Uttarakhand ठंडा प्रदेश, फिर भी यहां के जंगलों में बार-बार क्यों लग रही आग?

Uttarakhand Forest Fire: उत्तराखंड में 1 नवंबर, 2023 से अब तक आग लगने की करीब 910 घटनाएं सामने आ गई हैं. इससे उत्तराखंड 1145 हेक्टेयर जंगल प्रभावित हुआ है. आग लगने के पीछे प्राकृतिक और मानव निर्मित, दोनों कारण हैं.

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : May 6, 2024, 03:21 PM IST
  • 7 महीने में आग लगने की 910 घटनाएं
  • 1145 हेक्टेयर जंगल प्रभावित हुआ
Uttarakhand ठंडा प्रदेश, फिर भी यहां के जंगलों में बार-बार क्यों लग रही आग?

नई दिल्ली: Uttarakhand Forest Fire: इन दिनों सोशल मीडिया पर उत्तराखंड के जंगलों में लगी भीषण आग की तस्वीरें खूब वायरल हो रही हैं. इस आग के चपेट में आने से अब तक 5 लोगों की मौत हो चुकी है. आग को बुझाने के लिए इंडियन एयर फोर्स से भी मदद ली जा रही है. 

7 महीने में आग लगने की 910 घटनाएं सामने आईं
जानकारी के मुताबिक, 7 महीने में उत्तराखंड के जंगलों में आग की करीब 910 घटनाएं सामने आई हैं. 1 नवंबर, 2023 से लेकर अब तक आग की घटनाओं से 1145 हेक्टेयर जंगल प्रभावित हुआ है. खास बात ये है किउत्तराखंड को ठंडे प्रदेश के तौर पर जाना जाता है, यहां पर कुछ खास गर्मी भी नहीं पड़ती है, फिर भी जंगल में आग क्यों लग रही है? आइए, जानते हैं इसका कारण...

आग लगने के पीछे क्या कारण हैं?
उत्तराखंड में आग लगने के पीछे मानव निर्मित और प्राकृतिक, दोनों कारण हैं. 
प्राकृतिक कारण: जब हिमालय में लंबे समय तक शुष्क मौसम रहने और बायोमास की अतिरिक्तता आग लगने का मुख्य कारण है. अक्सर सूखे पेड़ों या बांस को रगड़ लगने से चिंगारी निकलती हैं, जो आग का कारण बन जाती हैं. यहां पर जंगलों में बिजली गिरने के कारण भी आग लगने की घटना होती हैं. आमतौर आग जंगलों में लगती रहती है, लेकिन या अपने आप बुझ जाती है, लेकिन यहां आग के बढ़ने का मुख्य कारण है 3.94 लाख हेक्टेयर में फैले चीड़ के पेड़ हैं. चीड़ के पेड़ में एक तरल पदार्थ होता है, जिसे लीसा कहते हैं. इसकी पत्तियों में भी तेल का अंश होता है, इसे पीरूल बोला जाता है. जैसे पेट्रोल आग पकड़ता है, ठीक उसी तरह ये तरल पदार्थ भी आग पकड़ लेते हैं.

मानव निर्मित कारण: कुछ रिपोर्ट्स की मानें तो उत्तराखंड के जंगलों में आग की 90% घटनाएं मानव निर्मित हैं. यहां पर पहाड़ियों में आसपास के ग्रामीण नई खेती करने के लिए पुराने घास को जलाते हैं, ताकि जमीन साफ हो जाए. इससे भी जंगलों में आग भी लग जाती है. पुलिस ने ऐसे दर्जनों लोगों को गिरफ्तार किया है, जिन पर जंगल की आग को बढ़ाने का आरोप है. कुछ ने तो रील बनाने के लिए या महज शरारत के लिए भी जंगल में आग लगाई है. 

कोर्ट के इस फैसले के कारण नहीं बन पाई फायरलाइन 
कई साल पहले जंगल 50,000 किमी से अधिक लंबी फायरलाइन बनाने का विचार हुआ, ताकि आग को फैलने से रोका जा सके. लेकिन सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले के कारण यह काम नहीं हो पाया. सुप्रीम कोर्ट ने साल 1981 में फैसला दिया कि पूरे देश में जो हरे पेड़ 1,000 मीटर की ऊंचाई से ऊपर हैं, उन्हें नहीं काटा जाना चाहिए. 

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