बिलकिस बानो के दोषियों को सुप्रीम कोर्ट ने नहीं दी मोहलत, 21 जनवरी तक करना होगा आत्मसमर्पण

सुप्रीम कोर्ट ने बिलकिस बानो मामले में 11 दोषियों की सरेंडर के लिए और मोहलत मांगने की याचिका खारिज कर दी है. 2002 के गुजरात दंगों के दौरान बिलकिस बानो से सामूहिक दुष्कर्म और उनके परिवार के सदस्यों की हत्या के मामले में दोषियों ने आत्मसमर्पण के लिए कोर्ट से और वक्त मांगा था. 

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Jan 19, 2024, 02:10 PM IST
  • कारणों में कोई दम नहीं हैः सुप्रीम कोर्ट
  • खराब स्वास्थ्य का दिया गया था हवाला
बिलकिस बानो के दोषियों को सुप्रीम कोर्ट ने नहीं दी मोहलत, 21 जनवरी तक करना होगा आत्मसमर्पण

नई दिल्लीः सुप्रीम कोर्ट ने बिलकिस बानो मामले में 11 दोषियों की सरेंडर के लिए और मोहलत मांगने की याचिका खारिज कर दी है. 2002 के गुजरात दंगों के दौरान बिलकिस बानो से सामूहिक दुष्कर्म और उनके परिवार के सदस्यों की हत्या के मामले में दोषियों ने आत्मसमर्पण के लिए कोर्ट से और वक्त मांगा था. 

कारणों में कोई दम नहीं हैः सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने अपने पूर्व आदेश में सभी दोषियों को 21 जनवरी तक सरेंडर करने के लिए कहा था. अब कोर्ट की ओर से झटका लगने के बाद दोषियों को 21 जनवरी तक ही सरेंडर करना होगा. उच्चतम न्यायालय ने कहा कि आत्मसमर्पण के लिए समय बढ़ाने के लिए 11 दोषियों की ओर से बताए गए कारणों में कोई दम नहीं है.

खराब स्वास्थ्य का दिया हवाला
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, एक दोषी ने अपनी याचिका में कहा था कि प्रतिवादी स्वयं बूढ़ा है. अस्थमा से पीड़ित है. उसकी सेहत वास्तव में खराब है, प्रतिवादी का हाल में ऑपरेशन हुआ था. उसे एंजियोग्राफी भी करानी पड़ी थी. प्रतिवादी को बवासीर के इलाज के लिए भी ऑपरेशन कराना है. उसके पिता भी 88 वर्ष के हैं और उनका स्वास्थ्य खराब है.वह बिस्तर पर हैं.

'फसलों की कटाई करनी है'
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार,  एक अन्य ने अपनी याचिका में कहा था कि उसकी फसल तैयार हो गई है और उनकी कटाई करनी है. वह घर में एक मात्र पुरुष है और उसे अपनी फसलों की देखभाल करनी है. एक अन्य ने कहा कि उसे फेफड़े की सर्जरी के लिए डॉक्टर की नियमित परामर्श की जरूरत है. वहीं एक अन्य ने अपने पैर की सर्जरी का हवाला दिया.

कोर्ट ने दोषियों को सरेंडर करने को कहा था
बता दें कि 8 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात सरकार के छूट के आदेशों को खारिज करते हुए बिलकिस बानो के साथ सामूहिक बलात्कार और उसकी बेटी समेत अन्‍य परिजनों की हत्या के 11 दोषियों को दो हफ्ते के अंदर संबंधित जेल अधिकारियों के सामने आत्मसमर्पण करने को कहा था. कोर्ट ने कहा था कि महाराष्ट्र सरकार के पास दोषियों द्वारा दायर समय से पहले रिहाई की अर्जी पर विचार करने का अधिकार है, क्योंकि उन्हें मुंबई की एक विशेष अदालत ने सजा सुनाई थी.

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