Origin of Shivling: सावन का महीना हिंदू कैलेंडर के हिसाब से साल का पांचवा महीना है. इस दौरान देवों के देव महादेव की आराधना की जाती है. सावन में शिवलिंग की पूजा करने का भी विशेष महत्व है. ऐसे में आइए जानते हैं कि आखिर शिवलिंग की उत्पत्ति कब और कैसे हुई थी और पहली बार शिवलिंग पर पूजा किसने की थी.
Origin of Shivling: सावन 2024 की शुरुआत सोमवार 22 जुलाई से हो रही है. इस दौरान भगवान शंकर के साथ उनकी अर्धांगिनी देवी पार्वती का पूजा करने का विशेष महत्व है. मान्यता है कि इससे इंसान के जीवन के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं. आइए जानते हैं कि आखिर दुनिया पर शिवलिंग कैसे आया था.
पौराणिक कथाओं की मानें, तो एक बार भगवान विष्णु और ब्रह्मा जी के बीच सृष्ट्रि का सर्वश्रेष्ठ देवता होने को लेकर विवाद छिड़ गया. इस विवाद को सुलझाने के लिए भोलेनाथ ने दोनों देवताओं की परीक्षा लेनी चाहिए और अपनी शक्ति से आसमान में एक विशाल और चमकदार पत्थर को प्रकट करा दिया.
पत्थर के प्रकट होते ही यह आकाशवाणी हुई कि दोनों देवताओं में जो भी इस पत्थर का अंतिम छोर ढूंढ निकालेगा, वहीं इस सृष्टि का सबसे शक्तिशाली देवता होगा. बहुत समय खोजने के बाद भी जब दोनों देवता इस काम में नाकाम रहे, तो भगवान विष्णु ने अपनी हार मान ली.
लेकिन ब्रह्मा जी ने अपनी हार नहीं मानी और उन्होंने कहा कि उन्हें उस पत्थर का अंतिम छोड़ मिल गया है. ब्रह्मा जी के इस झूठ पर भोलेनाथ बहुत क्रोधित हुए और उसी दौरान आसमान से आकाशवाणी हुई कि मैं शिवलिंग हूं. मेरा न तो कोई अंत है और नहीं कोई आरंभ.
शिवजी के क्रोध को शांत करने के लिए भगवान विष्णु और ब्रह्मा जी ने उनसे पूजा योग्य लिंग रूप में प्रकट होने का आग्रह किया. इसके बाद भगवान शिव ने दोनों देवताओं के आग्रह को स्वीकार किया और शिवलिंग के रूप में प्रकट हुए. इसके बाद ब्रह्मा जी और विष्णु भगवान ने ही पहली बार शिवलिंग की पूजा की.
इन दोनों के देवताओं के बाद अन्य सभी देवी-देवताओं ने शिवजी के इस निराकार रूप यानी शिवलिंग की पूजा की. शास्त्रों में माना गया है कि यही शिवलिंग दुनिया का पहला शिवलिंग है और ब्रह्मा जी और विष्णु भगवान शिवलिंग की पूजा करने वाले दुनिया के पहले शख्स हैं.