स्पेस में क्या खाते हैं एस्ट्रोनॉट्स? धरती की तरह वे भी ले पाते हैं खाने के स्वाद का मजा?

हम लोगों के दिमाग में अक्सर ये सवाल आता है कि आखिर अंतरिक्ष की यात्रा कर रहे एस्ट्रोनॉट्स वहां पर क्या खाते होंगे? वहीं अगर वे कुछ खाते भी होंगे तो क्या उन्हें हमारी तरह खाने का स्वाद आता होगा? चलिए जानते हैं कि आखिर इसका जवाब क्या है. 

 

नई दिल्ली:  जब भी एस्ट्रोनॉट्स अंतरिक्ष पर जाते हैं तो हमारे दिमाग में तरह-तरह के सवाल आते हैं. सबसे ज्यादा हम यही सोचते हैं कि आखिर अंतरिक्ष में यात्री खाते क्या होंगे? वहीं अगर वे कुछ खाते भी होंगे तो क्या उन्हें धरती की तरह खाने का स्वाद आता होगा कि नहीं? 

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कोई भी अंतरिक्ष यात्री जब भी स्पेस में जाता है तो उसे धरती से ही खाना बनाकर भेजा जाता है. उसे अंतरिक्ष में खाना बनाने की बिल्कुल भी जरूरत नहीं होती है. अंतरिक्ष यात्रियों के खाने के लिए विशेष व्यवस्था की जाती है, हालांकि उन्हें स्पेस में भूख बिल्कुल भी नहीं लगती है. अंतरिक्ष यात्रियों को कम नमी वाला खाना दिया जाता है, जैसे ड्राईफ्रूट्स, एप्रीकॉट्स और रेडी टू ईट फूड्स. 

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किसी भी एस्ट्रोनॉट को प्रतिदिन 1.7kg के हिसाब से खाना भेजा जाता है. उनकी शरीर की सभी जरूरतों को पूरा करने के लिए इतना खाना जरूरी होता है. एस्ट्रोनॉट अंतरिक्ष में ज्यादा खाना नहीं खा पाते हैं. उन्हें वहां हर चीज फीकी लगती है. अंतरिक्ष में उन्हें कितना भी अच्छा खाना मिले वे उन्हें स्वादिष्ट नहीं लगता है. 

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इसके अलावा अंतरिक्ष यात्रियों को अंतरिक्ष में भूख भी नहीं लगती है. वे सिर्फ अपने शरीर की जरूरतों को पूरा करने के लिए ही खाना खाते हैं. वे उतना ही खाते हैं, जितना उन्हें एक दिन में खाने के लिए दिया जाता है. जब उन्हें भूख नहीं लगती तो वे बचा हुआ खाना अगले दिन तक खाते हैं, हालांकि उन्हें ये खाना 2 दिन के अंदर खत्म करना होता है. 

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रॉयल मेलबर्न इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी यूनिवर्सिटी (RMIT) के वैज्ञानिक खाद्य पदार्थों की सुगंध को लेकर एक रिसर्च कर रहे हैं. उनकी यह स्टडी इस बात का पता लगाने में मदद करेगी की धरती और अंतरिक्ष में खाने का स्वाद बदल क्यों जाता है. रिसर्च में फिलहाल इसका कारण गुरुत्वाकर्षण बताया जा रहा है. 

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वैज्ञानिकों के मुताबिक जब हम धरती पर होते हैं तो ग्रेविटी के कारण हमारे शरीर में तरल पदार्थ नीचे की तरफ स्थित होते हैं, जबकि स्पेस में कुछ तरल हमारे सिर में भी चले जाते हैं, जिसके चलते अंतरिक्ष यात्रियों को खाना बेस्वाद लग सकता है. शोध में यह भी कहा गया कि स्पेस में अकेलेपन और अलगाव की भावना भी खाने के स्वाद को बदल सकती है.