नई दिल्ली. चंद्रग्रहण वैसे तो एक खगोलीय घटना है किन्तु इसका जितना महत्व भारतीय ज्योतिष की दृष्टि से है उतना है विज्ञान की दृष्टि से भी है. इस वर्ष 2020 का प्रथम चंद्र ग्रहण पौष पूर्णिमा पर लग रहा है. आइये जानते हैं इस चंद्रग्रहण से जुड़े कुछ विशेष तथ्य:
इस चंद्र ग्रहण की समय और अवधि
साल का यह प्रथम चंद्र ग्रहण उपछाया चंद्र ग्रहण माना जाता है जो कि आज रात 10 बजकर 37 मिनट पर शुरू हो कर कल सुबह 2 बजकर 42 बजे तक चलेगा. इस चंद्र ग्रहण को भारत के अलावा यूरोप, एशिया, अफ्रीका और आस्ट्रेलिया महाद्वीपों में भी देखा जा सकेगा.
विशेष है यह चंद्र-ग्रहण
यह चंद्र-ग्रहण विशेष इस दृष्टि से है कि यह साधारण चंद्र ग्रहण नहीं है बल्कि उप-छाया चंद्रग्रहण है. इस वर्ष यह चंद्र ग्रहण चार बार आएगा और आज इसका प्रथम संस्करण देखा जाएगा. इसके बाद यह उप-छाया ग्रहण इस साल 5 जून, 5 जुलाई और 30 नवंबर को पड़ने वाला है.
ये है वुल्फ मून एक्लिप्स, नासा ने कहा
अमरीका की अंतरिक्ष अनुसंधान एजेंसी नासा ने इसे वुल्फ मून एक्लिप्स के विशेष नाम से सम्बोधित किया है जिसका कारण भी उन्होंने बताया है. नासा के अनुसार यह पहला ऐसा अवसर है जब एक ही साल में चार पेनुम्ब्रेल लूनर एक्लिप्स (उपछाया ग्रहण) देखे जाएंगे और आज दस जनवरी वाला लूनर एक्लिप्स इस वर्ष इसका प्रथम संस्करण होगा.
रखनी हैं कुछ सावधानियां
भारतीय ज्योतिष ग्रहण के अवसर पर कुछ सावधानियों का ध्यान रखने की बात कहता है जिसके प्रायः वैज्ञानिक कारण भी दृष्टिगत होते हैं. इन सावधानियों में सबसे प्रमुख तो ग्रहण के दौरान शुभ कार्यों की मनाही है.
ग्रहण से पहले सूतक लग जाएगा
वैदिक ज्योतिष के अनुसार ग्रहण छाया-ग्रह राहु और केतु के कारण घटित होते हैं. ग्रहण से पहले सूतक काल आरंभ होता है जिसे अशुद्ध समय माना जाता है. ज्योतिष के अनुसार चंद्र ग्रहण के दौरान सूतक 9 घंटे पहले ही प्रभावी हो जाता है.
ग्रहण के दौरान आध्यात्मिक कार्य करने चाहिए
ग्रहण के दौरान चूंकि सूतक लगा होता है अतः इस समय मूर्ति-पूजन नहीं किया जाता जबकि मानसिक पूजन ध्यान करने को कहा जाता है. इस समय सभी को अपने-अपने इष्ट देव का ध्यान करना चाहिए. चंद्र ग्रहण के अवसर पर चंद्र देव के मंत्रों का मन ही मन जाप लाभकारी माना जाता है.
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