नई दिल्ली: कानून प्रवर्तन एजेंसियों ने अब तक अपनी जांच में पाया है कि पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) के पदाधिकारी और कार्यकर्ता अन्य लोगों के साथ बैंकिंग चैनलों, हवाला, दान आदि के माध्यम से भारत और विदेशों से धन जुटाने की साजिश कर रहे थे. बता दें कि केंद्र ने बुधवार को पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) और उसके सहयोगियों पर पांच साल की अवधि के लिए प्रतिबंध लगा दिया.
गृह मंत्रालय क्या कह रहा
गृह मंत्रालय के अनुसार, धन एक अच्छी तरह से तैयार की गई आपराधिक साजिश के हिस्से के रूप में उठाया गया था और पीएफआई इन फंडों को वैध करने के लिए कई खातों के माध्यम से इन फंडों को स्थानांतरित, लेयरिंग और एकीकृत करता पाया गया है. इसके बाद इन फंडों का उपयोग भारत में विभिन्न आपराधिक, गैरकानूनी और आतंकवादी गतिविधियों के लिए किया गया.
ये संगठन बने सहयोगी
सहयोगियों में रिहैब इंडिया फाउंडेशन (आरआईएफ), कैंपस फ्रंट ऑफ इंडिया (सीएफआई), ऑल इंडिया इमाम काउंसिल (एआईआईसी), नेशनल कॉन्फेडरेशन ऑफ ह्यूमन राइट्स ऑर्गनाइजेशन (एनसीएचआरओ), नेशनल वुमेन फ्रंट, जूनियर फ्रंट, एम्पॉवर इंडिया फाउंडेशन और रिहैब फाउंडेशन शामिल हैं.
जांच एजेंसियों के अनुसार, सहयोगी या सहयोगी कंपनियों या मोर्चे का पीएफआई के साथ घनिष्ठ संबंध है और गैरकानूनी गतिविधियों के लिए अपनी क्षमता को मजबूत करने के लिए अपने सहयोगियों या मोर्चो की सामूहिक पहुंच और धन जुटाने की क्षमता का उपयोग करता है.
क्या-क्या मिली गड़बड़ी
जांच से पता चला है कि पीएफआई की ओर से अपने कई बैंक खातों के संबंध में जमा के स्रोत खाताधारकों के वित्तीय प्रोफाइल द्वारा समर्थित नहीं थे और पीएफआई की गतिविधियों को उनके घोषित उद्देश्यों के अनुसार नहीं किया जा रहा था.
अधिसूचना के अनुसार, आयकर विभाग ने आयकर अधिनियम, 1961 (1961 का 43) की धारा 12ए या 12एए के तहत पीएफआई को दिए गए पंजीकरण को रद्द कर दिया. आयकर विभाग ने आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 12ए या धारा 12एए के तहत रिहैब इंडिया फाउंडेशन को दिए गए पंजीकरण को भी रद्द कर दिया.
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