Birthday Special: नेहरू की उत्तराधिकारी तो इंदिरा बनीं, लेकिन सरदार पटेल की बेटी का क्या हुआ?

Sardar Patel Jayanti: आज सरदार पटेल की 148वीं जयंती है. सरदार पटेल का परिवार सार्वजनिक जीवन में ज्यादा सक्रिय नहीं है, लेकिन उनकी बेटी मणिबेन सांसद रही हैं. उन्हें अपने पिता की परछाई भी कहा जाता था.

Written by - Ronak Bhaira | Last Updated : Nov 13, 2023, 01:58 PM IST
  • दो दशक तक राजनीति में सक्रिय रहीं मणिबेन
  • मणिबेन पटेल आजीवन अविवाहित रहीं
Birthday Special: नेहरू की उत्तराधिकारी तो इंदिरा बनीं, लेकिन सरदार पटेल की बेटी का क्या हुआ?

नई दिल्ली: Sardar Patel Jayanti: सरदार पटेल की आज 148वीं जयंती है. पटेल को अलग-अलग रियासतों को एक सूत्र में पिरोने के लिए याद रखा जाता है. लेकिन विरले ही लोग होंगे जो सरदार पटेल की बेटी के बारे में जानते हों. उनकी बेटी का नाम मणिबेन पटेल था, वे अपने पिता के साथ परछाई की तरह रहती थीं. मणिबेन पिटा की तरह राजनीति के शिखर पर तो नहीं पहुंच पाई, लेकिन इतिहास में एक महिला सांसद के रूप में उनका नाम दर्ज है. 

अंग्रेजी लाइफस्टाइल
सरदार वल्लभभाई  पटेल की पत्नी झवेरबा का 1909 में निधन हो गया. उस दौरान पटेल की बेटी मणिबेन 5 साल की थीं. पटेल ने दूसरी शादी नहीं की और खुद ही बच्चों की जिम्मेदारी ली. पटेल चाहते थे कि उनके बच्चे अंग्रेजी बोलें, अच्छी लाइफस्टाइल हो, इसलिए उन्होंने बच्चों को विदेश से पढ़ाने का फैसला किया. इसके लिए पटेल ने दोनों बच्चों को मुंबई में मिस विल्सन के घर रखा, ताकि वे अंग्रेजी में ही बात करें. 

'वह मुझसे खुलकर नहीं बोलती'
फिर देश का माहौल ऐसा हुआ कि मणिबेन गांधी और पटेल के साथ उन्हीं के रास्ते पर चलने लगीं. पटेल को हमेशा इसका मलाल रहा कि मणिबेन ने उनसे खुलकर बात नहीं की. एक बार पटेल ने महादेवभाई देसाई से कहा था, 'वह मुझसे खुलकर बात नहीं कर सकती. मैं बात करने जाता हूं तो उसे यह पसंद नहीं है. लेकिन इसमें उसका दोष नहीं है. हमारे घर का यही तरीका रहा है. जब तक मैं 30 साल का नहीं हुआ, तब तक मैं अपने बड़ों के सामने कुछ बोलता ही नहीं था.'

ऐसा रहा राजनीति का सफर
सरदार पटेल का निधन होने के बाद ने मणिबेन बिरला हाउस में रहने के लिए कहा गया. लेकिन उन्होंने मना कर दिया. इसके बाद वे अहमदाबाद में रिश्तेदारों के यहां चली गईं. 1952 में देश का पहला चुनाव हुआ. मणिबेन ने खेड़ा (दक्षिण) सीट से कांग्रेस की टिकट पर चुनाव लड़ा, जीत जीत हासिल की. दूसरा चुनाव आणंद सीट से जीता. लोकसभा हारी थीं तो 1964 में कांग्रेस ने उन्हें राज्यसभा भेजा. इमरजेंसी के बाद भारतीय लोक दल से मेहसाणा सीट पर लोकसभा चुनाव जीता. 1952 में शुरू हुआ सांसदी का सफर तीन दशकों तक जारी रहा. बीच में केवल दो साल ऐसे थे, जब वे सांसद नहीं रहीं.

आजीवन अविवाहित रहीं
मणिबेन पटेल आजीवन अविवाहित रहीं. जब तक पिता जीवित थे, उनकी परछाई बनकर रहीं और उनके जाने के बाद उनकी स्मृति में दिन बिताए. साल 1988 में करीब 87 साल की उम्र में उनका निधन हो गया. उस वक्त वे अहमदाबाद में थीं.  

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