नई दिल्ली: एक अदृश्य वायरस ने पूरी दुनिया को अपने इशारों पर नचाया, हर किसी की जिंदगी को उधल-पुधल करके रख दिया है. Corona नाम के इस वायरस का खात्मा करने के लिए स्वदेशी वैक्सीन लगातार आगे बढ़ रही है. लेकिन स्वदेशी वैक्सीन पर कांग्रेस पार्टी की राजनीति शुरू हो गई है. कांग्रेस का असल दर्द ये नहीं है कि भारत को कोरोना की स्वदेशी वैक्सीन मिल रही है, लेकिन कांग्रेस को असल परेशानी मोदी से है.
कोरोना वैक्सीन पर कांग्रेस का दर्द
पूरी दुनिया कोरोना से लड़ रही है. कोरोना से मौत के आंकड़े हर दिन नए रिकॉर्ड बना रही है. ऐसे में प्रधानमंत्री मोदी कोरोना वैक्सीन का काम कहां तक पहुंचा. खुद इसकी जानकारी ले रहे हैं. प्रधानमंत्री ने शनिवार को अहमदाबाद, हैदराबाद और पुणे का दौरा किया. प्रधानमंत्री ने देश के 3 बड़े वैक्सीन लैब के वैज्ञानिकों से मुलाकात की. वो जानकारी ले रहे हैं कि वैक्सीन कब तक तैयार हो जाएगा. लेकिन कांग्रेस को ये पसंद नहीं आया है. कांग्रेस के कुछ नेता प्रधानमंत्री की यात्रा का विरोध कर रहे हैं तो कुछ ये कह रहे हैं कि नेहरू काल बने में लैब्स में ही वैक्सीन तैयार हो रहा है.
कांग्रेस नेता अखिलेश प्रताप सिंह ने ट्वीट करके अपनी गंदी सोच का प्रदर्शन कर दिया. उन्होंने लिखा कि "वैक्सीन के लिये तो नेहरू के बनाये इन्स्टिट्यूट ही जाना पड़ेगा. वाट्सऐप यूनिवर्सिटी तो सिर्फ वायरस ही बना सकती है.!!" ये सिर्फ अखिलेश प्रताप सिंह के विचार नहीं, बल्कि कांग्रेस पार्टी की भी ऐसी ही सोच है. तभी तो वैक्सीन पर कांग्रेस नेताओं के पेट में दर्द होने लगा.
वैक्सीन के लिये तो नेहरू के बनाये इन्स्टिट्यूट ही जाना पड़ेगा।
वाट्सऐप यूनिवर्सिटी तो सिर्फ वायरस ही बना सकती है !!
— Akhilesh P. Singh (@AkhileshPSingh) November 28, 2020
अखिलेश प्रताप सिंह के इस बयान पर सोशल मीडिया पर तो मानो बखेड़ा ही खड़ा हो गया. कांग्रेस नेता के इस ट्वीट के बाद यूजर्स ने उन्हें ट्रोल करना शुरू कर दिया. एक के बाद एक यूजर्स ने कांग्रेस की खिल्ली उड़ानी शुरू कर दी. एक यूजर ने लिखा, "लेकिन एंटोनियो माइनो तो रुटीन चैकअप के लिए भी अमेरिकी अस्पताल में जाती हैं. उन्हें नेहरू का अस्पताल अच्छा नहीं लगता क्या…???" इसके अलावा एक ने लिखा कि "नेहरू का कैसा इंस्टीट्यूट? हमारे पैसे से सारी चीज़े बनती है और आप नेताओं का भी पेट हमारे पैसे से ही भरता है. इसमें चाचा या साहेब या मैडम को श्रेय क्यूं देना?"
वैक्सीन पर कांग्रेस की गंदी सियासत
इसी कड़ी में कांग्रेस नेता पी एल पुलिया के पेट में भी दर्द होने लगा. कांग्रेस नेता पी एल पुनिया ने कहा कि "ये समीक्षा यहां दिल्ली में बैठकर नहीं की जा सकती थी क्या? इस दौरे से वहां जो वैज्ञानिक काम कर रहे हैं, उनके काम में बाधा तो नहीं उत्पन होगी. ये सभी विषय ज़रूर देख लेने चाहिए."
ये पहली बार नहीं है, जब कांग्रेस नेताओं ने देशहित से जुड़े मुद्दे को अपनी सियासत चमकाने के लिए तोड़ मरोड़कर पेश किया हो. कांग्रेस पार्टी को अब कोरोना वैक्सीन पर भी परेशानी शुरू हो गई. वो नेहरू कार्ड खेलने लगे. कांग्रेस को इसी बात को तो असल डर है कि कहीं पीएम मोदी के नेतृत्व में भारत ने वैक्सीन पर इतिहास रच दिया तो उनकी राजनीति का सूर्यास्त हो सकता है. ऐसे में कई सवाल उठने लाज़मी है.
सवाल नंबर 1. प्रधानमंत्री की 'वैक्सीन यात्रा' का विरोध क्यों?
सवाल नंबर 2. वैक्सीन पर कांग्रेस की सियासत क्यों?
सवाल नंबर 3. वैक्सीन पर कांग्रेस का 'नेहरू कार्ड' क्यों?
सवाल नंबर 4. मोदी यात्रा से वैक्सीन में रुकावट या कांग्रेस में घबराहट?
सवाल नंबर 5. वैक्सीन पर मोदी की अगुवाई से कांग्रेस परेशान?
आपको याद दिला दें कि 24 नवंबर 2020 को देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि "हम इंडियन डेवलपर और निर्माताओं के साथ भी हमारी जो भी टीम काम कर रही है पूरी तरह संपर्क में है. मूल भारतीय वैक्सीन अभी दो मैदान में आगे है." प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ये बयान देने के 4 दिन बाद ही वैक्सीन का जायजा लिया. ऐसे में कांग्रेस को राजनीति के लिए और विरोध के लिए.. कुछ भी मुद्दा चाहिए, भले ही हो क्यों ना देश के हित से जुड़ा हो या फिर कुछ भी..
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