नई दिल्ली: कोरोना वायरस के खिलाफ जंग के दौर में देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आत्मनिर्भर भारत बनाने के लिए इतिहास के सबसे बड़े राहत पैकेज की घोषणा की. जिसके क्रम में देश की वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने राहत की घोषणा करनी भी शुरू कर दी है. लेकिन इसे लेकर विपक्ष ने न आव देखा न ताव और सियासी मैदान में कूद पड़े सिर्फ विरोध करने के मकसद से...
अर्थव्यवस्था को मिली 'एंटी-कोरोना' बूस्टर डोज
सबसे बड़े संकट की घड़ी में आर्थिक पैकेज से देश को पटरी पर लाने की कवायद शुरू हो गई है. भारत को आत्मनिर्भर बनाने के लिए मोदी सरकार की पहली किस्त सामने आ चुकी है. आपको बताते हैं की किस सेक्टर में क्या राहत मिलेगी.
20 लाख करोड़ का प्लान ,राहत के 10 बड़े ऐलान
1. MSME को 4 साल के लिए 3 लाख करोड़ रु. का गारंटी फ्री लोन
2. NPA वाले MSME को 20 हजार करोड़ रु. का लोन
3. MSME के लिए 50 हजार करोड़ का फंड ऑफ फंड बनेगा
4. 200 करोड़ रु. तक की सरकारी खरीद में ग्लोबल टेंडर नहीं
5. 15 हज़ार से कम वेतन पर PF का पैसा सरकार देगी
6. कंपनियां PF में अपना हिस्सा 12% से 10% तक कर सकेंगी
7. आयकर रिटर्न बढ़ने की तारीख अब 30 नवंबर की गई
8. हाउसिंग फाइनेंस यानी NBFC को 30 हजार करोड़ रुपए मिलेंगे
9. RERA के प्रोजेक्टों की डिलीवरी 6 महीनों के लिए बढ़ी
10. बिजली कंपनियों को बढ़ावा 90 हज़ार करोड़ रु. दिए जाएंगे
20 लाख करोड़ रुपए के आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत वित्त मंत्री ने 15 घोषणाएं की. आर्थिक पैकेज का फोकस इस बात पर है कि कैसे कर्मचारियों और कंपनियों के हाथ में ज़्यादा पैसे आएं जिससे वो ज़्यादा खर्च कर सकें और अर्थव्यवस्था की गाड़ी फिर से पटरी पर लौटे.
सबसे बड़ा फैसला ये लिया गया कि अगले साल मार्च तक नॉन-सैलरीड इनकम पर Tax Deduction at Source यानी TDS कटौती को 25 प्रतिशत कम कर दिया गया है.
कोरोना काल में सबसे बड़ी आर्थिक राहत
इस फैसले से करीब 50 हज़ार करोड़ रुपये लोगों के हाथ में आएंगे, जो रकम अब तक सरकार के पास जाती थी. इनकम टैक्स रिटर्न भी अब 30 नवंबर तक भर सकते हैं. इसी तरह से आपकी सैलरी में Employees' Provident Fund यानी EPF के हिस्से को भी कम किया गया है. पहले सैलरी से 12 प्रतिशत हिस्सा EPF में जाता था, अब सिर्फ 10 प्रतिशत ही जाएगा.
मोदी सरकार ने सबसे ज्यादा राहत MSME यानी छोटे-मझोले उद्योगों को दी है.
MSME सेक्टर के लिए 3 लाख करोड़ रुपये का लोन दिए जाने का ऐलान हुआ है. इससे करीब 45 लाख कंपनियों को सीधा फायदा होगा. कंपनियों को कारोबार के लिए आसानी से बिना गारंटी के लोन मिल सकेगा. कंपनियां चाहें तो ब्याज का भुगतान एक साल बाद कर सकती हैं, एक साल तक उन्हें छूट मिलेगी.
अर्थव्यवस्था के इंजन की स्पीड बढ़ाने वाले ऐलान
आर्थिक पैकेज के तहत ऐसे बड़े फैसले इसलिए किए गए हैं कि हमारे घरेलू उद्योग की क्षमता को बढ़ाया जाए, उन्हें एक ही दायरे में ना रखा जाए. बिजनेस बढ़ाने के लिए उन्हें प्रोत्साहित किया जाए. ये प्रधानमंत्री के उस आर्थिक मंत्र के मुताबिक है, जिसमें उन्होंने लोकल के लिए वोकल होने और लोकल को ही ग्लोबल करने की बात कही थी.
पिटारा खुलते ही शुरू हो गई विपक्ष की सियासत
कोरोना से निपटने के लिए प्रधानमंत्री मोदी के पिटारे से जो निकला है उस पर राजनीति शुरू हो गई है. सरकार की ओर से दिए गए राहत पैकेज पर कांग्रेस और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सवाल उठाए है.
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने आरोप लगाया है कि वित्त मंत्री के ऐलान में उनके राज्य को कुछ नहीं मिला. पीएम के आर्थिक पैकेज को ममता बनर्जी ने बिग जीरो बताया है. उन्होंने कहा कि लोग छले गए, उन्हें कुछ नहीं मिला. ममता ने कहा कि पीएम मोदी को किसानों का कर्ज माफ करना चाहिए था, जैसा कि पूर्व प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह ने किया था.
वहीं 20 लाख करोड़ रूपये के आर्थिक पैकेज को कांग्रेस ने निराशानजक बताया. कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाल ने कहा कि श्रमिक भाई बहन के हाथों को खाली छोडा गया. घर वापसी के पैसा देने की कोई घोषणा नही की गई. किसान को भी कुछ नही दिया गया.
विपक्ष के सवाल पर मंत्रियों ने दिया करारा जवाब
आर्थिक पैकेज पर सवाल उठाए जाने पर केंद्रीय मंत्रियों ने विपक्ष को जवाब देते हुए 20 लाख करोड़ के आर्थिक पैकेज को एतिहासिक बताया है. केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा है कि आर्थिक पैकेज में देश के हर सेक्टर को नई दिशा दी गई. वहीं रेल मंत्री पीयूष गोयल ने इसे देश को पटरी पर लाने की शुरुआत कहा.
इसके अलावा उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि इस पैकेज से भारत आत्मनिर्भर बनेगा और लोकल ब्रांड मजबूत होगा.
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ये कोई पहला मौका नहीं है, जब मोदी सरकार की बेहतर पहल को लेकर विपक्ष के सीने में दर्द हो रहा है. छाती पीटना मानों कांग्रेस की आदत बन गई है. जब सिर्फ राहत की घोषणा की गई थी, ना कि पिटारा खुला था. तब ही कांग्रेस ने इसपर सियासत चमकानी शुरू कर दी थी.
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