नई दिल्ली. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मंगलवार को कहा कि भारत की जी-20 की अध्यक्षता महिला सशक्तिकरण, लोकतंत्र और डिजिटल प्रौद्योगिकी जैसे क्षेत्रों में दुनिया के साथ अपनी विशेषज्ञता साझा करने का अवसर होगी. प्रधानमंत्री ने एक ऑनलाइन कार्यक्रम के दौरान भारत की जी-20 की अध्यक्षता के लोगो, थीम और वेबसाइट का अनावरण करने के बाद यह टिप्पणी की. उन्होंने कहा कि प्रभावशाली समूह के अध्यक्ष के रूप में भारत का प्रयास रहेगा कि ‘विश्व में कोई भी फर्स्ट वर्ल्ड (पहली दुनिया) या थर्ड वर्ल्ड (तीसरी दुनिया) न हो, बल्कि केवल एक विश्व हो.’
भारत एक दिसंबर को मौजूदा अध्यक्ष इंडोनेशिया से इस शक्तिशाली समूह की अध्यक्षता ग्रहण करेगा. 20 देशों का समूह यानी जी-20 दुनिया की प्रमुख विकसित और विकासशील अर्थव्यवस्थाओं का अंतर-सरकारी मंच है. उन्होंने कहा, ‘आजादी के अमृतकाल में देश के सामने ये कितना बड़ा अवसर आया है. ये हर भारतवासी के लिए गर्व की बात है, उसका गौरव बढ़ाने वाली बात है.’
सभी सरकारों के योगदान का किया जिक्र
मोदी ने अपने संबोधन में भारत की विकास यात्रा को रेखांकित किया और कहा कि स्वतंत्रता के बाद भारत को आगे ले जाने में सभी सरकारों और लोगों ने अपने-अपने तरीके से योगदान किया. उन्होंने कहा, ‘आजादी के बाद हमने शून्य से शुरू करके, शिखर को लक्ष्य करके, एक बड़ी यात्रा शुरू की. इसमें पिछले 75 वर्षों में जितनी भी सरकारें रहीं, उन सभी के प्रयास शामिल हैं. सभी सरकारों और नागरिकों ने अपने-अपने तरीके से मिलकर भारत को आगे बढ़ाने का प्रयास किया है. हमें इसी स्पिरिट (भावना) से आज एक नयी ऊर्जा के साथ पूरी दुनिया को साथ लेकर आगे बढ़ना है.’
हम वैश्विक प्रगति की परिकल्पना भी करते हैं
प्रधानमंत्री ने कहा, ‘भारत की हजारों वर्ष पुरानी संस्कृति ने हमें एक और बात सिखाई है. जब हम अपनी प्रगति के लिए प्रयास करते हैं, तो हम वैश्विक प्रगति की परिकल्पना भी करते हैं.’ भारत के लोकतांत्रिक मूल्यों को रेखांकित करते हुए मोदी ने कहा कि भारत दुनिया को दिखा सकता है कि लोकतंत्र व्यवस्था के साथ-साथ संस्कार और संस्कृति बन जाए तो संघर्ष का दायरा समाप्त हो सकता है.
'नयी जिम्मेदारी' के तौर पर देखता भारत
उन्होंने कहा कि भारत में जी20 शिखर सम्मेलन सिर्फ एक कूटनीतिक बैठक नहीं होगी बल्कि देश इसे एक "नयी जिम्मेदारी" के तौर पर देखता है. उन्होंने कहा, ‘भारत इसे अपने प्रति दुनिया के विश्वास के रूप में देखता है. आज विश्व में भारत को जानने की, भारत को समझने की एक अभूतपूर्व जिज्ञासा है. आज भारत का नए आलोक में अध्ययन किया जा रहा है.’
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