'अगर नाबालिग पत्नी की है इतनी उम्र तो नहीं बनता रेप का केस', जानें क्यों सुप्रीम कोर्ट ने दिया ये फैसला

Supreme Court on Minor Wife rape: दुनिया के तमाम देशों की तरह ही भारत में भी बालिग होने की उम्र 18 साल है जिससे पहले किसी महिला या पुरुष के साथ शारीरिक संबंध बनाना कानूनी अपराध है. जहां भारत में बाल विवाह कानूनन अपराध है वहीं पर सुप्रीम कोर्ट ने एक मामले में ऐसा फैसला सुनाया है जिसने सभी को हैरान कर दिया है.

Written by - Vineet Kumar | Last Updated : Mar 11, 2023, 11:07 AM IST
  • क्या कहती है मैरिटल रेप की परिभाषा
  • जानें क्या है पूरा मामला
'अगर नाबालिग पत्नी की है इतनी उम्र तो नहीं बनता रेप का केस', जानें क्यों सुप्रीम कोर्ट ने दिया ये फैसला

Supreme Court on Minor Wife rape: दुनिया के तमाम देशों की तरह ही भारत में भी बालिग होने की उम्र 18 साल है जिससे पहले किसी महिला या पुरुष के साथ शारीरिक संबंध बनाना कानूनी अपराध है. जहां भारत में बाल विवाह कानूनन अपराध है वहीं पर सुप्रीम कोर्ट ने एक मामले में ऐसा फैसला सुनाया है जिसने सभी को हैरान कर दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने नाबालिग पत्नी के साथ शारीरिक संबंध बनाने के मामले में पति को बलात्कार के आरोप से बरी कर दिया है.

15 साल से ज्यादा है पत्नी की उम्र तो रेप नहीं

मैरिटल रेप के मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने यह फैसला देते हुए साफ किया कि अगर पत्नी की उम्र 15 साल से ज्यादा है तो उस केस में रेप का आरोप नहीं बनता है. उल्लेखनीय है कि इसी मामले में हाई कोर्ट ने पति को दोषी करार दिया था जिसके बाद आरोपित पति ने सुप्रीम कोर्ट से अपील की और वहां पर सुप्रीम कोर्ट ने दोनों पक्षों की दलीलों सुनीं और मामले में आईपीसी के सेक्शन 375 के अपवाद 2 के तहत पति को बरी किया है.

क्या कहती है मैरिटल रेप की परिभाषा

उल्लेखनीय है कि मैरिटल रेप को परिभाषित करने वाले प्रावधान में कहा गया है कि अगर पत्नी की उम्र 15 साल से ज्यादा है तो उस पर शादी के बाद पति की ओर से किये जाने वाले रेप का केस नहीं बनता है. इसका मतलब है कि पति के खिलाफ रेप का केस ही नहीं हो सकता है.

सुप्रीम कोर्ट ने जिस केस को लेकर फैसला सुनाया उसमें पत्नी ने हलफनामा दिया था कि उसने आरोपित व्यक्ति के साथ शादी की थी और उनके बीच सहमति के साथ संबंध बने थे, इसके चलते एक बच्चा भी है. सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए कहा कि जब दोनों के बीच संबंध बने थे तब पत्नी की उम्र 15 साल से ज्यादा थी.

सिर्फ करार तोड़ने से नहीं बन सकता धोखा-धड़ी का क्रिमिनल केस

सुप्रीम कोर्ट ने मामले पर आगे बात करते हुए साफ किया कि क्रिमिनल केस बनने का आधार सिर्फ कॉन्ट्रैक्ट का उल्लंघन नहीं हो सकता है. इसके लिये सामने वाले की गलत मंशा को भी साबित करना जरूरी है. मामले की सुनवाई कर रही जस्टिस अभय एस ओका और जस्टिस राजेश बिंदल की पीठ ने कहा कि सिर्फ वादा पूरा न करने के चलते किसी पर क्रिमनल केस के तहत कार्रवाई नहीं की जा सकती, इसके लिये शुरुआत से ही उसकी मंशा का गलत होना भी जरूरी है.

जानें क्या है पूरा मामला

गौरतलब है कि आरोपित पति को कर्नाटक हाईकोर्ट ने पोक्सो (प्रोटेक्शन ऑफ चिल्ड्रेन फ्रॉम सेक्सुअल ऑफेंसेज एक्ट) के तहत दोषी करार दिया गया था. हाईकोर्ट ने साफ किया था कि पीड़िता नाबालिग है और उसकी उम्र 16 साल से कम है तो ऐसे में उसके शारीरिक संबंध बनाने को लेकर दी गई सहमति मायने नहीं रखती है, जिसके चलते पति को दोषी करार दिया गया था. आपको बता दें कि पोक्सो कानून साल 2012 से प्रभाव में आया है इसकी वजह से जो भी रेप के मामले इससे पहले के थे उसमें ये नियम लागू नहीं होता है.

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