नए संसद भवन के उद्घाटन पर छिड़ा विवाद पहुंचा सुप्रीम कोर्ट, जानें याचिका की बड़ी बातें

नए संसद भवन के उद्घाटन को लेकर छिड़ा सियासी घमासान लगातार बढ़ता जा रहा है. सरकार बनाम विपक्ष की जंग अब सुप्रीम कोर्ट की चौखट पर पहुंच गई है. इस याचिका में संसद भवन का उद्घाटन राष्ट्रपति से कराने की मांग की गई है.

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : May 25, 2023, 05:36 PM IST
  • नए संसद भवन के उद्घाटन पर जारी है सियासी उठापटक
  • राष्ट्रपति से उद्घाटन कराने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका
नए संसद भवन के उद्घाटन पर छिड़ा विवाद पहुंचा सुप्रीम कोर्ट, जानें याचिका की बड़ी बातें

नई दिल्ली: नए संसद भवन का उद्घाटन राष्ट्रपति से कराने की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई है. अधिवक्ता सीआर जया सुकिन द्वारा दायर याचिका में कहा गया है कि लोकसभा सचिवालय, भारत संघ, गृह मंत्रालय, कानून और न्याय मंत्रालय ने संविधान का उल्लंघन किया है और इसका सम्मान नहीं किया जा रहा है.

नए संसद भवन के उद्घाटन पर सुप्रीम कोर्ट में याचिका
याचिका में कहा गया है कि 18 मई को लोकसभा सचिवालय द्वारा जारी बयान और नए संसद भवन के उद्घाटन के बारे में लोकसभा के महासचिव द्वारा जारी किया गया निमंत्रण पत्र प्राकृतिक न्याय के मूल सिद्धांतों का पालन किए बिना और संविधान के अनुच्छेद 21, 79, 87 का उल्लंघन करता है.

याचिका में कहा गया है कि, संसद भारत का सर्वोच्च विधायी निकाय है. भारतीय संसद में राष्ट्रपति और राज्य सभा (राज्यों की परिषद) और लोकसभा (जनता का सदन) शामिल हैं. राष्ट्रपति के पास किसी भी सदन को बुलाने और सत्रावसान करने की शक्ति है.

जानिए सुप्रीम कोर्ट में दाखिल याचिका की खास बातें..
याचिका में कहा गया है कि प्रधानमंत्री की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाती है और अन्य मंत्रियों की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा प्रधानमंत्री की सलाह पर की जाती है. याचिका में कहा गया है कि राष्ट्रपति को राज्यपाल, सर्वोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालय दोनों के न्यायाधीशों, भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक, संघ लोक सेवा आयुक्त के अध्यक्ष और प्रबंधक, मुख्य चुनाव आयुक्त, वित्तीय आयुक्त, और अन्य संवैधानिक पदाधिकारियों को नियुक्त करने के लिए अधिकृत किया गया है.

इसमें कहा गया है, दोनों सदनों का मुख्य कार्य कानून बनाना है. प्रत्येक विधेयक को दोनों सदनों द्वारा पारित किया जाना चाहिए और कानून बनने से पहले राष्ट्रपति द्वारा सहमति दी जानी चाहिए.

संविधान का अनुच्छेद 87 दो उदाहरण प्रदान करता है जब राष्ट्रपति विशेष रूप से संसद के दोनों सदनों को संबोधित करते हैं. भारत के राष्ट्रपति प्रत्येक आम चुनाव के बाद पहले सत्र की शुरुआत में राज्यसभा और लोकसभा को संबोधित करते हैं. हर साल पहले सत्र की शुरुआत में दोनों सदनों को संबोधित करते हैं.
(इनपुट- आईएएनएस)

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