Tomato Price Hike: सब्जियों के 'लाल' ने काटा बवाल, रॉकेट की तेजी से क्यों बढ़ रहे टमाटर के दाम?

Tomato Price Hike: एक महीने के भीतर ही टमाटर का रेट दोगुने से अधिक हो गया है. महानगरों में इसकी कीमत 100 रुपये प्रति किलो तक चली गई है. आम आदमी के खाने से टमाटर धीरे-धीरे गायब होने लगा है. कुछ स्थानों पर तो डिमांड के हिसाब से सप्लाई नहीं हो पा रही.

Tomato Price Hike: मानसून आने के साथ ही टमाटर के दाम भी बढ़ गए हैं. एक तो भीषण गर्मी के कारण उत्पादन में कमी आई, ऊपर से भारी बारिश के कारण रोड जाम हो गई हैं, जिससे टमाटर की सप्लाई समय पर नहीं की जा रही. बीते साल मानसून के दौरान टमाटर के रेट 350 रुपये प्रति किलो हो गए थे. इस बार जुलाई में टमाटर के दाम कम नहीं होने की संभावना है.

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देशभर के कई शहरों में टमाटर के दाम लगातार बढ़ रहे हैं. दिल्ली और मुंबई जैसी मेट्रो सिटीज के कई इलाकों में तो टमाटर की कीमत 100 रुपये प्रति किलोग्राम हो गई है. जयपुर में टमाटर के रेट 100 पार जा चुके हैं. यह पहली बार नहीं है जब टमाटर का रेट इतना बढ़ गया है. इससे पहले 2023 के मानसून में टमाटर के दाम 350 रुपये प्रति किलो तक भी पहुंच गए थे.  

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टमाटर की कीमतों में आए उछाल का कारण भीषण गर्मी है. भारत में महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक और केरल जैसे राज्यों में टमाटर की पैदावार है. लेकिन भीषण गर्मी के कारण यहां पर टमाटर के उत्पादन में भारी कमी देखने को मिली है. CRISIL की रिपोर्ट कहती है, कर्नाटक और आंध्र प्रदेश में टमाटर के उत्पादन में 35% तक की कमी दर्ज की गई. वहीं, हिमाचल में भारी बारिश के कारण लैंडस्लाइड से रोड जाम हो चुकी हैं, समय पर टमाटर की सप्लाई नहीं हो पा रही.  

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मीडिया रिपोर्ट्स कि मानें तो तेलंगाना में बारिश की कमी के कारण टमाटर की उपज में 60% की गिरावट आई. स्थानीय बाजारों में टमाटर मिल भी नहीं रहा. उदाहरण के तौर पर रायथू बाजार में 7 से 10 टन टमाटर की आवश्यकता होती है, लेकिन अब लोगों की डिमांड पूरी नहीं हो पा रही. 2 टन से भी कम टमाटर उपलब्ध हो पा रहा है.  

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देश के प्रमुख शहरों में टमाटर के रेट: दिल्ली में 100 रुपये किलो, मुंबई में 100 रुपये किलो, भोपाल में 100 रुपये किलो, पटना में 80 से 100 रुपये किलो, चंडीगढ़ में 80 से 85 रुपये किलो, जयपुर में 100-110 रुपये किलो.  

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जुलाई में टमाटर की कीमत कम होने की संभावना न के बराबर है. अगस्त शुरू होगा, तब कहीं जाकर टमाटर की रेट कम होना शुरू होगी. तब खरीफ की फसल भी बाजार में आ जाएगी और आवक का बैलेंस बैठ जाएगा. हालांकि, जिन राज्यों में टमाटर की मांग ज्यादा होगी, वहां पर सरकार सब्सिडी के साथ टमाटर की बिक्री करा सकती है. ऐसा ही बीते साल भी हुआ था.