भूत, चुड़ैल, मुंहनोचवा,चोटीकटवा: आखिर क्यों फैलती हैं ऐसी अफवाहें?

झारखंड के चतरा में एक बार फिर कथित चुड़ैल का खौफ फैला है. दर्जनों लोगों ने चुड़ैल देखने का दावा किया. भूत, चुड़ैल, मुंहनोचवा,चोटीकटवा जैसी अफवाहें कई बार फैल चुकी हैं. जानिए क्या है इसके पीछे का सच?

Written by - Anshuman Anand | Last Updated : Nov 27, 2020, 06:48 PM IST
  • क्यों फैलती है भूत प्रेत की अफवाह
  • सालों से फैल रही हैं इस तरह की अफवाह
  • आखिर क्या है अशरीरी ताकतों के बारे में फैली अफवाह का सच?
भूत, चुड़ैल, मुंहनोचवा,चोटीकटवा: आखिर क्यों फैलती हैं ऐसी अफवाहें?

नई दिल्ली: चतरा के मेराल गांव के लोगों का कहना है कि वहां के स्कूल और पंचायत भवन में भूत-प्रेत और चुड़ैलों का डेरा बन गया है. जिसकी वजह से शाम ढलते ही लोग अपने घरों में घुस जाते हैं. गांव के लोगों का दावा है कि यह कथित चुड़ैल नाचती गाती है और दहाड़ती भी है. यानी जितने मुंह उतनी बातें.  

भूत और चुड़ैलों की अफवाहें कोई नई नहीं है. इसके पीछे एक खास किस्म की मानसिकता काम करती है. देश में इस तरह की अवैज्ञानिक घटनाएं पहले भी हो चुकी हैं. देखिए पिछले कुछ दिनों में भूत प्रेत घटनाओं की लिस्ट. 

1. विकास दुबे का भूत  
ज्यादा पुरानी बात नहीं है. दो महीने पहले यानी सितंबर के मध्य में कानपुर के बिकरु गांव में विकास दुबे का भूत देखे जाने की अफवाह फैली. इस अपराधी का 10 जुलाई 2020 को एनकाउंटर कर दिया गया था और उसका घर ढहा दिया गया था


लेकिन गांव वालों को उसके टूटे घर के मलबे से अब तक उसकी हंसी की आवाज सुनाई देती है. कई ग्रामीणों ने  बताया कि विकास दुबे का भूत अपनी मौत का बदला लेना चाहता है.

ये पूरी खबर आप यहां क्लिक करके पढ़ सकते हैं. 

2. पार्क का भूत 
पांच महीने पहले यानी जून 2020 में  झांसी  के एक पार्क  का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ. जिसमें भूत प्रेत कथित रुप से एक्सरसाइज कर रहे थे. वायरल वीडियो में दिखाई दे रहा था कि पार्क में लगी एक्सरसाइज की मशीन खुद ब खुद चल रही थी. 

मामला इतना बढ़ा कि पुलिस को जांच के लिए उतरना पड़ा. पुलिस ने खुद जाकर मामले की तफ्तीश की तो इस अफवाह की हवा निकल गई.

इस घटना का सच क्या था यह आप यहां क्लिक करके पढ़ सकते हैं. 

3. चोटीकटवा का खौफ 
साल 2017 में दिल्ली और आस पास से लगे इलाकों में चोटीकटवा की अफवाह फैली. इसकी शुरुआत राजस्थान से हुई. धीरे धीरे यह आस पास के हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के इलाकों से हुए हुए पूरे दिल्ली एनसीआर में फैल गई. 


चोटी काटने वाले को कोई टोने टोटके करने वाला तांत्रिक बता रहा था तो कोई भूत प्रेत. इस मामले की वजह से कई लोगों की बुरी तरह पिटाई भी की गई. मास हिस्टिरिया का यह मामला पूरे इलाके में हवा की तेजी से फैलता गया. चोटी कटी महिलाओं के बेहोश होने की खबरें आम हो गईं.

लेकिन बाद में यह मामला जैसे शुरु हुआ था वैसे ही शांत हो गया. बाद में जांच में पता चला कि कई महिलाओं ने खबरों में आने के लिए खुद ही अपनी चोटी काट ली थी. 

4. मुंहनोचवा की अफवाह 
साल 2002 में पूर्वी उत्तर प्रदेश में बनारस और उसके आस पास के इलाकों में आसमान से लाल और नीली रोशनी फेंकने वाले किसी अनजान वस्तु की अफवाह फैली. यह रोशनी जिसपर पड़ती थी उसके चेहरे पर खरोंच के निशान पड़ जाते थे. 


कोई इसे चमगादड़ बता रहा था, तो किसी की निगाहों में यह परग्रही प्राणियों (Aliens) की करतूत थी. ये अफवाह मई जून के महीने में फैली थी. जब गर्मियों के मौसम में लोग खुले में सोते थे. कुछ दिनों के हंगामे के बाद यह अफवाह भी शांत हो गई. 

5. दिल्ली का मंकीमैन
मुंहनोचवा की घटना से एक साल पहले यानी 2001 में दिल्ली में मंकीमैन की अफवाह फैली. जिसे काला बंदर भी कहा गया. अफवाह थी कि यह लोगों पर हमला करता था और उनके शरीर पर अपने तीखे पंजों को निशान बना देता था. 


लोगों का कहना था कि इस मंकीमैन के पंजे लोहे के हैं और वह हेलमेट पहनता था. ये अफवाह दिल्ली के यमुनापार के इलाकों से शुरु हुई और दिल्ली के कई इलाकों में खूब फैली. शालीमार बाग, साहिबाबाद, ओखला, मोदी नगर, संगम विहार जैसे इलाकों में लोग घरों से निकलने में डरने लगे. 

यह घटना इतनी चर्चित हुई कि इसपर दिल्ली-6 जैसी फिल्म भी बन गई. बाद में पता चला कि मंकीमैन का कोई अस्तित्व था ही नहीं. यह लोगों की मानसिक उपज थी. यानी यह मास हिस्टीरिया का प्रत्यक्ष उदाहरण था. ये अफवाह भी बाद में खुद ब खुद दम तोड़ गई.

6. दूध पीने वाले गणेश जी
साल 1995 में 21 सितंबर को गणेश चतुर्थी थी. इस मौके पर अफवाह फैलाई गई कि देश भर में गणेश जी की प्रतिमाएं दूध पी रही हैं.  देखते ही देखते मंदिरों में गणपति को दूध पिलाने वालों की भीड़ लग गई. 


भारत से लेकर अमेरिका और कनाडा तक गणेश जी की प्रतिमाओं को दूध पिलाने का सिलसिला शुरू  हो गया. अच्छे खासे पढ़े लिखे लोग भी गणेश जी को दूध पिलाते हुए नजर आए. 

बाद में पता चला कि भौतिक विज्ञान के नियम Surface tension यानी पृष्ठ तनाव की वजह से गणेश जी की प्रतिमाओं के दूध पीने का आभास हो रहा था. यह सारा दूध मंदिरों से लगी नालियों में बह रहा था. जिसके बाद यह अफवाह भी शांत हुई. 

7. मास हिस्टीरिया के कई और उदाहरण
- कुछ साल पहले तोरी की सब्जी में सांप की आकृति पाए जाने की अफवाह फैली.  जिसके बाद लोगों ने तोरी खाना ही बंद कर दिया. 

-  साल 2015 में पश्चिमी उत्तर प्रदेश में अफवाह फैली की एक बुढ़िया पत्थर का सिलबट्टा लेकर चलती है. जो उसके सामने आता है उसकी पिटाई कर देती है. 

- साल 2014 में अफवाह फैली कि जिन बच्चों को उनकी नानी स्टील की बाल्टी में दूध और जलेबी नहीं खिलाएगी उस बच्चे की मौत हो जाएगी. इसके बाद बुजुर्ग महिलाएं अपने नातियों को बचाने के लिए दूध की बाल्टी लेकर दौड़ पड़ीं. 

-  साल 2011 में उत्तरांचल के बाजपुर गांव में अफवाह फैली की रात 12 बजे के सुहाग जोडे़ में जेवरों से सजी एक महिला अपने बच्चे के साथ घूम रही है. लोगों ने इसे चुड़ैल बताया. 

- जून 2019 में बरेली के रुहेलखंड यूनिवर्सिटी के एनसीसी कैंप में भूत की अफवाह फैलने पर भगदड़ मच गई. 

- साल 2015 में बिहार के मंडल कारावास किशनगंज में एक कैदी की मौत के बाद उसके भूत के हंगामा मचाने की अफवाह फैल गई. यह कैदी कथित रुप से रात में दूसरे कैदियों का गला दबाने की कोशिश करता था. 

- मार्च 2019 में पश्चिम बंगाल के बांकुड़ा ज़िले के कोतुलपुर थाना अंतर्गत मिर्ज़ापुर हाईस्कूल में छात्राओं ने सामूहिक रूप से शिकायत की कि उन्हें प्रेत परेशान कर रहा है. छात्राएं बेहोश भी होने लगीं. बाद में डॉक्टरों ने जांच की तो पता चला कि यह छात्राएं शारीरिक रुप से कमजोर थीं और भूत की अफवाह फैलने की वजह से मानसिक दबाव में थीं. 

ऐसी अफवाहों के पीछे का सच  
मनोचिकित्सकों के मुताबिक इस तरह की घटनाएं मास हिस्टीरिया की वजह से होती हैं. इस तरह के मामलो में यह खास पैटर्न देखा गया है कि इन अफवाहों की शुरुआत किसी एक व्यक्ति की शरारत, भ्रम या मानसिक बीमारी की वजह से होती है. जिसके बाद इसमें दूसरे लोग शामिल हो जाते हैं. कुछ लोग शरारत के कारण या कुछ लोग वास्तविक मानसिक भ्रम के शिकार हो जाते हैं. 

चूंकि धीरे धीरे एक ही बात कई लोगों के मुंह से सुनाई देने लगती है तो सामूहिक रुप से लोग इसे सच मानने लगते हैं और मास हिस्टीरिया के शिकार हो जाते हैं. 
कई बार इस तरह की घटनाओं में अपराधियों का भी हाथ पाया जाता है. जो कि अफवाह फैलाकर अपनी शातिर योजनाओं को अंजाम देते हैं. 

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