नई दिल्ली: महाराष्ट्र में राज्यपाल के फैसले ने उद्धव सरकार की मुश्किलें बढ़ा दी है. राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को एमएलसी मनोनित करने पर फैसला टालते ही अब गेंद चुनाव आयोग के पाले में है.
देवेंद्र फडणवीस ने कही ये 'बड़ी बात'
महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने उद्धव ठाकरे के मजबूरी को देखते हुए एक ट्वीट किया, वो भी तब, जब ठाकरे की कुर्सी खतरे में पड़ गई है. उन्होंने ट्वीट में लिखा है, "हम चुनाव आयोग से सिफारिश करने के राज्यपाल के फैसले का स्वागत करते हैं. हमें विश्वास है कि केंद्रीय चुनाव आयोग, केंद्रीय गृह मंत्रालय के सलाह से विधान परिषद की 9 सीटों के लिए तुरंत चुनाव कराने का निर्णय करेगा. इसके अलावा, यह उन संकेतों का भी पालन करेगा कि राज्यपाल द्वारा नियुक्त सदस्य मंत्री या मुख्यमंत्री नहीं बनने चाहिए."
We welcome Hon Governor @BSKoshyari ji's decision to recommend the ECI to conduct the election of the 9 vacant seats of Maharashtra Legislative Council expeditiously.
We are sure that the ECI, in consultation with Ministry of Home Affairs will take decision to take election ASAP.— Devendra Fadnavis (@Dev_Fadnavis) April 30, 2020
शुक्रवार सुबह चुनाव आयोग की बैठक है, जिसमें महाराष्ट्र में MLC की 9 खाली सीटों पर चुनाव को लेकर फैसला हो सकता है. इससे पहले महाराष्ट्र कैबिनेट ने मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के नामांकन की सिफारिश की थी.
राज्यपाल ने उम्मीदों पर फेर दिया पानी
भरोसा था कि राज्यपाल उद्धव ठाकरे को विधान परिषद का सदस्य मनोनीत कर देंगे, लेकिन उम्मीदों के ठीक उलट हुआ. गवर्नर ने चुनाव आयोग से जल्द चुनाव कराने की अपील कर दी. वो भी तब, जब उद्धव ठाकरे ने पीएम मोदी से 3 दिन पहले फोन पर बात की थी.
ऐसा नहीं हुआ तो चली जाएगी CM की कुर्सी
उद्धव ठाकरे मुख्यमंत्री NCP और कांग्रेस की मदद से सीएम तो बन गए लेकिन वो महाराष्ट्र में अभी किसी सदन के सदस्य नहीं है. उद्धव ठाकरे के लिये 28 मई तक सदन का सदस्य बनना ज़रूरी है. तय तारीख तक उद्धव किसी सदन के सदस्य नहीं बनते हैं तो उन्हें मुख्यमंत्री के पद से इस्तीफा भी देना पड़ सकता है.
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शिवसेना और बीजेपी के बीच कड़वाहट कोई नई बात नहीं हैं. जब साथ में गठबंधन की सरकार में थे तब भी शिवसेना केंद्र सरकार का विरोध करने में चार कदम आगे रहती थी. लेकिन शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस की सरकार बनने के बाद बीजेपी और शिवसेना के बीच रिश्तों में और कड़वाहट आ गई.
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