RIP Mulayam Singh Yadav: जानें कैसे हुआ था समाजवादी पार्टी का निर्माण, क्यों साइकिल को ही चुना गया चुनाव चिन्ह

RIP Mulayam Singh Yadav: समाजवादी पार्टी के नेता मुलायम सिंह यादव और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री का लंबी बीमारी के कारण सोमवार (10 अक्टूबर) को गुरुग्राम के मेदांता अस्पताल में निधन हो गया  

Written by - Vineet Kumar | Last Updated : Oct 10, 2022, 05:20 PM IST
  • उठा-पटक से पहली बार सीएम बने मुलायम सिंह
  • कैसे साइकिल को बनाया गया चुनाव चिन्ह
RIP Mulayam Singh Yadav: जानें कैसे हुआ था समाजवादी पार्टी का निर्माण, क्यों साइकिल को ही चुना गया चुनाव चिन्ह

RIP Mulayam Singh Yadav: कभी पहलवानी में नाम कमाने का ख्वाब देखने वाले मुलायम सिंह यादव अपने राजनीतिक करियर में संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी, लोकदल और जनता दल से जुड़े और इन सभी का प्रभाव तब नजर आया जब उन्होंने 4 अक्टूबर 1992 को समाजवादी पार्टी का गठन किया. समाजवादी पार्टी के निर्माण को लगभग 3 दशक का समय बीत चुका है और वो देश की तीसरी सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी बन चुकी है और लगातार अपनी इस पहचान को बनाने की कोशिश कर रही है. सोमवार (10 अक्टबूर) को इस पार्टी के संस्थापक और संरक्षक मुलायम सिंह यादव का लंबी बीमारी के चलते निधन हो गया.

मुलायम सिंह यादव के राजनीतिक जीवन पर राम मनोहर लोहिया और चौधरी चरण सिंह की छाप नजर आती है और यही वजह है कि जब उन्होंने समाजवादी पार्टी का निर्माण किया तो उनके आदर्शों को अपनी पार्टी में शामिल करने की कोशिश की. इस आर्टिकल में हम आपको समाजवादी पार्टी के निर्माण के पीछे की रोमांचक कहानी और साइकिल को इसका चुनाव चिन्ह बनाने के पीछे की कहानी बताएंगे.

उठा-पटक से पहली बार सीएम बने मुलायम सिंह

यह बात 1989-90 के उस दौर की है जब राजनीतिक गलियारों में सरकार बनाने के लिये एसएसी एसटी के महत्व को समझा जा चुका था और देश में 'अंदर मंडल-कमंडल' के नारे लग रहे थे. उस वक्त के उत्तरप्रदेश में उत्तराखंड भी राज्य का ही हिस्सा था. 1989 में यूपी विधानसभा के चुनाव हुए तो जनता दल (जनमोर्चा, लोकदल (ए) और लोकदल (बी)) ने 208 सीटें हासिल की और में 57 सीटों वाली बीजेपी ने बाहर से समर्थन देकर मुलायम सिंह को पहली बार मुख्यमंत्री बनने में मदद की.

हालांकि पहले सीएम के उम्मीदवार पश्चिम यूपी के नेता चौधरी अजीत सिंह थे और मुलायम सिंह को डिप्टी सीएम का उम्मीदवार बनाने की बात चल रही थी. लेकिन मुलायम सिंह ने सीएम पद पर अपना दावा ठोक दिया और आंतरिक उठा-पठक के बाद गुप्त मतदान कराया गया.  इस मतदान से पहले मुलायम सिंह यादव अजीत सिंह खेमे के 11 विधायकों को तोड़ने में कामयाब रहे और गुप्त मतदान में 5 से ज्यादा वोटों के समर्थन से जीत हासिल की.

नतीजे पक्ष में आने के बाद मुलायम सिंह ने ने 5 दिसंबर, 1989 को पहली बार यूपी के सीएम के रूप में शपथ ली. बीजेपी ने जहां पहले मुलायम सरकार को अपना समर्थन दिया तो वहीं पर 1990 में लालू की पार्टी जनता दल को भी बिहार विघानसभा चुनावों में बहुमत दिलाने के लिये 39 विधायकों का समर्थन दिया.

बीजेपी का समर्थन फिर भी खिलाफ में लिया एक्शन

उल्लेखनीय है कि बीजेपी और मुलायम सिंह की सरकार के बीच आई दरार की शुरुआत 1990 में हुई जब 30 अक्टूबर 1990 को अयोध्या में कारसेवकों पर गोलियां चली और मुलायम सरकार खामोश रही. इस घटना के बाद मुलायम सिंह यादव को मुस्लिम तुष्टिकरण का नेता मान लिया गया और 1991 में इसका असर भी नजर आया. 1991 के चुनाव के बाद कल्याण सिंह यूपी के सीएम बने. इसी साल मुलायम के दोस्त कांशीराम ने लोकसभा की इटावा सीट से उपचुनाव में जीत हासिल की और एक अखबार को दिये इंटरव्यू में कहा कि मुलायम सिंह यादव प्रदेश में उनके साथ आ जाएं तो सारे विरोधी दल पस्त हो जाएंगे.

कांशीराम की इस बात ने मुलायम पर बड़ा असर डाला क्योंकि दोनों ही नेताओं को प्रदेश के जातीय समीकरण का अच्छा खासा ज्ञान था और मंडल कमीशन के सुझावों के बाद इसका बड़ा असर भी नजर आने लगा था. इसी को देखते हुए मुलायम ने दिल्ली में कांशीराम से मुलाकात की जहां पर उन्होंने एक नई पार्टी बनाने की सलाह दी. मुलायम ने बात को माना और 4 अक्टूबर 1992 को लखनऊ में समाजवादी पार्टी की स्थापना कर डाली.

कैसे साइकिल को बनाया गया चुनाव चिन्ह

जब पार्टी का निर्माण किया जा रहा था तो पार्टी के चुनाव चिन्ह की भी चर्चा हुई और इसे क्या चुना जाये इस पर भी बात हुई. साइकिल को पार्टी का चुनाव चिन्ह बनाने के पीछे की कहानी उनकी ऑटोबॉयोग्राफी द सोशलिस्ट में किया गया है जिसमें मुलायम ने बताया है कि यह उन दिनों की बात है जब उनके घर की आर्थिक हालत अच्छी नहीं थी. वह रोजाना पढ़ाई करने के लिये करीब 20 किलोमीटर का सफर तय कर इटावा में पढ़ने जाते थे. 

माली हालत ठीक नहीं होने के चलते मुलायम के पास साइकिल खरीद पाने के पैसे नहीं थे और अक्सर पैदल या किसी से मदद मांगकर जाया करते थे. इस बीच मुलायम सिंह के बचपन के दोस्त रामरूप उनके गांव उजयानी पहुंचे. इस दौरान गांव की चौपाल पर ताश का खेल हो रहा था जिसमें मुलायम और रामरूप भी शामिल हो गये. इस खेल के दौरान गिंजा गांव के आलू कारोबारी लाला रामप्रकाश गुप्ता ने कहा कि जो भी इस खेल को जीतेगा उसे रॉबिनहुड की साइकिल दी जाएगी. मुलायम ने ये शर्त जीत कर साइकिल खरीदने का सपना पूरा किया और जब राजनीति के करियर में एक नई पारी की शुरुआत करने पहुंचे तो वहां भी उन्होंने उसी साइकिल को अपना चुनाव चिन्ह बना लिया.

इसे भी पढ़ें- Mulayam singh Yadav Family Tree: मुलायम सिंह यादव ने की थी दो बार शादी, जानें कैसा है देश का सबसे बड़ा राजनीतिक कुनबा

Zee Hindustan News App: देश-दुनिया, बॉलीवुड, बिज़नेस, ज्योतिष, धर्म-कर्म, खेल और गैजेट्स की दुनिया की सभी खबरें अपने मोबाइल पर पढ़ने के लिए डाउनलोड करें ज़ी हिंदुस्तान न्यूज़ ऐप.

ट्रेंडिंग न्यूज़