चुनाव लड़ने का अधिकार मौलिक अधिकार नहीं, सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता पर लगाया 1 लाख जुर्माना

न्यायालय ने कहा कि कोई व्यक्ति यह दावा नहीं कर सकता कि उसे चुनाव लड़ने का अधिकार है. 

Edited by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Sep 13, 2022, 07:59 PM IST
  • दिल्ली HC ने पहले खारिज की थी याचिका.
  • चार सप्ताह के अंदर भरना होगा जुर्माना.
चुनाव लड़ने का अधिकार मौलिक अधिकार नहीं, सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता पर लगाया 1 लाख जुर्माना

नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट ने राज्यसभा चुनाव के लिए नामांकन पत्र दाखिल करने के मुद्दे से संबंधित एक याचिका को खारिज करते हुए कहा है कि चुनाव लड़ने का अधिकार न तो मौलिक और न ही ‘कॉमन लॉ’ अधिकार है. इसके साथ ही न्यायालय ने याचिकाकर्ता पर एक लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया. 

न्यायालय ने कहा कि कोई व्यक्ति यह दावा नहीं कर सकता कि उसे चुनाव लड़ने का अधिकार है. उसने कहा कि जनप्रतिनिधित्व कानून, 1950 (चुनाव आचरण नियम, 1961) में कहा गया है कि नामांकन प्रपत्र भरते समय उम्मीदवार के नाम का प्रस्ताव किया जाना है. न्यायमूर्ति हेमंत गुप्ता और न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया की पीठ ने दिल्ली हाईकोर्ट के 10 जून के एक आदेश को चुनौती देने वाली एक याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश दिया.

दिल्ली हाईकोर्ट ने भी खारिज कर दी थी याचिका
दिल्ली हाईकोर्ट ने राज्यसभा चुनाव, 2022 के लिए अपना नामांकन पत्र दाखिल करने के लिए याचिकाकर्ता की उम्मीदवारी तय करने से जुड़ी एक याचिका को खारिज कर दिया था. याचिकाकर्ता ने कहा था कि 21 जून 2022 से एक अगस्त 2022 के बीच सेवानिवृत्त होने वाले राज्यसभा सदस्यों की सीट को भरने के लिए चुनाव की खातिर 12 मई, 2022 को अधिसूचना जारी की गई थी. नामांकन पत्र जमा करने की अंतिम तिथि 31 मई थी.

नामांकन नहीं हुआ तो दायर की याचिका
याचिकाकर्ता ने कहा कि उन्होंने नामांकन पत्र लिया था, लेकिन उनके नाम का प्रस्ताव करने वाले उचित प्रस्तावक के बिना नामांकन दाखिल करने की अनुमति नहीं दी गई. याचिकाकर्ता ने दावा किया कि प्रस्तावक के बिना उनकी उम्मीदवारी स्वीकार नहीं की गई, जिससे उनके भाषण और अभिव्यक्ति के मौलिक अधिकार और व्यक्तिगत स्वतंत्रता के अधिकार का उल्लंघन हुआ था.

चार हफ्ते में भरना होगा जुर्माना
सुप्रीम कोर्ट ने एक लाख रुपये का जुर्माना लगाते हुए याचिका को खारिज कर दिया और कहा कि चार सप्ताह के अंदर सुप्रीम कोर्ट कानूनी सहायता समिति को जुर्माने का भुगतान किया जाए.

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