नई दिल्ली: कांग्रेस के अंदर रहकर सचिन पायलट (Sachin pilot) और पार्टी छोड़ चुके ज्योतिरादित्य सिंधिया (jyotiraditya scindia) दोनों ही कांग्रेस आलाकमान (Gandhi Family) के लिए मुसीबत बने हुए हैं.
दोनो की आवाज रह रह कर कांग्रेस पर काबिज गांधी खानदान की सत्ता पर कुठाराघात कर रही है. सिंधिया-पायलट दोनो ने गांधी खानदान के वफादारों के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है.
राजस्थान में सचिन पायलट ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से आरक्षण पर सवाल करते हुए चिट्ठी-बम गिराया है. वहीं सिंधिया ने पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ और दिग्विजय सिंह का नाम लेकर हमला शुरु कर दिया है.
क्योंकि वह जानते हैं कि यही वह क्षत्रप हैं. जो गांधी खानदान को मजबूती देते हैं.
पायलट का चिट्ठी-बम
सचिन पायलट राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की सत्ता हिलाने की पूरी कोशिश में जुटे हैं. उन्होंने अपनी ही सरकार को चिट्ठी लिखी है.
जिसमें उन्होंने कहा है कि ''मेरे संज्ञान में लाया गया है कि राज्य सरकार द्वारा निकाली गई भर्तियों में एमबीसी समाज को 5 प्रतिशत आरक्षण नहीं दिया जा रहा है. पुलिस कांस्टेबल भर्ती 2018 और रीट भर्ती 2018 में भी 5 प्रतिशत आरक्षण नहीं दिया गया. राज्य के विभिन्न क्षेत्रों से आए प्रतिनिधिमंडलों ने उनसे मिलकर और प्रतिवेदनों के जरिए इस मुद्दे को उठाया है.'
उनका यह पत्र शनिवार को मीडिया में जारी हुआ.
राजस्थान में सरकारी नौकरियों में गुर्जर और अति पिछड़ा वर्ग (एमबीसी) को 5 प्रतिशत आरक्षण की बात कांग्रेस के घोषणापत्र में थी. सचिन पायलट ने मुख्यमंत्री को यही याद दिलाते हुए पत्र लिखा है.
चंद ही दिनों पहले सचिन पायलट और अशोक गहलोत के बीच टकराव से राजस्थान की कांग्रेस सरकार संकट में आ गई थी. गहलोत के खिलाफ मोर्चा खोलने वाले सचिन पायलट को राहुल गांधी और प्रियंका गांधी के हस्तक्षेप के बाद बड़ी मुश्किल से मनाया गया.
कांग्रेस में मचे घमासान के समय ही मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने सचिन पायलट से उपमुख्यमंत्री का पद छीन कर उन्हें कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष पद से भी हटा दिया था. यही नहीं गहलोत ने पायलट को निकम्मा और बीजेपी के साथ मिलकर साजिश करने वाला भी बताया था.
पायलट ने पार्टी में लौटने का तो फैसला कर लिया है लेकिन वह गहलोत को माफ करने के मूड में नहीं हैं. जबकि वह अच्छी तरह जानते हैं कि गहलोत की ताकत गांधी परिवार से उनकी वफादारी है.
गहलोत के कमजोर होने के मतलब गांधी खानदान का कमजोर होना है. फिर भी पायलट मानने के लिए तैयार नहीं हैं.
कांग्रेस छोड़ चुके सिंधिया ने भी किया नाक में दम
गांधी खानदान के दूसरे सबसे बडे वफादार मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ और दिग्विजय सिंह हैं. ये दोनों ही दिग्गज सोनिया और राहुल गांधी के बेहद करीबी हैं. इन्हीं दोनों का साजिशों से तंग आकर ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कांग्रेस छोड़ी थी. उसके बाद वह नाम ले-लेकर कमलनाथ और दिग्विजय की पोल खोल रहे हैं.
भाजपा के राज्यसभा सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया ने मध्य प्रदेश की पूर्ववर्ती कमलनाथ सरकार पर राज्य की जनता के साथ धोखा करने का आरोप लगाया है. मुरैना में शनिवार को आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान ज्योतिरादित्य सिंधिया ने राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ और दिग्विजय सिंह को गद्दार की उपाधि दे डाली.
ग्वालियर - चंबल संभाग ने कांग्रेस को सत्ता दी लेकिन @OfficeOfKNath ने इसी क्षेत्र के साथ सबसे ज्यादा भेदभाव किया।
यहां के विधायकों से मिलने के लिये मुख्यमंत्री के पास समय तक नहीं था। आज इन्हें नैतिकता याद आ रही है! :- राज्यसभा सांसद श्री @JM_Scindia pic.twitter.com/jE6mcP5Yp7
— BJP MadhyaPradesh (@BJP4MP) September 12, 2020
उन्होंने कहा, 'मुझे गद्दार कहते हैं, अरे कमलनाथ जी और दिग्विजय सिंह जी इतिहास के पन्ने पलट लो, डीपी मिश्रा जी ने जनता के खिलाफ कदम उठाया था तब राजमाता ने डीपी मिश्रा जी की सरकार को जमीन पर लाकर मिट्टी चटा दी थी. कमलनाथ और दिग्विजय सिंह मध्य प्रदेश के सबसे बड़े गद्दार हैं.'
ज्योतिरादित्य ने आगे बड़ा बयान दिया कि अगर किसी ने राज्य की जनता को छला है तो वे कलमनाथ और दिग्विजय सिंह हैं, जिन्होंने 15 महीनों के दौरान किसानों के ऋण माफ नहीं किए. उन्होंने शिवराज सरकार पर 8 हजार करोड़ का ऋण छोड़ दिया है.
उन्होंने कहा कि ग्वालियर-चंबल संभाग ने कांग्रेस को सत्ता दी लेकिन कलमनाथ ने इसी क्षेत्र के साथ सबसे ज्यादा भेदभाव किया. यहां के विधायकों से मिलने के लिये मुख्यमंत्री के पास समय तक नहीं था. आज इन्हें नैतिकता याद आ रही है.
गहलोत, कमलनात और दिग्विजय तीनों ही गांधी खानदान की वफादारी के स्तंभ हैं. जिनपर स्वयंभू प्रथम परिवार की सत्ता कायम है. पायलट और सिंधिया इन्हीं खंभों को हिलाने में लगे हुए हैं.
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