इंसानों का पता नहीं, लेकिन पेड़ तो क्लाइमेट चेंज से लड़ रहे... जानें कैसे?

Trees Fighting for Climate Change: पेड़ों को ऑक्सीजन का सबसे बेहतर स्रोत माना जाता है लेकिन इसके बावजूद इसके महत्त्व को न समझते हुए पेड़ों की कटाई बड़े पैमाने पर होती रहती है. हाल ही में हुई रिसर्च में नया खुलासा हुआ है जो कहता है कि पेड़ों की छाल ग्रीनहाउस गैस मीथेन को सोखता है और पर्यावरण को गुप्त तरीके से मदद कर रहा है. 

नई दिल्ली: Trees Fighting for Climate Change: पेड़ पौधे इंसान के लिए उतने ही जरूरी हैं जितने हवा और पानी, लेकिन इंसान अब भी पेड़ों के महत्त्व को समझ नहीं पा रहे हैं. बड़े पैमाने पर हुई रिसर्च साबित करती है कि पेड़ एक और तरीके से ग्रीनहाउस गैसों को सोख सकता है जिससे जंगल हमें काफी कई फायदे दे सकता है. 

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जैसा की हम जानते हैं कि पूर्व-औद्योगिक से ही ग्लोबल वार्मिंग को बढ़ाने में मीथेन गैस का योगदान लगभग एक तिहाई रहा है. इसका मतलब है कि मीथेन ग्लोबल वार्मिंग का बड़ा कारक है. बीते 20 साल में मीथेन का उत्सर्जन और बढ़ा है, जिससे ग्लोबल वार्मिंग की समस्या भी तेजी से बढ़ती जा रही है. बता दें कि यह ग्लोबल वार्मिंग क्षमता के मामले में कार्बन डाइऑक्साइड (CO2) के मुकाबले 80-85 गुना अधिक ताकतवर है. ये पृथ्वी की जलवायु के लिए बड़ी समस्या बन गया है. मिथेन CO₂ के मुकाबले वातावरण में गर्म करने का काम करता है. जहां CO₂ वायुमंडल में सौ सालों तक रह सकता है वहीं मिथेन का जीवनकाल लगभग दस सालों का होता है.  

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मिथेन गैस का वायुमंडल में इतने समय तक रहने का मतलब है कि ये कोई भी प्रोसेस जो वायुमंडल से मीथेन को हटाता है का असर तेजी से हो सकता है. अगर मिथेन को हटाने के लिए प्रोसेस का इस्तेमाल सही से किया जाए तो ये हमारे परिवर्तन के लिए वरदान की तरह साबित हो सकता है.   

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इसके लिए शोधकर्ताओं यह भी समझने की कोशिश की मिथेन वायुमंडल में कैसे आती है और तमाम प्रक्रियाएं इसे कैसे हटाने का काम करती है. रिसर्च में कहा बताया गया कि इस गैस का आदान-प्रधान पेड़ की छाल के बीच होता है. आर्द्रभूमि को मीथेन का पहला नेचुरल सोर्स माना जाता है. दलदल और बाढ़ के मैदानों में पेड़ अपने तनों के निचले हिस्से से मीथेन को फेंक सकता है. मगर दलदल और बाढ़ से मुक्त जमीन पर उगने वाले पेड़ों में मिथेन के आदान-प्रदान पर जांच रिसर्च नहीं हुई है.   

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रिसर्च में अमेजन और पनामा से लेकर स्वीडन और यूके में ऑक्सफोर्ड के पास के जंगलों तक फैले जलवायु ढाल के साथ जंगलों में सैकड़ों पेड़ों के तनों पर मीथेन विनिमय को मापा गया. शोधकर्ताओं ने जंगल में प्लास्टिक बॉक्स का इस्तेमाल करते हुए उसे पेड़ के तने से लपेटकर मिथेन विश्लेषक को लेजर की मदद से जोड़ा. इस प्रोसेस में पाया गया कि कुछ पेड़ अपने तने के आधार से थोड़ी मात्रा में उत्सर्जन करते हैं.

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इस रिसर्च से पता चलता है कि प्लांटेशन फॉरेस्ट्री की मदद से मिथेन गैस अवशोषण में सुधार करने के नए तरीके हो सकते हैं. इसके लिए ऐसे पेड़ों को चुनना होगा जो विशेष रूप से मिथेन को हवा से हटाने के लिए मजबूत हैं. ये नए प्रमाण हमारी जलवायु के लिए पेड़ों और जंगलों के महत्व साबित करता है साथ ही बताता है कि हमारे क्लाइमेट के बारे में अभी भी बहुत कुछ सीखना बाकी है.