मुंबई: भाजपा का साथ छोड़कर जो उद्धव ठाकरे मुख्यमंत्री बनने के लिए अपने राजनीतिक और वैचारिक शत्रुओं से मिल गए थे उनकी वही मुख्यमंत्री पद की कुर्सी खतरे में पड़ गयी थी. हालांकि राज्यपाल की सह्रदयता के चलते अब खतरा लगभग टल गया है. राज्यपाल ने चुनाव आयोग से विधानपरिषद चुनाव करवाने की सिफारिश कर दी है जो उसने स्वीकार भी कर ली है. अगर राज्यपाल चुनाव आयोग से सिफारिश न करते तो उद्धव ठाकरे की कुर्सी अवश्य चली जाती.
चुनाव आयोग ने चुनाव कराने को दी मंजूरी
राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने चुनाव आयोग से आग्रह किया था कि जल्द से जल्द महाराष्ट्र विधान परिषद की 9 खाली सीटों पर चुनाव कराया जाए. राज्यपाल ने कहा था कि राज्य में मौजूदा संकट को खत्म को देखते हुए विधान परिषद की सीटों पर चुनाव का ऐलान हो, जो 24 अप्रैल से खाली हैं. अब आयोग ने चुनाव कराने का ऐलान कर दिया है.
आपको बता दें कि राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने कहा था कि केंद्र सरकार ने देश में लॉकडाउन के बीच कई छूट और उपायों का एलान किया है. ऐसे में विधान परिषद के चुनाव कुछ दिशानिर्देशों के साथ हो सकते हैं.
6 माह की समय सीमा मई में खत्म
आपको बता दें कि उद्धव ठाकरे ने राज्य के मुख्यमंत्री के तौर पर 27 नवंबर को शपथ ली थी. वह इस समय न तो राज्य से विधायक हैं और न ही विधान परिषद के सदस्य. संविधान के अनुसार उन्हें छह महीने के अंदर किसी सदन का सदस्य बनना जरूरी है. जिसके लिए समयसीमा 27 मई को खत्म हो रही है.
बिना विधायक नहीं रह सकते मुख्यमंत्री
कोई भी नेता अगर किसी भी सदन का सदस्य नहीं तो वो 6 महीने से अधिक मुख्यमंत्री पद पर नहीं रह सकता. उद्धव ठाकरे फिलहाल न तो विधानसभा के सदस्य हैं और न ही विधानपरिषद के. ऐसे में उनके 6 महीने 27 मई को पूरे हो जाएंगे. तब तक किसी भी हालत में उन्हें चुनाव लड़कर विधानमंडल तक पहुंचना जरूरी है. कोरोना संक्रमण के कारण चुनाव करा पाना मुश्किल प्रतीत होता है.
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उल्लेखनीय है कि पहले विधानपरिषद के सदस्यों के चुनाव 24 अप्रैल को प्रस्तावित थे लेकिन बाद में इन्हें कोरोना वायरस के कारण टाल देना पड़ा. पहले की योजना के अनुसार नौ सीटों के लिए 24 अप्रैल को चुनाव होने थे और ठाकरे को चुनाव लड़ना था.