डोसा, नूडल्स...भारत के वो 10 मंदिर, जहां मिलता है अनोखा प्रसाद

Indian Temple Prasad: प्रसाद पाना बहुत अच्छा माना जाता है. बचपन में हम अपनी दादी-नानी के पूजा करने के बाद बताशे या गुड़-चना लाने का इंतजार करते थे. त्योहारों पर प्रसाद का अपना अलग ही आकर्षण होता है. पूरी, हलवा, चना इत्यादि. हालांकि, आप ये जानकर हैरान हो जाएंगे कि कई मंदिरों में बहुत अनोखे प्रसाद दिए जाते हैं.

Hindu Bhagwan Prasad: प्रसाद वो होता है जो भगवान को अर्पित होकर वापस भक्तों को दिया जाता है. ज्यादातर मंदिरों का अपना एक खास प्रसाद होता है, यानी हर देवता को एक खास तरह का प्रसाद चढ़ाया जाता है. तो आइए भारत भर में विभिन्न अनोखे मंदिर प्रसादों पर एक नजर डालते हैं.

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त्रिशूर के मझुवनचेरी में महादेव मंदिर में चढ़ाए जाने वाले प्रसाद में जानकारीपूर्ण ब्रोशर, पाठ्य पुस्तकें, डीवीडी, सीडी और लेखन सामग्री शामिल होती है. ऐसा इसलिए है क्योंकि मंदिर ट्रस्ट के अनुसार, ज्ञान प्रदान करना सभी अन्य प्रकार के प्रसादों में सर्वश्रेष्ठ है.

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पलानी हिल्स में स्थित यह भगवान मुरुगन का मंदिर अपने अनोखे प्रसाद के लिए बहुत लोकप्रिय है. भक्तों को पांच फलों, गुड़ या मिश्री से बनी मिठाई दी जाती है. यह एक प्रकार का जैम है और इसे पंचामृतम के नाम से जाना जाता है.

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तिरुवनंतपुरम के पास अम्बालापुझा में स्थित श्री कृष्ण मंदिर में भक्तों को प्रसाद का वितरण बहुत ही अनोखे तरीके से किया जाता है. यहां दिया जाने वाला प्रसाद दूध, चीनी और चावल से बना पायसम है. यह एक आम मीठा व्यंजन है, लेकिन यह प्रसाद अपने स्वाद के कारण अनोखा है.

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अझगर कोविल, जिसे अलागर कोइल के नाम से भी जाना जाता है. यह मदुरै से 21 किलोमीटर दूर स्थित है. यह मंदिर भगवान विष्णु को समर्पित है और भक्तों को डोसा प्रसाद के रूप में वितरित किया जाता है.

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गुवाहाटी में स्थित कामाख्या देवी मंदिर में चढ़ाए जाने वाले प्रसाद से अलग कोई और प्रसाद नहीं है. वहां भक्तों को एक गीला कपड़ा प्रसाद के रूप में दिया जाता है. कहते हैं ये कपड़ा मां के रज से भीगा होता है.

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खबीस बाबा मंदिर उत्तर प्रदेश के सीतापुर जिले में स्थित है, जो लखनऊ से लगभग 80 किलोमीटर दूर है. इस मंदिर में कोई देवता या पुजारी नहीं है. वास्तव में यहां चढ़ाया जाने वाला प्रसाद और भी अनोखा है! यहां भक्त शराब चढ़ाते हैं... आपने सही पढ़ा! भक्तों को प्रसाद के रूप में एकत्रित शराब का कुछ हिस्सा मिलता है.

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बीकानेर में करणी माता मंदिर अपने चूहों के लिए प्रसिद्ध है! जी हां, चूंकि चूहे मंदिर और मंदिर परिसर में खुलेआम घूमते रहते हैं, इसलिए यहां प्रसाद सबसे पहले इन चूहों को दिया जाता है और फिर भक्तों को दिया जाता है. प्रसाद में चूहे का छूटा भक्तों को दिया जाता है.

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कटरा में माता वैष्णो देवी मंदिर उत्तर भारत के सबसे प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है, जहां हर साल लाखों श्रद्धालु आते हैं. भक्तों को प्रसाद के रूप में मुरमुरे, चीनी के गोले, सेब के सूखे टुकड़े और नारियल दिए जाते हैं, जिन्हें पर्यावरण के अनुकूल जूट के थैले में पैक किया जाता है.

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चेन्नई के पडप्पई में स्थित जय दुर्गा पीठम मंदिर में प्रसाद के रूप में भक्तों को ब्राउनी, बर्गर, सैंडविच आदि दिया जाता है.

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अपनी रथयात्रा के लिए मशहूर, पुरी के जगन्नाथ मंदिर में देवताओं को महाप्रसाद चढ़ाया जाता है जिसमें 56 तरह के कच्चे और पके हुए खाद्य पदार्थ होते हैं. देवताओं को भोग लगाने के बाद, भक्त आनंद बाजार के स्टॉल से प्रसाद खरीद सकते हैं.

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कोलकाता के टांगरा क्षेत्र में स्थित काली माता के इस मंदिर में नूडल्स का प्रसाद मिलता है.