देश में 30 प्रतिशत. लॉक डाउन होने के बाद चाहे ग्रीन जोन हो, ऑरेंज जोन हो, रेड ज़ोन हो, उसमें भारत सरकार के गृह मंत्रालय की जो गाइडलाइन समय-समय पर आती रहती है, उसको भी ध्यान में रखते हुए हम आगे डिसाइड करते हैं हालांकि अभी तक लॉक डाउन पूरे तरीके से लागू है.किसानों को अपने काम करने के लिए कुछ ढील देनी चाहिये.
ज़ी हिंदुस्तान: केंद्र सरकार के 20 लाख करोड़ के आर्थिक पैकेज में झारखंड के लिए क्या चाहते हैं?
हेमंत सोरेन, मुख्यमंत्री,झारखंड: आज के दिन एक रुपए की भी अगर हमें जरूरत पड़ती है तो केंद्र की ओर हमें नजरें करनी पड़ती है क्योंकि हमारे पास संसाधन जुटाने की कोई भी व्यवस्था नहीं है. सारी चीजें केंद्र पर ही निर्भर हैं और आदिवासी, दलित, अल्पसंख्यक बहुल इलाके यहां पर ज्यादा हैं. इन वर्गों की आर्थिक सामाजिक और शैक्षणिक स्थिति किसी से छिपी नहीं है. केंद्र सरकार को इनके उत्थान के लिये विशेष मदद देनी चाहिए.
ज़ी हिंदुस्तान: झारखण्ड में बड़ी कंपनियों के निवेश को लेकर आपकी क्या रणनीति है.
हेमंत सोरेन, मुख्यमंत्री,झारखंड: झारखंड खनिज संपदा से भरपूर राज्य है. कोयला-लोहा-यूरेनियम के अलावा हमारे पास और भी ऐसे संसाधन हैं. अगर उन संसाधनों पर सरकारों की नजर होती तो मुझे नहीं लगता कि आज यह राज्य मजदूरों का प्रदेश होता . आज संयोग से मुझे संक्रमण के दौर में यह राज्य मिला है और मुझे बहुत सारे ऐसे क्षेत्रों को समझने का, उनकी स्टडी करने का मौका मिल रहा है. कुकून का उत्पादन झारखंड में सबसे अधिक होता है. 50% बुनकर अल्पसंख्यक समुदाय के लोग हैं. साठ हजार मीट्रिक टन लाह पैदा करने वाला यह प्रदेश आज 10 हजार मैट्रिक टन लाह उत्पादन कर रहा है. जो आज मालिक होने चाहिए थे, वह मजदूर बने हुए पड़े हैं, जो मजदूर थे वह मालिक बने हुए पड़े हैं. हमें ये स्थिति बदलनी पड़ेगी.
झारखण्ड मजदूर प्रधान राज्य है- हेमन्त सोरेन
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि हम तो मजदूर प्रधान मेरा राज्य हैं. हम सबसे पहले डिमांड करने वाले लोगों में से हैं कि हमारे मजदूर हमें वापस करे. भारत सरकार की अनुमति के कभी कोटा से छात्रों को कभी मजदूरों को अपने-अपने बसों से ला रहे हैं. यह असंवैधानिक तरीके से लोगों को लोगों को लाना शुरू किया हमने बहुत एक काफी गंभीर पत्र गृह मंत्री जी को लिखा कि अगर हमें मजदूर नहीं मिलेंगे तो हम निश्चित रूप से दूसरे रास्ते अख्तियार करने पर मजबूर हैं. अलग-अलग राज्यों से पूरे मजदूरों की आज हमारे पास लगभग कंट्रोल रूम में है. वहां पर 6 से 7 लाख मजदूरों का पूरा डिटेल हमारे पास है. कौन कहां फंसा है किस तरीके से किस हालात में है. इस पर हमारी नजर है.
ज़ी हिंदुस्तान: किसानों के लिए सरकार की क्या योजना है.
हेमंत सोरेन, मुख्यमंत्री,झारखंड: आज इसको लेकर किसानों को राहत देने की भी बात हमने सोच रखी है और बेमौसम बारिश भी हो रही है. बर्फ गिर रही है सबके तरबूज फल और सब्जियां बर्बाद हो रही है. बारिश यदा-कदा हो जा रही है मौसम भी बहुत तेजी से करवट ले रहा है और मुझे लगता है संक्रमण तो अपनी जगह है और दूसरा संक्रमण गरीबों और किसानों के ऊपर जो मौसम की मार है. हम उनकोे उबारने की कार्य योजना बना चुके थे और जो फसलें बर्बाद हुई है उन फसलों का हम क्षतिपूर्ति भी देंगे और आने वाले समय में खेती के लिए जो तैयारी होगी उसके लिए भी हमारा प्रयास है कि समय से पहले बीज खाद उपलब्ध करवा दिया जाए ताकि अगली खेती के लिए किसान तैयारी कर सकें और इसको लेकर डिपेंड करता है कि केंद्र सरकार कितना सहयोग कर दी है, घूम फिर के हम वहीं आ जाते हैं.
केंद्र की तरह राज्यों को भी आर्थिक संकट- सोरेन
मुख्यमंत्री ने कहा कि देश की अर्थव्यवस्था इस कोरोना में नहीं कोरोना के पहले से ही लड़खड़ाई हुई पड़ी है. जिस तरीके से आर्थिक संकटों से केंद्र गुजर रहा है, हर राज्य सरकार भी उसी संकट से गुजर रही है. कल को हो सकता है कि हम अपने एम्पलॉइस को तनख्वाह ना दे पाएंगे ऐसी स्थिति में राज्य सरकारों को कहीं ना कहीं आर्थिक रूप से सुदृढ़ होने के लिए जिस तरीके से आजाद देश की अर्थव्यवस्था को सुधारने के लिए मजदूरों के कानून में लेबलो में बदलाव करते हैं तो क्या टैक्सेशन सिस्टम में बदलाव करने की आवश्यकता महसूस नहीं होती. उन्होंने कहा कि राज्य सरकारों को कर वसूलने का अधिकार मिले ताकि हम भी अपनी अर्थव्यवस्था को बड़ा करके केंद्र को सहयोग कर पाए.
ज़ी हिंदुस्तान: छात्रों की पढ़ाई को लेकर झारखंड सरकार की क्या योजना है.
हेमंत सोरेन, मुख्यमंत्री,झारखंड: प्राइवेट स्कूल ने अपने हिसाब से सॉफ्टवेयर डेवलप करके बच्चों को घर से ही पढ़ाई करा रहे हैं. सरकारी स्कूलों में निश्चित रूप से यह कार्य योजना चुनौतीपूर्ण है और आने वाले समय में शिक्षा में हमको इतनी दिक्कत ना हो इसकी तैयारी आज से करनी पड़ेगी.