नई दिल्ली: Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट एक सुनवाई के दौरान ने 14 साल की रेप पीड़िता को 28-30 हफ्ते का गर्भ गिराने की अनुमति दे दी है. इस मामले को असाधारण मानते हुए कोर्ट ने अबॉर्शन की इजाजत दी है.
19 अप्रैल को दिए थे मेडिकल जांच के आदेश
जानकारी के मुताबिक,सुप्रीम कोर्ट ने 19 अप्रैल को 14 साल की कथित रेप पीड़िता की मेडिकल जांच का आदेश दिया. मेडिकल जांच में कहा गया कि प्रेग्नेंसी से रेप पीड़िता की जान को खतरा हो सकता है. पीड़िता ने इससे पहले सुप्रीम कोर्ट में अपने गर्भ को गिराने की मांग की थी. इस याचिका में बॉम्बे हाई कोर्ट के उस फैसले को चुनौती दी गई, जिसमें अबॉर्शन की इजाजत देने से इनकार कर दिया गया था.
सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में क्या कहा?
CJI डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली दो सदस्यीय बेंच ने कहा कि अस्पताल के मेडिकल बोर्ड के अनुसार गर्भावस्था के एमटीपी की अनुमति दी जानी चाहिए. तात्कालिकता को देखते हुए निर्णय सुरक्षित रखते समय हम अंतरिम निर्देश जारी करते हैं. यह अदालत अनुच्छेद 142 के तहत कार्रवाई करती है. इस तरह के एक मामले में इस अदालत ने धारा 142 का इस्तेमाल किया था.
भारत में क्या है नियम
भारत में गर्भपात के लिए एक समय सीमा है. यदि कोई महिला 20 हफ्ते से कम समय से प्रेग्नेंट है, तो उसे गर्भपात कराने का अधिकार होता है. यदि डॉक्टर को ये पता चलता है कि बच्चे या भ्रूण को खतरा है या डिलीवरी से मां की जान जा सकती है, तो इस असामान्य स्थिति में अबॉर्शन की इजाजत मिल सकती है.
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