इस हफ्ते से दिए जाने हैं नोबल पुरस्कार, जानें किन भारतीयों ने जीता है इसे

इस हफ्ते दुनिया के सबसे प्रतिष्ठित पुरस्कार नोबल पुरस्कार जीतने वालों का ऐलान किया जाएगा. बता दें कि नोबल पुरस्कार उन लोगों को दिया जाता है जिन्होंने विज्ञान, साहित्य, चिकित्सा, अर्थशास्त्र, और मानवाधिकार और शांति के क्षेत्र में दुनिया भर के अंदर उत्कृष्ट कार्य किया हो. इस हफ्ते सोमवार को चिकित्सा के नोबल के ऐलान के साथ ही नोबल पुरस्कार के ऐलान की सिलसिला शुरू हो जाएगा. आइये जानते हैं भारत से किन लोगों को नोबल पुरस्कार मिल चुका है. 

 

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रविंद्र नाथ टैगोर 1913 में साहित्य के लिए नोबेल पुरस्कार जीतने वाला पहले एशियाई और भारतीय नागरिक थे. वास्तव में, वे नोबेल पुरस्कार जितने पहले गैर यूरोपीय थे. उन्होंने यह पुरस्कार तब प्राप्त किया था, जब भारत अभी भी ब्रिटेन का उपनिवेश था. उनका क्षेत्रों साहित्य था. गीतांजलि या गीत प्रसाद कविताओं का एक संग्रह के कारण उन्होंने नोबेल पुरस्कार जीता था. 

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चंद्रशेखर वेंकट रमन ( C V Raman ) प्रकाश के प्रकीर्णन में अपने विशिष्ट कार्य के लिए भारत के लिए दूसरे नोबेल पुरस्कार विजेता थे. सी वी रमन ने इंडियन जर्नल आफ फिजिक्स की स्थापना की और आई आई इस सी IISC Bangalore के पहले भारतीय निर्देशक बने और बेंगलुरु में रमन रिसर्च इंस्टीट्यूट की भी स्थापना की. उनके शोध को रमन इफेक्ट या रमन स्कैटरिंग के नाम से भी जाना जाता है. उनकी खोज का दिन 28 फरवरी, भारत में राष्ट्रीय विज्ञान दिवस के रूप मनाया जाता है.

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भारत के लिए तीसरा नोबेल प्राइस डा. हरगोविंद खुराना ने जीता था. अनुवांशिकी पर अपने विशिष्ट शोध के लिए चिकित्सा में नोबेल पुरस्कार जीता. उन्होंने अपने साथी शोधकर्ता मार्शल डब्लू निरेनवर्ग वर्ग के साथ पुरस्कार साझा किया. 

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मदर टेरेसा एक अल्बानियाई भारतीय रोमन कैथोलिक नन और मिशनरी थी. मदर टेरेसा 19 साल की उम्र में भारत आ गई और उन्होंने खुद को गरीब और पीड़ितों को सेवा और उत्थान के लिए समर्पित कर दिया. मदर टेरेसा पहली महिला भारतीय नोबेल पुरस्कार विजेता थी. उन्हें 1979 में, जरूरतमंदों और गरीबों की सेवा और उत्थान के लिए समर्पित एवं पीड़ित मानवता की मदद करने के लिए नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया था. 

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चंद्रशेखर एक अमेरिकी भारतीय खगोल भौतिक विज्ञ थे जो अपने पूरे पेशेवर जीवन के लिए संयुक्त राज्य अमेरिका में रहे. वे शिकागो विश्वविद्यालय में लंबे समय से प्रोफ़ेसर के रूप में कार्यरत थे. विलियम ए फॉलर के साथ चंद्रशेखर को स्टार संरचना और विकास की महत्वपूर्ण भौतिक प्रक्रियाओं के सैद्धांतिक अध्ययन के लिए भौतिकी के नोबेल पुरस्कार से 1983 में सम्मानित किया गया था. 

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अमर्त्य सेन भारत के एक अर्थशास्त्री और दार्शनिक है जिन्होंने कल्याणकारी अर्थशास्त्र, सामाजिक पसंद सिद्धांत, सामाजिक और आर्थिक न्याय, अकाल अर्थशास्त्र, निर्णय सिद्धांत, अर्थशास्त्र विकास आदि में योगदान दिया हैं. उनके काम ( अर्थशास्त्र में कल्याणकारी योगदान के लिए ) उन्हें 1998 में आर्थिक विज्ञान में नोबेल मेमोरियल पुरस्कार और 1999 में भारत रत्न पुरस्कार द्वारा नवाजा गया. 

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वेंकटरमन राधाकृष्णन ने Thomas A. Steitz और Ada Yonath के साथ, राइबोसोम की संरचना और कार्य के अध्ययन के लिए 2009 में रसायन विज्ञान में नोबेल पुरस्कार साझा किया. वेंकटरामन ट्रिनिटी कॉलेज, कैंब्रिज के फेलो है और 1999 से कैंब्रिज बायोमेडिकल कॉलेज में मेडिकल रिसर्च काउंसिल, लैबोरेट्री ऑफ मॉलिक्यूलर, बायलॉजी में एक ग्रुप लीडर के रूप में काम कर चुके हैं. 

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कैलाश सत्यार्थी एक भारतीय समाज सुधारक है जिन्होंने भारत में बाल श्रम के खिलाफ लड़ाई लड़ी. वर्ष 2014 में, कैलाश सत्यार्थी और मलाला यूसुफजई को बच्चों और युवाओं के दमन के खिलाफ और सभी बच्चों की शिक्षा के अधिकार के लिए उनके संघर्ष के लिए नोबेल शांति पुरस्कार से नवाजा गया. बचपन बचाओ आंदोलन, ग्लोबल मार्च अगेंस्ट चाइल्ड लेबर, ग्लोबल कैंपेन फॉर एजुकेशन और कैलाश सत्यार्थी चिल्ड्रन फाउंडेशन उनके कई सामाजिक कार्यकर्ता संगठनों में से एक है. 

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अभिजीत बनर्जी एक भारतीय मूल के अमेरिकी अर्थशास्त्री है. अभिजीत बनर्जी को 2019 में एस्थर दुफ्लो और माइकल क्रेमर के साथ वैश्विक गरीबी को कम करने के लिए उनके प्रयोगात्मक दृष्टिकोण के लिए आर्थिक विज्ञान में नोबेल मेमोरियल पुरस्कार से सम्मानित किया गया. वह भारत में नोबेल पुरस्कार विजेताओं की सूची में सबसे हालिया जुड़े हैं.