Year Ender 2020: सियासी गली भी रही गमगीन, साथ छोड़ गए राजनीति के दिग्गज

2020 का यह साल राजनीति के लिए भी गमगीन रहा. इस साल कई दिग्गज नेताओं ने जीवन को अलविदा कहा. Corona के दौर में जहां जीवन ने कई त्रासदियां देखीं, इसमें .यह गम भी शामिल रहा. पूर्व राष्ट्रपति, राजनीति के मौसम विज्ञानी, संकट मोचक जैसी उपाधियों से पहचाने जाने वाले राजनेता इस साल नहीं रहे. 

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Dec 30, 2020, 05:30 PM IST
  • साल 2020 में कई राजनीतिक हस्तियों ने कहा जीवन को अलविदा
  • कुछ को कोरोना ने छीन लिया तो कुछ को वक्त ने
Year Ender 2020: सियासी गली भी रही गमगीन, साथ छोड़ गए राजनीति के दिग्गज

नई दिल्लीः आना-जाना लगा रहता है, दुख जाएगा, सुख आएगा. साल बीत रहा और नए साल की कदमपोशी के लिए हम तैयार हैं. ऐसे में याद आ रहे हैं वे राजनीतिक चेहरे जिनका सफर यहीं इस साल तक था और जो हमसे बिछड़ गए.

 

कई हस्तियों को Corona ने अपना शिकार बनाया तो कुछ को उम्र के तकाजे ने, कहते हैं न हिल्ले रोजी मौत बहाने. बीते साल की ओर एक बार फिर से देखते हुए याद करते हैं उन चेहरों को जिनका जाना सियासत की गली को गमगीन कर गया.

प्रणब मुखर्जी
इस कड़ी में सबसे पहले याद आते हैं भारत के 13वें राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी. एक जमाने में कांग्रेस के दिग्गज नेता. इंदिरागांधी के समकालीन वर्षों से धरोहर की तरह कांग्रेस को संभाला. चार बड़े मंत्रालयों में मंत्री रहे.

कांग्रेस के संकटमोचन कहे जाने वाले प्रणब मुखर्जी का 31 अगस्त को राजधानी दिल्ली में निधन हो गया. करीब 6 दशकों तक सक्रिय राजनीति में रहे प्रणब दा साल 2019 में भारत रत्न से भी सम्मानित हुए थे. राजनीतिक घटनाक्रमों में उनकी भागीदारी, बतौर राष्ट्रपति कड़े फैसलों के लिए प्रणब दा याद किए जाते रहेंगे. 

रामविलास पासवान
बिहार चुनाव से ठीक पहले केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान का 8 अक्टूबर को निधन हो गया था. वह कई दिनों से बीमार थे और दिल्ली के अस्पताल में उनका इलाज चल रहा था. लोजपा के संस्थापक और मौजूदा सरकार में उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्री रहे पासवान को राजनीति का मौसम विज्ञानी कहा जाता था.

वह केंद्र की सभी सरकारों में शामिल रहे. पासवान के निधन पर शोक जताते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, ‘‘दुख बयान करने के लिए शब्द नहीं हैं; हमारे देश में ऐसा शून्य पैदा हुआ है जो शायद कभी नहीं भरेगा.’’

अहमद पटेल 
कांग्रेस के दिग्गज नेताओं में शुमार अहमद पटेल भी 25 नवंबर इस दुनिया को छोड़ गए. गांधी परिवार के विश्वसनीय रहे. 26 वर्ष की उम्र में पहली बार गुजरात से सांसद बने पटेल सोनिया गांधी के राजनीतिक सलाहकार भी थे.

21 अगस्त 1949 को गुजरात के भरूच जिले में जन्मे पटेल ने राजस्थान की गहलोत सरकार को बचाने में भी अहम भूमिका निभाई थी. उन्हें पर्दे के पीछे की राजनीति का माहिर खिलाड़ी माना जाता था. 

अमर सिंह 
उत्तर प्रदेश की राजनीति में विशेष सक्रिय रहे अमर सिंह का भी अगस्त में ही परलोक गमन हुआ. 1 अगस्त को सिंगापुर के अस्पताल में उन्होंने आखिरी सांस ली. मुलायम सिंह यादव के करीबी, सपा के संकटमोचक, और औद्योगिक घरानों के बीच विशेष पैठ उन्हें अलग बनाती थी. फिल्मी हस्तियों से भी उनकी अच्छी जान-पहचान थी.

बल्कि कई हस्तियों के लिए राजनीति तक आने के लिए वह पुल भी बने. अमिताभ बच्चन के भी काफी करीबी रहे. 2008 में अमर सिंह 'वोट के बदले नोट' कांड को लेकर चर्चा में रहे थे. हालांकि अखिलेश की सपा में उन्हे किनार होना पड़ा. 

अजीत जोगी
भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) की अपनी प्रतिष्ठित नौकरी छोड़कर राजनीति में आए अजीत प्रमोद कुमार जोगी का 29 मई को निधन हो गया. नौकरशाह के तौर पर सीधी जिले में पदस्थापना के दौरान वे अर्जुन सिंह के संपर्क में आए थे.

सिंह से मुलाकात और निकटता के चलते ही उनके राजनीति में आने की राह आसान हुई. मध्यप्रदेश के विभाजन के बाद बाद वे छत्तीसगढ़ के पहले मुख्‍यमंत्री बने. कांग्रेस से बगावत कर उन्होंने जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ के नाम से नया दल भी बनाया, लेकिन उन्हें अपेक्षित सफलता नहीं मिली.

चेतन चौहान 
सियासी गली में Corona ने काफी उत्पात मचाया. पूर्व क्रिकेट और भाजपा नेता चेतन चौहान का भी अगस्त की 16वीं तारीख को निधन हो गया. वह Corona से संक्रमित हो गए थे. जिस समय चौहान का निधन हुआ, वे उत्तर प्रदेश की योगी सरकार में मंत्री थे.

नौगांवा विधानसभा सीट चुने गए चौहान 2 बार भाजपा का टिकट पर सांसद भी बने. चेतन चौहान ने भारतीय क्रिकेट टीम के लिए 40 टेस्ट मैच खेले और 2084 रन बनाए. चौहान और सुनील गावस्कर की सलामी जोड़ी पूरी दुनिया में काफी विख्यात रही है. 

तरुण गोगोई 
इस सूची में कांग्रेस नेता तरुण गोगोई का नाम उल्लेखनीय है. 23 नवंबर को समय चक्र ने उन्हें भी छीन लिया. उनकी सबसे बड़ी उपलब्धि वर्ष 2001 से 2016 तक यानी लगातार 15 साल असम का मुख्‍यमंत्री रहना है.

गोगोई के राजनीतिक करियर की शुरुआत 1968 में हुई एवं 1971 में वे पांचवीं लोकसभा के लिए चुने गए. गोगोई 2001 टाटाबार विधानसभा से चुनाव जीते एवं पहली बार राज्य के मुख्‍यमंत्री बने. 

लालजी टंडन 
उत्तर प्रदेश के दिग्गज भाजपा नेताओं में शुमार रहे लालजी टंडन का 21 जुलाई को निधन हुआ. मध्यप्रदेश के राज्यपाल पद रहते हुए उन्होंने आखिरी सांस ली. टंडन ने अटल बिहारी वाजपेयी के बाद 2009 से 2014 तक लखनऊ संसदीय सीट का भी प्रतिनिधित्व किया.

लालजी टंडन ने अटलजी की चरण पादुका लेकर लोकसभा चुनाव लड़ा था. उनके राजनीतिक जीवन की शुरुआत 1978 में विधान परिषद सदस्य के रूप में हुई थी. वे मंत्री रहने के साथ नेता प्रतिपक्ष भी रहे. 

सुरेश अंगाड़ी
इसी साल सितंबर महीने के 23वें दिन रेल राज्य मंत्री रहे सुरेश अंगड़ी का निधन हो गया. वह Corona संक्रमित थे. 11 सितंबर को कोरोना पॉजिटिव पाए गए थे. रेल राज्य मंत्री सुरेश अंगड़ी कर्नाटक के बेलगाम से लोकसभा सांसद थे.

वह बेलगाम से 4 बार लोकसभा सांसद बने. 2019 के चुनाव में भी उन्हें जीत मिली थी. वह 2004, 2009, 2014 और 2019 में लोकसभा चुनाव जीतकर संसद पहंचे थे. 

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