मुंबई: महाराष्ट्र में राजभवन और सरकार में एक बार फिर मतभेद सामने आया है. राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने सूबे में मंदिरों को खोले जाने की मांग की है. इसके लिए उन्होंने चिट्ठी भी लिखी है. जिसके जवाब में मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने कहा है कि लोगों का जीवन बचाना सरकार का प्रथम कर्तव्य है.
महाराष्ट्र में मंदिर खोलने पर 'महाभारत'
'महोदय' आपने मेरे हिंदुत्व का उल्लेख किया वो सही है. लेकिन मुझे किसी से मेरे हिंदुत्व के लिए सर्टिफिकेट की जरूरत नहीं है. मेरे राज्य और राज्य की राजधानी को पीओके कहने वाले का आपने स्वागत किया, ये मेरे हिंदुत्व में फिट नहीं बैठता है.'
महाराष्ट्र के राज्यपाल ने मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को पत्र लिखकर मंदिर खोलने के बोला. जिसके जवाब में उद्धव ने राज्यपाल को कहा कि जनता की जो भावना है भगवान की पूजा करने साथ ही लोगों का जीवन बचाना ये हमारे सरकार (उद्धव सरकार) का प्रथम कर्तव्य है.
आइए आपको बताते हैं कि राज्यपाल ने अपने तल्ख पत्र में उद्धव ठाकरे को ऐसा क्या लिख दिया था जिसपर वो तिलमिला गए हैं. दरअसल, महाराष्ट्र में मंदिरों को खोलने की मांग तेज हो गई है. इसके लिए साधु, संत समाज की ओर से अनशन की तैयारी शुरू हो गई है. खास बात ये है कि अनशन का मुख्य केन्द्र शिरडी होगा, महाराष्ट्र बीजेपी ने इस अनशन का समर्थन किया है.
मंदिर खोले जाने को लेकर आंदोलन
कोरोना से हर कोई परेशान है क्या अमीर क्या गरीब, लेकिन अब धीरे धीरे गाड़ी पटरी पर लाई जा रही है. लोग धीरे-धीरे अपने कामों पर जाने लगे है, लगभग सब कुछ खुल चुका है होटल, लॉज, शराब की दुकानें, लेकिन मंदिर अब भी बंद है और अब मंदिरों को खोलने की मांगे तेज हो गई है. इसे लेकर महाराष्ट्र में आंदोलन की तैयारी शुरू हो चुकी है राज्य के कई साधु, संत समाज अलग-अलग हिन्दू धार्मिक संगठनो ने मिलकर 13 अक्टूबर को अनशन करने की तैयारी शुरू कर दी है. इस अनशन का मुख्य केन्द्र शिर्डी होगा, मुम्बई में सिद्धिविनायक मंदिर के बाहर अनशन की तैयारी है, महाराष्ट्र बीजेपी ने इस सांकेतिक भूख हड़ताल का समर्थन किया है ,और सहयोग भी दिया है.
साधु-संतों के प्रदर्शन को बताया राजनीति
तो वहीं दूसरी तरफ सरकार की ओर से इसे राजनीति बताया जा रहा है महाविकास आघाड़ी सरकार में मंत्री असलम शेख ने बताया कि कोरोना को ध्यान में रखते हुए सरकार धार्मिक स्थलों को खोलने की जल्दबाजी में लोगों की जान से खिलवाड़ नहीं करेगी, वर्कआउट होने की बात कही है. साथ ही इस पर भविष्य में जल्द ही एहतियात बरतते हुए धार्मिक स्थलों को खोलने पर फैसला लेने के बारे में विचार करने की बात कही है.
फिलहाल राज्य में मंदिरों को खोलने की मांग तो शुरू हो चुकी है, अब इसमें देखना ये होगा कि साधु संतों के इस अनशन से राज्य की राजनीति कितनी गर्म होगी, और राज्य सरकार इसे किस तरह से देखती है.
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