नई दिल्ली: सिद्धू मूसेवाला की हत्या के बाद जांच में जुटी पुलिस की जांच में जो बातें सामने आयी हैं, वो बेहद चौकाने वाली हैं. पुलिस की जांच में पता चला है कि मौजूदा समय में गैंगस्टर हत्या को अंजाम देने के लिए कैसे शूटर्स के 'on boarding' का नया प्लान बनाते हैं.
हत्यारों की हायरिंग और मर्डर की प्लानिंग
पंजाब के सिंगर सिद्धू मूसेवाला की हत्या के बाद अपराध की दुनिया के बारे में नया खुलासा हुआ है. ये खुलासा हत्यारों की हायरिंग और मर्डर की प्लानिंग के बारे में है. मूसेवाला हत्याकांड का चार राज्यों से कनेक्शन सामने आया है. जानकारों की मानें तो अब गैंगस्टर मर्डर के लिए देश के अलग-अगल राज्यों से शूटर्स की हायरिंग कर रहे हैं. क्राइम की दुनिया में ये नया ट्रेंड है और इसे नाम दिया गया है शूटर्स 'ऑन बोर्डिंग' प्लान...
गैंगस्टर ऐसा इसलिए करते हैं ताकि किसी भी तरह केस में उनका नाम न आये. ऐसे मामलों में अपराधियों को पकड़ना और आरोप सिद्ध करना भी मुश्किल होता है. अगर मर्डर जैसी वारदात दूसरे राज्यों के अपराधी करते हैं तो उन तक पहुंचने के लिए जांच एजेंसियों को काफी मशक्कत करनी पड़ती है. ऐसा सिद्धू मूसेवाला केस में भी हो रहा है.
क्या दाऊद मॉडल पर की गई किलिंग?
शूटर्स को हायर करने के इस तरीके को दाऊद मॉडल भी कहा जा सकता है. कभी डी कंपनी भी इसी तरह दूसरे राज्यों खासकर यूपी से शूटर्स हायर कर मुंबई में मर्डर के वारदातों को अंजाम दिया करती थी. महाराष्ट्र पुलिस के पूर्व एडीजी पी के जैन ने बताया कि दाऊद के शूटर्स यूपी से आते थे और काम कर लौट जाते थे.
90 के दशक में दाऊद के बहनोई की हत्या करने वालों को मुंबई के जेजे अस्पताल में घुसकर मारने वाले शूटर्स को दाऊद ने यूपी से ही बुलाया था.
देश के कई गैंग्स के सरगना फिलहाल जेल में हैं या फिर उन पर जांच एजेंसियों का शिकंजा कसा हुआ है. ऐसे में विदेश में बैठे कई गैंग्स के सरगना शूटर्स 'ऑन बोर्डिंग' प्लान के तहत काम कैसे करते हैं ये हम आपको बताते हैं.
VOIP कॉल के जरिये शूटर से संपर्क
पुलिस की गिरफ्त से बाहर या फिर जेल में बंद बदमाश अपने राज्यों के शूटर्स की जानकारी विदेश में बैठे अपने सरगनाओं तक पहुंचाने का काम करते हैं. विदेशों में बैठा गैंग का मुखिया शूटर से VOIP कॉल के जरिये संपर्क साधता है और उसे मर्डर की सुपारी देता है.
पहले सरगनाओं के बजाय उनके गुर्गे शूटर से संपर्क करते थे, लेकिन अब पुलिस को चकमा देने के लिए गैंग का मुखिया ही शूटर से सीधे संपर्क करता है.
सोशल मीडिया से टारगेट की फोटो और बाकी डिटेल जुटाई जाती है और फिर हत्या को अंजाम देने के बाद शूटर अंडरग्राउंड हो जाता है. काम होने पर विदेश में बैठा गैंग का मुखिया हवाला के जरिये पैसे भिजवाता है.
अंडरवर्ल्ड पहले भी इस तरह से अलग अलग तौर तरीके अपनाकर हत्या को अंजाम दिया करता था, जिसमे दाऊद गैंग को महारत हासिल थी. 90 की दशक में दाऊद के बहनोई की हत्या करने वाले हत्यारों को जेजे अस्पताल में घुसकर मरने वाले शूटर्स को दाऊद ने उत्तर प्रदेश से बुलाया था. जिसे सुलझाने में मुंबई पुलिस को काफी वक्त लगा था.
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