कश्मीर में बैठकर जो उगलते हैं देश के खिलाफ ज़हर, वो अपना दाग धुलने लगे

कश्मीर में बैठे कुछ नेताओं की जुबान भले ही देशहित के लिए खुले या ना खुले लेकिन देश का विरोध करने के लिए और आग उगलने के लिए जरूर खुल जाती है. लेकिन आजकल ये नेता गुपकार गठबंधन के नाम से गैंग बनाकर अपनी देशविरोधी चरित्र पर पर्दा डालने की कोशिश में हैं..

Written by - Ayush Sinha | Last Updated : Oct 24, 2020, 06:30 PM IST
  • महबूबा मुफ्ती के घर पर गुपकार गठबंधन की बैठक
  • 9 दिनों में 'गुपकार गैंग' की दूसरी बैठक, अब्दुल्ला बने अध्यक्ष
  • कश्मीर में मुसलमानों ने किया महबूबा के बयान का विरोध
  • महबूबा मुफ्ती ने 370 को लेकर दिया था देशविरोधी बयान
कश्मीर में बैठकर जो उगलते हैं देश के खिलाफ ज़हर, वो अपना दाग धुलने लगे

कश्मीर में बैठकर देश के खिलाफ अपनी ज़ुबान से जहर उगलने वाले, सियासतदानों की दुकानें बंद होने की कगार पर आई तो वो एकसाथ आकर अपनी गोटी सेट करने में जुट गए हैं. दरअसल, शनिवार को कश्मीर में आर्टिकल 370 की वापसी के लिए गुपकार गठबंधन की बैठक हुई. जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती के घर पर गुपकार गठबंधन की बैठक आयोजित की गई. इस बैठक में गुपकार अलायंस का एक्शन प्लान तैयार करने पर विचार किया गया.

चीन और पाकिस्तान का तलवा चाटेंगे, लेकिन..

जम्मू कश्मीर के अलगाववादी नेता और कुछ देश विरोधी बातें करने वाले राजनेताओं की असलियत इससे समझी जा सकती है कि वो हमेशा पाकिस्तान की वकालत करते रहते हैं, वो पाकिस्तान.. जिसने हमेशा भारत को जख्म ही दिया है. आजकल तो इन कश्मीरी नेताओं के लिए चीन भी भगवान बन गया है. इन्हें लगता है कि चीन की मदद से वो जम्मू कश्मीर में अनुच्छेद 370 की दोबारा बहाली करा लेंगे.

उनकी फितरत ही बन गई है कि उन्हें अपना देश हिन्दुस्तान पसंद नहीं आता है. कश्मीर को लहूलुहान करने वाले पाकिस्तान और भारत की पीठ पर खंजर घोंपने वाले चीन की तलवा चाटने में उन्हें मजा आता है. फारूक अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती जैसे नेताओं की देशविरोधी बयानबाजी का ढेरों सबूत मौजूद है.

किस हक की बात कर रहे हैं फारूक अब्दुल्ला?

जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला को चेयरमैन बनाया गया है, जबकि महबूबा मुफ्ती को उपाध्यक्ष चुना गया. महबूबा मुफ्ती के घर पर गुपकार गठबंधन की बैठक में गठबंधन के अध्यक्ष बनाए गए फारूक अब्दुल्ला ने कहा कि कश्मीर को उसका हक वापस मिले. यहां सवाल ये है कि अब्दुल्ला साहेब कश्मीर के किस हक का हवाला दे रहे हैं. वो हक जिसपर उन्होंने और उनके जैसे नेता सालों से कालसर्प की तरह कुंडली मारकर बैठे हुए थे.

फारूक साहेब को 370 के खात्मे से इसी बात का दर्द हो रहा है कि उनकी राजनीति का अब अंत हो चुका है. दहशतगर्दी के बढ़ने से उन लोगों की दुकानें जो चमकती रहती थी, अब उनका अस्तित्व खतरे में पड़ गया है. इसीलिए तो वो गुपकार जैसे छल का सहारा लेने की कोशिश में हैं.

महबूबा मुफ्ती के बयान का कश्मीर में विरोध

कश्मीर में जहां फारूक अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती जैसे नेता अपनी खोई राजनीतिक जमीन हासिल करने के लिए आर्टिकल 370 की वापसी पर जोर दे रहे हैं और देशविरोधी बयान दे रहे हैं. वहीं कश्मीर के आम लोग इन नेताओं का खुल कर विरोध कर रहे हैं. महबूबा मुफ्ती ने शुक्रवार को तिरंगे झंडे का अपमान किया था. जिसके बाद शनिवार को कश्मीर के मुसलमानों ने महबूबा के बयान का विरोध किया.

दरअल, महबूबा मुफ्ती के राष्ट्र विरोधी बयानों के खिलाफ लोगों में काफी गुस्सा देखा जा रहा है. जम्मू में महबूबा की तस्वीर जलाई गई, क्योंकि उन्होंने शुक्रवार को कहा था कि "कश्मीर के अलावा कोई दूसरा झंडा नहीं उठाऊंगी." महबूबा मुफ्ती के बयान का कश्मीर में जबरदस्त विरोध होने लगा. जम्मू में महबूबा के पोस्टर जलाए गए इतना ही नहीं श्रीनगर में लगाए विरोध में नारे. महबूबा जैसे नेताओं को ये समझ लेना चाहिए कि अब उनके देशविरोधी चरित्र को ये नया कश्मीर कतई स्वीकार नहीं करेगा.

'गुपकार गैंग' का प्लान 370

अनुच्छेद 370 की वापसी को लेकर बनाए गए गुपकार गठबंधन की 9 दिनों में दूसरी बैठक आयोजित हुई. 15 अक्टूबर को फारूक अब्दुल्ला के घर बैठक हुई थी, अब 24 अक्टूबर को महबूबा मुफ्ती के घर बैठक हुई. इस दौरान कश्मीर के वो नेता अपने दाग और पाप को धुलने की कोशिश की, जिन्होंने भारत देश के खिलाफ अपनी ज़हरीली जुबान के आग उगली है. फारूक अब्दुल्ला और सज्जाद लोन जैसे नेताओं ने इस बैठक के बाद सफाई देते हुए अपनी देशविरोधी बयानबाजी को लेकर दलील पेश की है.

फारूक अब्दुल्ला ने कहा कि "ये जो फालसे प्रोपेगंडा बीजेपी कर रही है कि गुपकर एंटी नेशनल है, तो कहना चाहता हूं कि ये एंटी नेशनल नहीं है ये एंटी बीजेपी जरूर है. वतन को डिवाइड करने की फ़ेडरल स्ट्रक्चर तोड़ने की कोशिश की है. ये एंटीनेशनल जमात नहीं है / हमारा मकसद JK और लदाख के लोगों को हक़ वापस दिलाने का है. जहा हम ऑटोनोमी की बात करते है, वहीं हम जम्मू और लद्दाख की रीजनल ऑटोनोमी की भी बात करते है की उनको मिलनी  चाहिए जम्मू और लदाख को भी रीजनल ऑटोनोमी मिलनी चाहिए."

वहीं सज्जाद लोन ने कहा कि "एक महीने के अंदर डॉक्यूमेंट बनाया जाएगा और सारी सच्चाई मुल्क के सामने रखेंगे. झूठ का पर्दाफाश करेंगे. 15 दिन में अगली मीटिंग हम जम्मू में करेंगे. गुपकर का सिंबल वही होगा जो श्रीनगर सेक्रेटरिएट पर लहराता था. हमारा जो डॉक्यूमेंट होगा वो हमारी एक साल की हुकूमत को बताएगा. 17 नवंबर को कन्वेंशन होगा."

इन नेताओं ने शुरू से ही कश्मीर को भारत का हिस्सा नहीं माना है, तभी तो बार बार ये पाकिस्तान की भाषा बोलते हैं. इन्हें अनुच्छेद 370 के खात्मे से बहुत तकलीफ हुई है. लेकिन आज पूरा देश और खासतौर पर कश्मीर के लोग इन नेताओं की करतूत को समझ चुके हैं. इसका असल जम्मू से श्रीनगर तक दिख रहा है, जहां महबूबा की बदजुबानी का विरोध कर रहे हैं.

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